‘सेमिकंडक्टर’ के क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन की कोशिश – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता

Semiconductor-Chinaबीजिंग – पिछले दशक से ‘५ जी’ से ‘आर्टिफिशिल इंटेलिजन्स’ तक के कई क्षेत्रों में चीनी कंपनियों ने बढ़त पाने की बात सामने आयी है। यह बढ़त अधिक मज़बूत करने के लिए चीन ने ‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्र की ओर अपना रुख किया है और चीनी कंपनियों ने सेमिकंडक्टर्स का निर्माण शुरू करने की बात भी सामने आ रही है। इस पर अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और इस क्षेत्र में चीन का वर्चस्व बड़ी खतरनाक बात हो सकती है, ऐसा इशारा इस क्षेत्र के विश्‍लेषक दे रहे हैं।

दो महीने पहले एक समारोह के दौरान इंटरनेट क्षेत्र की शीर्ष चीनी कंपनी अलिबाबा ने ‘यितियन ७१०’ नामक चिप पेश की थी। यह चिप ‘क्लाऊड कम्प्युटिंग’ के लिए इस्तेमाल होगी, ऐसा कंपनी ने कहा है। अलिबाबा के अलावा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की अन्य प्रमुख कंपनियों को भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश करने के लिए मज़बूर किया है। इनमें टेन्सेंट, बायडू और शाओमी कंपनियों का समावेश है। पिछले कुछ वर्षों में इन कंपनियों ने सेमिकंडक्टर क्षेत्र के अनुसंधान और विकास के लिए दोगुना निवेश किया है।

Semiconductor-China-01चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने सेमिकंडक्टर क्षेत्र के लिए की हुई पहल के पीछे दो मुद्दे ज़िम्मेदार होने की बात कही जा रही है। वैश्‍विक स्तर पर महासत्ता होने की महत्वाकांक्षा एवं पिछले कुछ वर्षों में पश्‍चिमी देशों के साथ अन्य देशों से छिड़ा व्यापार युद्ध का मुद्दा चीन की इन कोशिशों के कारण हैं। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महासत्ता की महत्वाकांक्षा से चीन ने पिछले दशक में महत्वाकांक्षी ‘मेड इन चायना पॉलिसी’ का ऐलान किया था। इस माध्यम से सूचना एवं प्रौदोगिकी, रोबोटिक्स जैसे क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के संकेत दिए थे।

निवेश बढ़ाने के साथ ही संवेदनशील प्रौद्योगिकी क्षेत्र की विदेशी कंपनियों का बड़ा हिस्सा प्राप्त करना एवं उनकी पूरी तकनीक हासिल करने का रवैया भी अपनाया गया था। लेकिन, स्मार्टफोन से सैटेलाईट तक के हर क्षेत्र के लिए अहम सेमीकंडक्टर क्षेत्र में इन कोशिशों को ज्यादा सफलता नहीं मिली। इस क्षेत्र में आज भी चीनी कंपनियाँ अमरीका, यूरोप और ताइवान जैसे देशों पर निर्भर हैं। सेमीकंडक्टर क्षेत्र की मौजूदा शीर्ष कंपनी ‘टीएसएमसी’ ताइवान की है। इसके अलावा इस क्षेत्र की १० प्रमुख कंपनियों में छह अमरिकी, दो कोरियन और एक यूरोपियन है।

Semiconductor-China-02फिलहाल चीन और पश्‍चिमी देशों में तनाव की पृष्ठभूमि पर सेमीकंडक्टर क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों से चीन को सहायता प्राप्त होने की थोड़ीसी भी संभावना नहीं है। इस वजह से शीर्ष ना होनेवाली लेकिन, सक्रिय अन्य कंपनियों से सहायता पाने के लिए आगे बढ़ने की कोशिश चीन काफी हद तक कर चुका है। अलिबाबा कंपनी ने पेश किए ‘चिप’ के लिए भी ब्रिटेन की ‘एआरएम’ कंपनी से सहायता प्राप्त की गई थी। लेकिन, इस कंपनी के पास उपलब्ध तकनीक और क्षमता सेमीकंडक्टर क्षेत्र का दायरा देखें तो काफी सीमित है। साथ ही सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए आवश्‍यक प्रक्रिया के लिए ज़रूरी प्रगत यंत्रणा की आपूर्ति फिलहाल यूरोपियन कंपनियां करती हैं। ‘एएसएमएल’ नामक इस कंपनी ने फिलहाल यह यंत्रणा चीन को देने के लिए इन्कार किया है।

इसके बावजूद चीन द्वारा इस क्षेत्र में हो रही कोशिश अंतरराष्ट्रीय समूदाय का ध्यान आकर्षित कर रही है। सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए आवश्‍यक ‘रेयर अर्थ मिनरल्स’ अर्थात दूर्लभ खनिजों के क्षेत्र में फिलहाल चीन का वर्चस्व है। इसका इस्तेमाल चीन सेमीकंडक्टर्स क्षेत्र में बढ़त हासिल करने के लिए कर सकता है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इसके साथ ही ‘५ जी’, ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’, ‘क्वांटम कॉम्प्युटिंग’, ‘रोबोटिक्स’, ‘मशिन लर्निंग’ जैसे क्षेत्रों में चीन ने प्राप्त की हुई बढ़त की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। पिछले हफ्ते ब्रिटेन के गुप्तचर प्रमुख ने इस मुद्दे पर इशारा देते हुए चीन से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में गतिविधियाँ अगले दशक में विश्‍व में भू-राजनीतिक गणितों को बदलेगी, ऐसा इशारा दिया था। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने ‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्र में शुरू की हुई कोशिश ध्यान आकर्षित कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.