चीन ने दिया त्रिपक्षीय चर्चा का प्रस्ताव भारत ने ठुकराया

नई दिल्ली: डोकलाम जैसा विवाद टालने के लिए भारत पाकिस्तान एवं चीन से त्रिपक्षीय चर्चा करें, ऐसी सलाह चीन के भारत में स्थित राजदूत लु झाओहुई ने दी थी| पर भारत ने उनकी मांग ठुकराई है| भारत और पाकिस्तान की समस्या द्विपक्षीय है और उसमें तीसरे किसीका भी हस्तक्षेप नहीं हो सकता, ऐसे स्पष्ट शब्दों में भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के राजदूत को फटकारा है|

चीन, त्रिपक्षीय चर्चा, प्रस्ताव, लु झाओहुई, भारत, ठुकराया, नई दिल्ली, पाकिस्ताननई दिल्ली में आयोजित किए एक कार्यक्रम में बोलते हुए चीन के राजदूत ने भारत को सूचक शब्दों में चेतावनी दी थी| डोकलाम जैसी समस्या फिर से निर्माण हुई तो वह बर्दाश्त नहीं की जा सकती, ऐसा कहकर चीन के राजदूत ने अपना देश आनेवाले समय में ऐसा विवाद निर्माण हुआ तो आक्रामक भूमिका लेेगा, ऐसे संकेत दिए है| यह टालने के लिए भारत ने पाकिस्तान एवं चीन के साथ त्रिपक्षीय चर्चा करने की सिफारिश राजदूत लु झाओहुई ने की थी| तथा इस बारे में प्रस्ताव भारत के दोस्त राष्ट्रो से आने का दावा भी राजदूत झाओहुई ने किया था|

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने चीन के राजदूत की यह मांग ठुकराई है| चीन से अधिकृत स्तर पर यह प्रस्ताव नहीं आया है| यह चीन के राजदूत का निजी मत हो सकता है, ऐसा दावा रवीश कुमार ने किया है| भारत एवं पाकिस्तान के बीच की समस्या द्विपक्षीय है और इसमें तीसरे किसीका भी हस्तक्षेप भारत को मंजूर नहीं, ऐसा कहकर रवीश कुमार ने इस संदर्भ में भारत की भूमिका स्पष्ट की है|

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में चीन ने अपने ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रकल्प (ओबीओआर) को भारत से समर्थन मिले ऐसी आग्रही मांग की थी| पर वह ओबीओआर का भाग होनेवाले चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर के भूभाग से जाती है| यह पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया भारत का भूभाग है इस इलाके पर भारत का अधिकार है, ऐसा भारत ने बारबार सूचित किया है| तथा चीन को भी भारत ने इसका एहसास दिला कर हम इस प्रकल्प को कभी भी समर्थन नहीं देंगे, ऐसा सूचित किया था|

पर यह मूलभूत सुविधाओं का प्रकल्प होकर इसका चीन के राजनैतिक धारणाओं से संबंध नहीं है| चीन की कश्मीर विषयक भूमिका इसकी वजह नहीं बदलेगी, ऐसा आश्‍वासन चीन से भारत को दिया जा रहा है| पर भारत ने चीन का यह प्रस्ताव मानने से स्पष्टरुप से इंकार किया है| ‘एससीओ’ की चीन में संपन्न हुई बैठक में भी भारत में अपने सार्वभौमत्व को चुनौती देनेवाले इस प्रकल्प का विरोध किया है|

उसके बाद चीन ने भारत पर दबाव डालने की और एक कोशिश करके देखा है| ‘ओबीओआर’ परियोजना के लिए चीन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है, ऐसा होते हुए भी भारत के शामिल होने तक यह प्रकल्प सफल नहीं हो सकता, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है| इसीलिए चीन सभी संभव रास्तों से भारत को समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है| चीन के राजदूत ने दिए त्रिपक्षीय चर्चा का प्रस्ताव भी इन्ही कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है|

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