लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के सेना अधिकारियों की चर्चा

नई दिल्ली – लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ सेना अधिकारियों की चर्चा का तेरहवां दौर हुआ। रविवार सुबह १०.३० बजे ‘एलएसी’ के माल्को में शुरू हुई यह चर्चा आठ घंटे तक चली। इसकी पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आयी है। लेकिन, उत्तराखंड़ के बाराहोटी और लद्दाख के तवांग के यांगत्से की ‘एलएसी’ पर चीन ने की हुई घुसपैठ की पृष्ठभूमि पर इस चर्चा को बड़ी अहमियत प्राप्त हुई थी।

भारत और चीनइस चर्चा से कुछ दिन पहले चीन की सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करके वर्चस्व स्थापित करने की भी कोशिश करके देखी। लेकिन, भारतीय सैनिकों ने उनकी यह कोशिश नाकाम कर दी और इस वजह से चीन की यह साज़िश सफल नहीं हो पाई। लेकिन, घुसपैठ की इस कोशिश की वजह से चीन लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम करने के लिए प्रामाणिक नहीं है, यह बात स्ष्ट हुई हैं। इसका भारत ने संज्ञान लिया है। सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने सख्त शब्दों में चीन को आगाह किया था।

लद्दाख के ‘एलएसी’ के क्षेत्र में चीन की सेना पैर जमाए बैठी हो तो भारतीय सेना भी वहां पर तैनात रहेगी, यह इशारा जनरल नरवणे ने दिया। साथ ही ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में चीन ने भारी मात्रा में की हुई लष्करी तैनाती पर भी जनरल नरवणे ने चिंता जताई है। इस वजह से फिलहाल चीन पर भरोसा करना भारत के लिए संभव नहीं होगा, यह संदेश सेनाप्रमुख दे रहे हैं। दोनों देशों के सेना अधिकारियों की चर्चा होने से पहले जनरल नरवणे के इस बयान को माध्यमों ने प्रमुखता से उठाया था।

भारत और चीनलद्दाख के एलएसी पर विवाद शुरू होने के साथ ही चीन आक्रामक लष्करी गतिविधियाँ, धमकियाँ और इशारों के माध्यम से भारत पर दबाव ड़ालने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, गलवान के संघर्ष में भारतीय सेना का झटका चीन को मुँह के बल गिरानेवाला साबित हुआ। इस संघर्ष में अपना पुख्ता कितना नुकसान हुआ, इसकी जानकारी सार्वजनिक करने से चीन दूर रहा था। यह बात अपनी प्रतिष्ठा के लिए घातक साबित होगी, यह चिंता चीन को सता रही थी। इसके बाद के दिनों में चीन ने लद्दाख के करीबी क्षेत्र में हज़ारों सैनिकों की तैनाती करके ‘एलएसी’ पर तनाव अधिक बढ़ाया था।

कुछ हफ्ते पहले चीन ने ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में रशिया से खरीदी हुई ‘एस-४००’ मिसाइल विरोधी यंत्रणा तैनात करने का वृत्त प्राप्त हुआ था। चीन की इस तैनाती की खबरें प्राप्त होने के दौरान भारत ने सीमा पर मुँहतोड़ तैनाती करके चीन को जवाब दिया। दोनों देशों की ऐसी लष्करी गतिविधियाँ जारी रहते हुए राजनीतिक स्तर पर चीन ने सीमा विवाद के बावजूद दोनों देश व्यापारी सहयोग जारी सकते हैं, यह उम्मीद व्यक्त की है। लेकिन, दोनों देशों के व्यापार और अन्य स्तरों के ताल्लुकात सामान्य करने हों तो सीमा पर शांति और सौहार्दता स्थापित करनी पड़ेगी, ऐसा इशारा भारत चीन को दे रहा है। ‘एलएसी’ पर हज़ारों सैनिकों की तैनाती करके चीन भारत के सहयोग के बारे में फिजूल उम्मीद ना रखे, यह अहसास भारत चीन को करा रहा है।

गलवान के संघर्ष के बाद भी भारत लष्करी और राजनीतिक स्तर पर इतनी आक्रामक नीति नहीं अपनाएगा, चीन को यह गलगफहमी थी। पहले के दिनों में ‘एलएसी’ पर तनाव निर्माण होने के बाद भारत में चीन के उत्पादों पर बहिष्कार करने की माँग होती रही। लेकिन, भारतीय नागरिक चीनी सामान के बिना नहीं रह सकते, ऐसे दावे करके चीन के माध्यम भारत को चिड़ा रहे थे। लेकिन, भारत ने चीन के ऐप्स एवं कुछ उत्पादन और कंपनियों पर कार्रवाई करने पर चीन के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई है। भारत चीन के साथ फिर से व्यापारी सहयोग शुरू करे, ऐसी माँग यह देश कर रहा है। लेकिन, ऐसा करते हुए चीन ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए प्रामाणिक कोशिश करने के लिए तैयार नहीं है।

इन सभी गतिविधियों का संज्ञान भारत ने लिया है। इससे चीन के प्रति अविश्‍वास अधिकाधिक बढ़ रहा है और भारत के इस अविश्‍वास का काफी बड़ा झटका चीन को अगले दौर में लगेगा, यह बात अब स्पष्ट दिखाई देने लगी है।

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