नाटो की सेना सन २०२० तक अफ़गानिस्तान में रहेगी

नाटो की बैठक में किया गया निर्णय

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ब्रुसेल्स, दि. १८ (वृत्तसंस्था) – अफ़गानिस्तान में सेनातैनाती के बारे में अमरीका द्वारा नाटो को आवाहन किया जाने के बाद, नाटो ने अफ़गानिस्तान में रहनेवाली अपनी सेना की अवधि बढ़ाने की घोषणा की है। अब सन २०२० तक नाटो अफ़गानिस्तान में लष्कर तैनात रखनेवाला होकर, आतंकवादविरोधी संघर्ष में अफ़गानी लष्कर की सहायता करेगा, ऐसी जानकारी नाटोप्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने दी। लेकिन अफ़गानिस्तान में नाटो के निश्चित रूप में कितने सैनिक तैनात होंगे, इसका निर्णय अगले महीने में ही किया जायेगा, ऐसा नाटोप्रमुख ने कहा।

दो दिन पहले, ब्रुसेल्सस्थित नाटो के मुख्यालय में सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक को संबोधित करते हुए, ‘नाटो के अधिकतर सदस्य देश अफ़गानिस्तान में सेना की तैनाती को बढ़ाने के पक्ष में हैं’ ऐसी घोषणा स्टोल्टनबर्ग ने की। अफ़गानिस्तान के विद्यमान हालातों को देखते हुए, इस इलाक़े में सेना का तैनात रहना आवश्यक है। इस सेनातैनाती द्वारा, नाटो का लष्कर अफ़गानी सैनिकों को आतंकवादविरोधी युद्ध के लिए प्रशिक्षण एवं मशवरा देता रहेगा। साथ ही, वक़्त आने पर नाटो का लष्कर अफ़गानिस्तान के आतंकवादविरोधी संघर्ष में अफ़गानी लष्कर की सहायता भी कर सकता है, ऐसे संकेत भी नाटोप्रमुख ने दिये। इसीके साथ, अफ़गानिस्तान में नाटो की सेनातैनाती सन २०१७ में भी जारी रहेगी, ऐसा भी स्टोल्टनबर्ग ने कहा।

afghan-nato-soldiersअफ़गानिस्तान की सुरक्षा यह अभी भी एक चिंता का विषय है। नाटो के द्वारा हालाँकि अफ़गानी सैनिकों को आतंकवादविरोधी युद्ध के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है, मग़र वे अभी भी इसमें परिपूर्ण नहीं हुए हैं, ऐसी जानकारी एक वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी ने दी। उसी समय, अफ़गानिस्तान में तालिबान के हमलें बढ़ रहे होकर, इन आतंकियों को पाक़िस्तान में आश्रय मिल रहा है, ऐसा आरोप भी इस अधिकारी ने, अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर किया। तालिबान के इन हमलों के कारण, नाटो के अफ़गानिस्तानस्थित कंदाहार एवं जलालाबाद में रहनेवाले लष्करी अड्डे पुन: खुले कर दिए जायेंगे, ऐसी जानकारी इस अधिकारी ने दी।

पिछले हफ़्ते अमरीका ने, अफ़गानिस्तान में तैनात किये गए अपने सैनिकों के लिए अतिरिक्त अधिकार घोषित किये थे। अब तक केवल अफ़गानी सैनिकों को प्रशिक्षण एवं मशवरा देने की भूमिका में रहनेवाले अमरीका के ९८०० सैनिकों को, तालिबानविरोधी संघर्ष में सहभागी होने का अधिकार अमरीका ने प्रदान किया। अफ़गानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमलों को मद्देनज़र रखते हुए ओबामा प्रशासन ने यह फ़ैसला किया। उसीके साथ, अफ़गानिस्तान में तैनात अमरिकी सैनिकों की वापसी के टाईमटेबल में बदलाव करने के संकेत भी दिये थे। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ओबामा द्वारा इस बारे में अधिकृत घोषणा हो सकती है।

ओबामा प्रशासन द्वारा किये गये इस फ़ैसले के बाद, अमरीका के रक्षामंत्री अ‍ॅश्टन कार्टर ने नाटो को, अफ़गानिस्तानविषयक भूमिका पर चर्चा करने का आवाहन किया था। उस पार्श्वभूमि पर, हाल ही में ब्रुसेल्स में यह बैठक संपन्न हुई।

इसी दौरान, अफ़गानिस्तान में स्थिरता एवं शांति स्थापित होना बहुत आवश्यक है, ऐसी प्रतिक्रिया ब्रिटन के रक्षामंत्री मायकल फ़ॅलॉन ने दी। ‘अफ़गानिस्तान में संघर्ष भड़क उठा है, ऐसे में लड़ाई में से पीछे हटना ग़लत है’ ऐसा फ़ॅलॉन ने कहा। साथ ही, अफ़गानिस्तान की सुरक्षाव्यवस्था यदि ढह गयी, तो हज़ारों की तादात में निर्वासित युरोप में आ धमकेंगे। पहले से ही युरोपीय देशों को, निर्वासितों के झुँडों की समस्या परेशान कर रही है, ऐसे में अफ़गानिस्तान का संकट मोल लेना ग़लत साबित होगा, ऐसा ब्रिटन के रक्षामंत्री ने कहा।

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