भारत के विरोध में चीन का साथ देना पाकिस्तान के लिए महँगा साबित होगा – पाकिस्तानी गुटों की चेतावनी

इस्लामाबाद – भारत और चीन के बीच सीमा विवाद भड़का हुआ है और तभी पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में २० हज़ार सैनिक तैनात किए हैं। पाकिस्तान की यह तैनाती यानी भारत पर दबाव बढ़ाकर चीन की सहायता करने की साज़िश थी। अब पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह मेहमूद कुरेशी ने, इस क्षेत्र में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान चीन की हर संभव सहायता करेगा, ऐसा आश्वासन दिया है। चीन के विदेशमंत्री के साथ फोन पर हुई चर्चा के दौरान पाकिस्तानी विदेशमंत्री ने यह वादा किया। लेकिन, चीन के साथ सीमाविवाद में विश्‍व के सभी प्रमुख देश भारत के पक्ष में ड़टकर खड़े हुए हैं और ऐसें में चीन के साथ खड़ा रहना पाकिस्तान के लिए महँगा साबित होगा, ऐसी चेतावनी इस देश के कुछ गुटों ने दी होने की ख़बर है।

India-China-Pakistanलद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण सीमा पर भारत के विरोध में आक्रामक भूमिका अपना रहें चीन का, राजनीतिक स्तर पर बहिष्कार करने के लिए युरोपिय देशों ने तेज़ गतिविधियाँ शुरू की हैं। ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी इन प्रमुख देशों ने लद्दाख मामले में अपना समर्थन पूरी तरह से भारत को दिया है। आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को प्राप्त हो रहें समर्थन में बढ़ोतरी हो रही है और संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में भी इसकी गुँज सुनाई दे सकती है। ऐसी स्थिति में इस मोरचे पर यदि पाकिस्तान ने चीन से सहयोग किया, तो चीन के साथ पाकिस्तान को भी बड़ा नुकसान भुगतना पड़ेगा, ऐसी चिंता पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के कुछ लोगों ने व्यक्त की है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में तीव्र मतभेद होने की बात भी इससे सामने आयी है।

आनेवाले समय में चीन पाकिस्तान की ज़मीन पर भी हक जताने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, यह ड़र भी पाकिस्तान के कुछ गुट व्यक्त कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान के अन्य गुटों ने चीन की ‘चायना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) परियोजना की ही आलोचना की है। इस परियोजना को पाकिस्तान में हो रहा विरोध अनदेखा नहीं कर सकते, ऐसा इस गुट ने जताया है। इस वजह से, इम्रान खान की सरकार ‘सीपीईसी’ परियोजना को लेकर पुनर्विचार करें, यह माँग यह गुट कर रहा है।

इस परियोजना के ज़रिये चीन ने पाकिस्तान में किया हुआ भारी निवेश यानी ज़्यादा ब्याज़दरों से दिया हुआ कर्ज़ा है। इसका भुगतान करना पाकिस्तान के लिए कठिन होगा, इसका एहसास भी ये विश्‍लेषक दिला रहे हैं। लेकिन, यह ख़तरा उठाकर भी, चीन के साथ सहयोग करने के लिए पाकिस्तान सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के सामने अब और कोई चारा ही नहीं बचा है, ऐसी निराश प्रतिक्रिया इस देश के कुछ पत्रकार और विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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