अफ़्रीका में कोरोना के मृतकों की संख्या एक लाख के पार

आदिस अबाबा – अफ्रीका महाद्वीप में कोरोना की महामारी के कारण मरने वालों की संख्या एक लाख के पार हुई है। उनमें से ५०% मृत्यु केवल दक्षिण अफ्रीका में हुईं होकर, उस देश में कोरोना वायरस का नया प्रकार (स्ट्रेन) घातक साबित होने की बात सामने आ रही है। अन्य देशों की तुलना में अफ्रीका के लिए टीके उपलब्ध ना होने के कारण टीकाकरण मुहिम की रफ्तार भी कम होने की बात सामने आयी है। इसी पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युएल मॅक्रॉन ने मांग की है कि अमरीका और युरोपिय देश अपने पास के टिकों में से ५% टीकें अफ्रीकी देशों को सप्लाई करें।

africa-corona-deathनए साल की शुरुआत से दुनिया के कई देशों में कोरोना पर टीकाकरण की मुहिम शुरू हुई है। इस कारण कुछ देशों में कोरोना के मरीज मरीजों की संख्या बढ़ने की मात्रा धीरे-धीरे कम होती दिख रही है। लेकिन अफ्रीका महाद्वीप में अधिकांश देशों को अभी भी उचित मात्रा में टीका उपलब्ध नहीं हुआ है। इस कारण इन देशों में टीकाकरण की रफ्तार भी कम है। अमरीका और युरोप के प्रगत देशों ने टीकों के लिए बड़ी कंपनियों के साथ समझौते कर बड़े पैमाने पर संग्रहण करने की गतिविधियां शुरू की हैं। इस कारण अफ़्रीका को इस साल पर्याप्त मात्रा में टिके उपलब्ध होने की संभावना कम हुई है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

इस पृष्ठभूमि पर, अफ्रीका में कोरोना के मृतकों में होने वाली वृद्धि चिंता बढ़ाने वाली साबित होती है। शुक्रवार को अफ्रीका की ‘सीडीसी’ यंत्रणा ने दी जानकारी के अनुसार, कोरोना की महामारी में मरने वालों की कुल संख्या १ लाख, २९४ हुई है। वहीं, अब तक अफ्रीका महाद्वीप में कोरोना के ३७ लाख, ९६ हज़ार, ३५४ मरीज पाए गए हैं। अफ्रीका महाद्वीप में फिलहाल कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू होने की जानकारी भी स्वास्थ्य यंत्रणा ने दी। इस दूसरी लहर के पीछे दक्षिणी अफ्रीका में पाया गया कोरोना का नया प्रकार कारणीभूत बन चुका होकर, उसका प्रसार अधिक तेजी से होने की बात बताई जाती है।

अफ्रीका महाद्वीप में कोरोना की महामारी के कारण मरने वालों की संख्या २.६ प्रतिशत है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यही प्रमाण २.३ प्रतिशत होकर कामा अफ्रीका में बढ़ा प्रमाण यह गंभीर बात साबित हो रही है। जनवरी महीने में अफ्रीका महाद्वीप में मृतकों की संख्या ४० प्रतिशत से बढ़ी है। दक्षिण अफ्रीका के साथ ही इजिप्ट, नायजेरिया, झिंबाब्वे और मोज़ांबिक इन देशों में कोरोना के मरीज और मृतकों की संख्या बढ़ रही होने की बात सामने आई है। अफ्रीका में कई देश बढ़ती मरीज संख्या और मृत्यु का बढ़ता प्रमाण इस वास्तव के साथ मुकाबला करने में नाकाम साबित हो रहे हैं, ऐसी चिंता ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ ने व्यक्त की है।

africa-corona-deathअफ्रीका में कोरोना के बढ़ते फैलाव के पीछे टीकाकरण की धीमी रफ्तार यह भी अहम कारण माना जाता है। अफ्रीकी महासंघ ने गठन किए ‘टास्क फोर्स’ ने अब तक ५७ करोड़ की के प्राप्त करने के लिए समझौते और बातचीत की होने की जानकारी दी है। मगर फिर भी स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, सन २०२२ के अंत तक अफ्रीका में ६० प्रतिशत तक जनता को ही टीका प्राप्त होगा कमा ऐसा बताया जाता है। इसी पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने यह मांग की है कि अमरीका और युरोपिय देश अपने भंडार में से पाँच प्रीति शक्ति के अफ्रीकी देशों को दे दें।

केवल प्रगत और अमीर देशों की जनता को ही टीके का लाभ मिलना यह जागतिक असमानता की स्पष्ट मिसाल साबित होती है और यह अस्वीकारार्ह है, ऐसा फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने जताया। यदि अमरीका और युरोपिय देशों ने अफ्रीका के लिए पहल नहीं की, तो टिकों के मुद्दों पर मुद्दे पर ‘वॉर ऑफ इन्फ्ल्युअन्स’ भड़क सकता है, ऐसी चेतावनी भी उन्होंने दी। रशिया और चीन इन देशों ने अफ्रीका में अपने टीके सप्लाई करने की गतिविधियां शुरू की होकर, मॅक्रॉन का बयान इस पर गौर फरमाने वाला साबित हुआ है।

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