विश्व में शरणार्थियों की संख्य बढ़कर ३.५ करोड़ हुई – संयुक्त राष्ट्र संघ की संगठन की जानकारी

जिनेवा – यूक्रेन युद्ध, सीरिया, अफ़गानिस्तान, लेबनान की अस्थिरता और अन्य कारणों से वर्ष २०२२ में विश्व में शरणार्थियों की संख्या बढ़ाकर ३.५ करोड़ से अधिक हुई है। इनमें से ५२ प्रतिशत सीरिया यूक्रेन और अफ़गानिस्तान के है। इससे पहले के वर्ष की तुलना में शरणार्थियों की संख्या में ८० लाख का इजाफा होने की जानकारी ‘युनाइटेड नेशन्स हाय कमिशनर फॉर रेफ्युजीस्‌’ (यूएनएचसीआर) नामक गुट ने साझा की। इन शरणार्थियों के अलावा गृहयुद्ध, नरसंहार के कारण ११ करोड़ लोग विस्थापित हुए है। शरणार्थी और विस्थापितों की संख्या काफी ड़रावनी है, ऐसा इस संस्था का कहना है।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में शरणार्थियों के मसले का हल निकालने के उद्देश्य से वर्ष १९५१ में ‘यूएनएचसीआर’ का गठन हुआ था। उस विश्व युद्ध के कारण कम से कम २१ लाख लोगों के बेघर होने का दावा किया जा रहा है। आगे के समय में इस संगठन की व्यापकता बढ़ाकर पैलेस्टिनी, अफ्रीकी और बाद में अफ़गान नागरिकों के लिए इस संगठन ने काम करना शुरू किया। शरणार्थियों की समस्या सामने लाने के लिए हर वर्ष २० जून को विशेष दिन के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर ‘यूएनएचसीआर’ ने जारी की हुई रपट में पिछले ७० सालों में शरणार्थियों की बढ़ रही समस्या की जानकारी साझा की गई है।

वर्ष १९७० से ९० के दौरान इराक, ईरान, अफ़गानिस्तान, वियतनाम, इथियोपिया के संघर्ष के कारण शरणार्थियों की संख्या तेज़ बढ़ने लगी। पैलेस्टिन के मसले के कारण भी ७.५ लाख लोग बेघर हुए है, इसपर ‘यूएनएचसीआर’ ने ध्यान आकर्षित किया। वर्ष १९८० के दशक में पहली बार शरणार्थियों की कुल संख्या एक करोड़ तक पहुंची थी। अगले दो दशकों में ही यह दो करोड़ से अधिक हुई। लेकिन, नई सदी के शुरू में अमरीका पर आतंकवादी हमला होने के बाद अफ़गानिस्तान और इराक में बड़े हमले किए गए। इशसे वर्ष २०२१ तक शरणार्थियों की संख्या तीन करोड़ के करीब पहुंची।

लेकिन, पिछले एक वर्ष में ही यह संख्या ३.५ करोड़ तक पहुंचने पर ‘यूएनएचसीआर’ चिंता व्यक्त कर रही हैं। पिछले साल से यूक्रेन में शुरू युद्ध एवं सीरिया और अफ़गानिस्तान में फैली अस्थिरता शरणार्थियों के झुंड़ निकलने की प्रमुख वजह समझी जाती है। सीरिया में ६५ लाख, यूक्रेन में ५७ लाख और अफ़गानिस्तान में ५७ लाख लोग बेघर होने से शरणार्थी बने हैं। यह प्रमुखता से यूरोपिय देशों की ओर जा रहे हैं और इसके कारण आनेवाले दिनों में यूरोपिय देशों की सुरक्षा पर असर होगा, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है।

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