अफ्रीका में २०१४ में फैली ‘एबोला’ की महामारी अमरिकी ‘लैब’ के हादसे का नतीज़ा – अमरिकी वैज्ञानिकों का दावा

‘एबोला’ की महामारीवॉशिंग्टन – अफ्रीका में साल २०१४ में फैली ‘एबोला’ की महामारी के लिए सिएरा लिओन देश में स्थित अमरिकी लैब में हुआ हादसा ज़िम्मेदार था, ऐसा दावा अमरिकी वैज्ञानिक ने किया। साल २०१४ से २०१६ के दौरान कोहराम मचानेवाली इस महामारी के चपेट मे आने से ११ हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत हुई ती। अफ्रीका में एबोला की यह सबसे बड़ी महामारी साबित हुई है। एबोला का यह दावा सामने आ रहा था तभी अमरीका के जैवं लैब में पिछले दशक में सैकड़ों हादसे हुए हैं और अमरिकी स्वास्थ यंत्रणा ने इसकी जानकारी छुपाकर रखी, ऐसा वृत्त ‘द इंटरसेप्ट’ नामक वेबसाईट ने दिया है।

‘एबोला’ की महामारीविस्कॉसिन युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रहे ‘वायरोलॉजिस्ट’ डॉक्टर जोनाथन लैथम और पत्रकार सैम हुसेनी ने एबोला की महामारी का यह दावा प्रसिद्ध किया है। इस दावे में उन्होंने सिएरा लिओन के केनेमा क्षेत्र में स्थित अमरिकी लैब का ज़िक्र करके वहां से एबोला विषाणु का फैलाव हुआ होगा, ऐसा कहा है। साल २०१४ में फैली एबोला की महामारी के बाद इस लैब के गलत नियोजन के कई रपट जारी हुए थे, इसपर लैथम ने ध्यान आकर्िषत किया। सिएरा लिओन की सरकार ने इस लैब को ‘एबोला’ के परीक्षण रोक देने के आदेश दिए थे, यह बात भी उन्होंने सार्वजनिक की।

‘एबोला’ की महामारीसाल २०१४ में पश्चिम अफ्रीका में फैली यह महामारी गिनिआ के एक छोटे बच्चे के संक्रमण से शुरू होने का दावा किया गया था। लेकिन, उसके संपर्क में रहे चमगादड़ की खोज़ करने मे स्वास्थ्य यंत्रणा एवं वैज्ञानिकों को असफलता प्राप्त हुई थी। साथ ही संबंधित क्षेत्र के चमगादड़ों में भी एबोला विषाणु का अंश पाया नहीं गया था। इस वजह से गिनिआ से से इस महामारी का फैलाव शुरू होने का दावा ही गलत होने का बयान लैथम और हुसेनी ने कहा हैं। अपने अनुसंधान उन्होंने ‘इंडिपेन्डन्ट सायन्स न्यूज’ नामक वेबसाइट पर जारी किया हैं। पश्चिमी अफ्रीका में इससे पहले एबोला का ‘मैकोना वेरियंट’ पाया नहीं गया था। ऐसे में यकायक इस वेरिएंट की महामारी गिनिआ जैसे देश में कैसी शुरू हुई, यह सवाल डॉक्टर लैथम ने किया है।

सिएरा लिओन के लैब से विषाणु का हुआ रिसाव छुपाने के लिए गिनिआ से यह महामारी शुरू होने का दिखावा तैयार किया गया, यह आरोप भी वैज्ञानिकों ने किया। गिनिआ से महामारी शुरू होने के बाद अमरीका ने केनेमा की लैब को निधी मुहैया कराना बंद किया और इसका अगला ठेका भी रद किया था, इसपर भी लैथम और हुसेनी ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच एबोला की महामारी की जानकारी सामने आ रही थी, तभी अमरीका की एक वेबसाईट ने देश के जैव लैब में हो रहें हादसों का वृत्त प्रसिद्ध किया हैं। अमरीका में मौजूद लैबज्‌‍ में पिछले दो दशकों के दौरान सैकड़ों हादसे हुए हैं और इनकी जानकारी ‘नैशनल इन्स्टीट्यूटस्‌‍ ऑफ हेल्थ’ नामक स्वास्थ्य यंत्रणा ने छुपाकर रखी, ऐसा ‘द इंटरसेप्ट’ वेबसाइट ने कहा है।

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