‘एवरग्रैण्ड क्राइसिस’ की पृष्ठभूमि पर चीन की हुकूमत द्वारा देश के प्रमुख बैंकों की जाँच शुरू

बैंकों की जाँचबीजिंग – चीन के ‘रिअल इस्टेट’ क्षेत्र की प्रमुख ‘एवरग्रैण्ड’ कंपनी दिवालिया होने के संकट की पृष्ठभूमि पर शासक कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के प्रमुख बैंकों की जाँच शुरू की है। इनमें चीन की सेंट्रल बैंक के साथ ‘बिग फोर’ के तौर पर जानी जा रही प्रमुख सरकारी बैंकों का भी समावेश है। इन बैंकों ने चीन में सरकारी उपक्रमों के साथ निजी कंपनियों को प्रदान किए गए कर्जों की जाँच की जा रही है। चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ का प्रचंड़ भार पड़ा है और इस भार तले अर्थव्यवस्था ढ़ह सकती है, ऐसे इशारे अलग-अलग आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों ने दिए थे।

बीते वर्ष से चीन के संपत्ति एवं निर्माण कार्य क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ‘एवरग्रैण्ड’ के शेअर के मूल्य की ८० प्रतिशत से अधिक गिरावट हुई है। इस कंपनी पर कुल ३०५ अरब डॉलर्स के कर्ज़ का भार है और इसका भुगतान करने में कंपनी सक्षम ना होने के दावे किए जा रहे हैं। इस कंपनी ने कर्ज़े की तीन किश्‍तों का भुगतान नहीं किया है और अगले हफ्ते में कर्ज़ की चौथी किश्‍त कंपनी को चुकानी पड़ेगी। लेकिन, इससे पहले की तीन किश्‍तों का भुगतान करने में असफल होने से कंपनी चौथी किश्‍त का भी भुगतान नहीं कर पाएगी, ऐसा माना जा रहा है। ऐसा होने पर कंपनी को दिवालिया घोषित किया जाएगा, यह जानकारी सूत्रों ने प्रदान की है।

‘एवरग्रैण्ड’ के बाद चीन एवं हाँगकाँग के ‘रिअल इस्टेट’ क्षेत्र की कम से कम पांच कंपनियाँ मुश्‍किलों का सामना कर रही हैं। इनमें से दो कंपनियों ने कर्ज़ की किश्‍त का भुगतान नहीं किया है और अन्य कंपनियों से भी ऐसे ही संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसका चीन की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था में रिअल इस्टेट और संबंधित क्षेत्रों का हिस्सा लगभग ३० प्रतिशत है। दूसरी ओर चीन के बैंकों ने प्रदान किए हुए कर्ज़ों में भी सबसे अधिक डूबे हुए कर्ज़ भी इसी क्षेत्र को प्रदान होने की जानकारी सामने आ रही है।

बैंकों की जाँचइस पृष्ठभूमि पर चीन की हुकूमत ने देश की प्रमुख बैंकों की जाँच करना ध्यान आकर्षित करता है। चीन के ‘पीपल्स डेली’ नामक अखबार ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार देश के २५ प्रमुख बैंकों की जाँच होगी। चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी के ‘एण्टी करप्शन युनिट’ द्वारा यह जाँच की जाएगी और इसके लिए १५ दलों का निर्माण किया गया है। अगले दो महीनों में यह दल चीन के २५ बैंकों ने प्रदान किए गए कर्ज़ों की गहराई तक जाँच करेंगे, ऐसा कहा जा रहा है।

इस वर्ष के आरंभ में ही चीन में कर्ज़ का भार प्रचंड़ मात्रा में बढ़ने लगा और निजी क्षेत्र के दर्ज़े की भी गिरावट होने की बात सामने आयी थी। चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ का भार जीडीपी की तुलना में २८० प्रतिशत से अधिक होने की बात कही जा रहा है। इनमें से १६० प्रतिशत से अधिक कर्ज़ निजी क्षेत्र से जुड़ा है। चीन की सरकारी बैंकस्‌ एवं स्थानीय प्रशासनों ने वर्ष २००८-०९ की मंदी के बाद अनियंत्रित कर्ज़ प्रदान करना शुरू किया था। इसकी मात्रा अब घट गई है फिर भी कर्ज़ देना पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। कई आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों ने कर्ज़ के भार से चीन का बैंकिंग क्षेत्र धराशायी हो सकता है, ऐसे इशारे भी दिए हैं।

लेकिन, कर्ज़ का भार और उससे संबंधित खतरे कम करने के लिए चीन की हुकूमत ने किसी भी तरह के कदम ना उठाने की बात दिख रही है। बल्कि, बीते कुछ महीनों में चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत निजी उद्योग क्षेत्र पर अपनी पकड़ अधिक मज़बूत करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए नए सख्त नियम भी जारी किए गए हैं और निजी कंपनियों को सार्वजनिक एवं सामाजिक कार्य के लिए अधिक निधी प्रदान करने के निदेश भी दिए गए हैं।

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