लद्दाख के ‘एलएसी’ पर जारी तनाव कम करने के लिए भारत-चीन चर्चा का १८ वां दौर

नई दिल्ली – २७ और २८ अप्रैल को ‘एससीओ’ के रक्षा मंत्रियों की बैठक का आयोजन भारत में हो रहा है। इससे पहले लद्दाख के ‘एलएसी’ पर बना तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ सेना अधिकारियों की चर्चा का १८ वां दौर हुआ। रविवार को हुई इस चर्चा का पूरा ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है। लेकिन, एलएसी पर बने तनाव का असर ‘एससीओ’ की बैठक पर ना हो, इसके लिए भारत और चीन दोनों कोशिश में लगे होने की बात इस चर्चा के १८ वे दौर से स्पष्ट हुई है।

लद्दाख के ‘एलएसी’गलवान में दोनों देशों की सेना का संघर्ष होने के बाद पहली बार चीन के रक्षा मंत्री ‘एससीओ’ की बैठक के लिए भारत पहुंच रहे हैं। उससे पहले लद्दाख के ‘एलएसी’ का तनाव कम करने पर हुई चर्चा ध्यान आकर्षित कर रही हैं। भारत के साथ जारी तनाव ‘एससीओ’ की बैठक पर असर नहीं करेगा, इसका ध्यान चीन रख रहा हैं। ‘एससीओ’ यानी ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ का गठन चीन के पहले से हुआ हैं। रशिया एवं अन्य देशों के सहयोग से अमरीका और पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए चीन ने ‘एससीओ’ का गठन किया था। भारत भी ‘एससीओ’ का सदस्य है।

भारत पहली बार ‘एससीओ’ का मेजबान बना है और इसका पूरा लाभ उठाने की तैयारी भारत ने भी रखी है। साथ ही भारत में आयोजित हो रही यह बैठक कामयाब साबित हो, इसके लिए चीन भी कोशिश करता दिख रहा है। इसी वजह से चीन के रक्षा मंत्री इस बैठक के लिए भारत पहुंच रहे हैं। उनके अलावा ४ मई को ‘एससीओ’ की बैठक में उपस्थित रहने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो झरदारी भारत पहुंचेंगे, यह ऐलान हुआ है। यह निर्णय करने के लिए पाकिस्तान सीर्फ चीन के दबाव की वजह से मज़बूर हुआ, ऐसी चर्चा भी शुरू हुई है। नहीं तो भारत के साथ जारी तनाव की पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान अपने विदेश मंत्री को भारत भेजने का निर्णय करता ही नहीं, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

चीन इसी वजह से ‘एससीओ’ की बैठक में भारत से चर्चा करने के लिए उत्सुकता दिखा रहा हैं, ऐसे संकेत भी प्राप्त हुए हैं। इस पृष्ठभूमि पर रविवार को लद्दाख में भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर चर्चा हुई। गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीनी सेना की मुठभेड़ नहीं हुई है। लेकिन, लद्दाख के एलएसी पर बना अभी भी खत्म नहीं हुआ है। भारतीय सेना इस क्षेत्र में यकायक खड़ी होनेवाली किसी की स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार होने का बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में दिया था। भारतीय सेनाप्रमुख ने भी वहां पर अपनी सेना पुरी तरह से तैयार होने की गवाही दी थी। इस वजह से चीन किसी भी तरह की हरकत करता है तो एलएसी पर भारतीय सेना इसपर जोरदार प्रत्युत्तर देगी, यह संदेश भारत के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व चीन तक पहुंचा रहे हैं।

साथ ही ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए चीन के साथ सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखने की नीति भारत ने अपनाई हैं। लद्दाख के एलएसी का तनाव कम करने के लिए अब तक चर्चा के १७ दौर हुए हैं। इससे पहले हुई चर्चा के दौरान चीन घुसपैठ किए कुछ हिस्सों से पीछे हटा है। लेकिन, उसने भारत की सभी मांगों का स्वीकार करके चीन अभी तक इस क्षेत्र से पुरी तरह पीछे नहीं हटा हैं। डेमचोक, डेप्सांग में अभी तक चीन के सैनिक तैनात हैं। यह तैनाती हटाए बिना ‘एलएसी’ का तनाव खत्म होने का दावा करना मुमकिन नहीं होगा, यह भारत ड़टकर कह रहा हैं। जबतक ‘एलएसी’ पर तनाव बना रहेगा तबतक चीन ने भारत के सहयोग का विचार नहीं करना चाहिये, यह इशारा केंद्र सरकार दे रही हैं।

भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों की सीमा पर तनाव होने का बयान भारत के विदेश मंत्री जयशंकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं। ऐसे में चीन यह दावे कर रहा है कि, हमारे भारत के साथ संबंध जारी हैं। साथ ही ‘एलएसी’ पर सेना तैनात रखकर चीन-भारत संबंध सामान्य नहीं होंगे, यह अहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को कराया हैं|

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