लद्दाख के ‘एलएसी’ का तनाव कम करने के लिए भारत-चीन सेना की फिर से चर्चा होगी

नई दिल्ली – लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेना में चर्चा का नया दौर जल्द ही होगा। इससे पहले दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों में चर्चा का १५ वां दौर ११ मार्च को हुआ था। इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ था। भारत के साथ सीमा विवाद का हल निकालने में चीन को ज़रासी भी रुचि नहीं है और चीन को सीमा विवाद जारी रखना है, ऐसा आरोप भारत के सेनाप्रमुख ने कुछ दिन पहले लगाया था। 

लद्दाख के ‘एलएसी'पूर्व लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए चर्चा के नए दौर का आयोजन करने पर दोनों देशों की सहमति होने की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने साझा की। फिलहाल लद्दाख के एलएसी पर दोनों देशों के ५० से ६० हज़ार सैनिक तैनात हैं। चीन ने लद्दाख के एलएसी पर हज़ारों सैनिक तैनात करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करके देखी। साल २०२० में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारतीय सेना पर हावी होना अपनी प्रतिष्ठा के लिए बड़ा आवश्यक होने का अहसास चीन को हो रहा था। इसके लिए चीन ने यह तैनाती बढ़ाई थी। लेकिन, मुँहतोड़ तैनाती करके भारतीय सेना ने यह साज़िश चीन पर ही बूमरैंग की।

अगले समय में भी दबाव बढ़ाने के लिए चीन की साज़िश को भारतीय सेना ने नाकाम किया था। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों में अब तक चर्चा के १५ दौर हुए हैं। लेकिन, अभी भी पूर्व लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में तनाव खत्म नहीं हुआ है और चीन जानबूझकर यहां पर तनाव बनाए रखना चाहता है। भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे ने ९ मई को चीन पर इसी मुद्दे पर सीधे आरोप लगाए थे। भारत के साथ सीमा विवाद का हल निकालने में चीन को रूचि नहीं है, बल्कि चीन को यह सीमा विवाद जारी रखना है, ऐसा जनरल पांडे ने कहा था।

सेनाप्रमुख के इस बयान की वजह से भारत चीन के सीमा विवाद से संबंधित चर्चा की ओर बड़ी सावधानी से देख रहा है। एक कार्यक्रम में बोलते समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीन को लेकर सटीक शब्दों में चेतावनी दी। भारत चीन को बतौर शत्रु नहीं देखता। फिर भी चीन ने भारत के आत्मसम्मान को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की या भारत की भूमि पर कब्ज़ा करने के लिए गतिविधि की तो भारत पूरी ताकत के साथ चीन को प्रत्युत्तर देगा, ऐसा इशारा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया है।

चीन ही भारत का क्रमांक एक का भागीदार देश – चीनी विदेश मंत्रालय का दावा

चीन को पीछे छोड़कर अमरीका भारत का क्रमांक एक का भागीदार देश बनने की खबर हाल ही में प्रसिद्ध हुई थी। चीन को इस खबर से बड़ी मीर्च लगी है। अमरीका नहीं, बल्कि चीन ही भारत का प्रमुख व्यापारी भागीदार होने का दावा चीन ने किया है। फिलहाल अमरीका भारत के साथ व्यापार करने में आगे है, इसके आँकडे अलग पद्धति से पेश किए हुए दिख रहे हैं, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने किया।

भारत का आर्थिक वर्ष अप्रैल से मार्च तक होता है। चीन जनवरी से दिसंबर तक अपने आर्थिक साल का हिसाब रखता है। इस हिसाब से अभी भी चीन ही भारत का क्रमांक एक का व्यापारी देश है, यह दावा लिजिआन ने किया। भारत और चीन का व्यापार १२५.६६ अब्ड डॉलर्स तक पहुँचा है। वहीं, भारत-अमरीका द्विपक्षीय व्यापार ११९ अरब डॉलर्स होने की बात लिजिआन ने कही।

लेकिन, इस द्विपक्षीय व्यापार में भारत को तकरीबन ७२.९१ अरब डॉलर्स का घाटा उठाना पड़ रहा है। दवाईयाँ और आईटी क्षेत्रों में चीन भारतीय कंपनियों को अवसर नहीं दे रहा है और इस वजह से भारत को यह व्यापारी घाटा उठाना पड़ रहा है। इस पर लिजिआन ने बयान नहीं किया है। लेकिन, चीन के व्यापार को लेकर भारत आगे से सख्त नीति अपनाएगा, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

 

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