‘ड्युरंड लाईन’पर तालिबान का पाकिस्तानी सेना से संघर्ष

काबुल/इस्लामाबाद – ‘ड्युरंड लाईन’ पर अफ़गान तालिबान और पाकिस्तानी सेना के तोपें गरजती देखीं गईं| पाकिस्तान और तालिबान का संघर्ष अटल होने के इशारे पाकिस्तान के ज्येष्ठ पत्रकार और विश्‍लेषक दे रहे हैं| पहले की अफ़गानिस्तान सरकार की तरह तालिबान को भी ड्युरंड लाईन की सरहद मंजूर ना होने का ऐलान तालिबान ने किया और वहां पर पाकिस्तानी सेना ने लगाई बाड़ को उखाड़ फेका था| इससे तालिबान और पाकिस्तानी सेना की मुठभेड़ हुई थी| लेकिन, मंगलवार को ड्युरंड लाईन पर हुआ संघर्ष अधिक तीव्र था|

pak-military-durand-line-1मंगलवार को पाकिस्तानी सेना ने अफ़गानिस्तान के कुनार प्रांत में तोपों से हमलें किए| वहां के दंगम ज़िले में पाकिस्तानी तोंप के बम गिरे| अफ़गानिस्तान की सीमा में तैयार बैठें तालिबानी सदस्यों ने भी तोंप से हमलें करके पाकिस्तानी सेना को प्रत्युत्तर दिया| इसके बाद दोनों ओर से ज़ोरदार गोलीबारी हुई| डेढ़ महीने बाद पहली बार अफ़गान तालिबान और पाकिस्तानी सेना का ड्युरंड लाईन पर इतना बड़ा संघर्ष होने का दावा किया जा रहा है| दिसंबर महीने में भी कुनार प्रांत में ही तालिबान और पाकिस्तानी सेना ने एक-दूसरें पर गोलीबारी की थी|

पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के बीच २,६४० किलोमीटर लंबी सीमा ड्युरंड लाईन के तौर पर विख्यात है| सौ साल पहले ब्रिटीश नागरिकों ने खींची यह ‘ड्युरंड लाईन’ हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है, ऐसा ऐलान अफ़गानिस्तान के हर एक राष्ट्राध्यक्ष ने किया था| तालिबान ने भी यही भूमिका बरकरार रखी है|

pak-military-durand-line-2मंगलवार की घटना के बाद, तालिबान ने रक्षामंत्री घोषित किए मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने पाकिस्तान को सख्त शब्दों में इशारा दिया| ड्युरंड लाईन को लेकर तालिबान और पाकिस्तान की चर्चा अभी भी जारी है| इस विवाद का हल निकला नहीं है| ऐसी स्थिति में तालिबान ने पाकिस्तान को इस क्षेत्र में तार की बाड़ लगाने की अनुमति प्रदान नहीं की है, यह बयान याकूब मुजाहिद ने ड़टकर किया है| इसलिए पाकिस्तान अपनी अनुमति के बिना तार की बाड़ भी नहीं लगा सकता, यही दिखाने की कोशिश तालिबान कर रहा है|

ड्युरंड लाईन एवं तेहरिक ए तालिबान, बलोच विद्रोही और अन्य मुद्दों पर तालिबान ने अपनाई भूमिका पाकिस्तान की चिंता बढ़ा रहीं है| छह महीनें पहले पाकिस्तान ने तालिबान को काबुल की सत्ता पर बिठाया था| साथ ही, तालिबान की सत्ता स्थापित करने में भी पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आईएसआई’ ने बड़ी भूमिका निभाने का दावा पाकिस्तानी माध्यमों ने किया था| लेकिन, सत्ता हासिल होने के बाद तालिबान हमें थोड़ी भी कीमत नहीं दे रहा है, इसका अहसास पाकिस्तान को होने लगा हैं|

इस पृष्ठभूमि पर ‘आईएसआई’ के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल नदीम अंजूम ने तुर्की में तालिबान विरोधी अफ़गान नेताओं से मुलाकात करने की जानकारी सामने आ रही है| इनमें अब्दुल राशिद खान दोस्तम, अत्ता मुहम्मद नूर और मुहम्मद मुहकिक जैसें कड़े तालिबान विरोधी नेताओं का समावेश होने का दावा अफ़गान अखबार ने किया है| अफ़गानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार का गठन करने के लिए पाकिस्तान तालिबान पर दबाव बना रहा है और ‘आईएसआई’ प्रमुख का यह दौरा इसी कारण था, ऐसा इस अखबार का कहना है| लेकिन, पाकिस्तान ने इसमें सच्चाई ना होने का बयान करके इस खबर को ठुकराया है|

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