‘फायनान्शियल इन्क्लूजन’ की नीति की प्राथमिकता जारी रहेगी – ‘आरबीआय’ गवर्नर शक्तिकांता दास

शक्तिकांता दासमुंबई – कोरोना के संकट से बाहर निकलने पर ‘फायनान्शियल इन्क्लूजन’ यानी आर्थिक समावेशन की नीति को प्राथमिकता से जारी रखा जाएगा, ऐसा बयान ‘आरबीआय’ के गवर्नर शक्तिकांता दास ने किया है। साथ ही वर्तमान के आर्थिक वर्ष में देश के ‘जीडीपी’ से संबंधित अनुमान में बदलाव करने के लिए कोई भी कारण नहीं है और मौजूदा वर्ष में देश का ‘जीडीपी’ १०.५ प्रतिशत से अधिक रहेगा, यह विश्‍वास भी गवर्नर शक्तिकांता दास ने एक कार्यक्रम में बोलते समय व्यक्त किया।

बीते दशक के आरंभ से ही आर्थिक विकास के लाभ आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए आर्थिक समावेशन पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के ज़रिये इसे अधिक बल प्राप्त हुआ। अंतिम व्यक्ति एवं ग्राहक तक बैंक सेवा पहुँचाने के लिए ‘आरबीआय’ ने आर्थिक समावेशन की ओर ध्यान केंद्रीत किया। गरिबी और उत्पन्न की असामनता घटाने के लिए यह नीति बड़ी अहम है। आर्थिक विकास को बरकरार रखने के लिए आर्थिक समावेशन काफी आवश्‍यक होने की बात गवर्नर शक्तिकांता दास ने इस दौरान रेखांकित की। साथ ही आर्थिक समावेशन निदेशांक (एफआयआय) का निर्माण करने के लिए ‘आरबीआय’ काम कर रही है, यह ऐलान भी उन्होंने इस दौरान किया। ‘आरबीआय’ जल्द ही इस निदेशांक का ऐलान करेगी, ऐसा उन्होंने कहा है।

साथ ही अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार लाने में आर्थिक प्रणाली का अहम योगदान होगा, इस ओर भी दास ने ध्यान आकर्षित किया। ‘फायनान्शियल इन्क्लूजन’ यानी आर्थिक समावेशन की वजह से सरकार को विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं का लाभ सीधे बैंक में कैश ट्रान्सफर करने के माध्यम से पहुँचाना मुमकिन हुआ। वर्ष २०२०-२१ में ५४ मंत्रालयों की ३१९ योजनाओं के लिए ५.५३ लाख करोड़ रुपये डिजिटल ट्रान्सफर के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुँचाए गए, यह बात आरबीआय गवर्नर शक्तिकांता दास ने स्पष्ट तौर पर कही।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर की वजह से २ लाख करोड़ रुपयों का नुकसान होने का अंदाज़ा है। लेकिन, इस नुकसान का ‘जीडीपी’ पर कोई भी असर नहीं होगा। साथ ही टीकाकरण की गति अर्थव्यवस्था में फिर से उछाल लाने का मार्ग तय करेगी, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया। यूपीआय, आयएमपीएस जैसे पेमेंट सेवाओं का दायरा बढ़ा है। पेमेंट सिस्टम की अर्थव्यवस्था काफी अहम है और इस वजह से पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत विश्‍व का नेतृत्व कर रहा है, यह दावा भी उन्होंने किया।

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