हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक स्पर्धा भड़की है – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत

नई दिल्ली – हिंद महासागर क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी चीन ने की है, ऐसे संकेत रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने दिए। ‘हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक नज़रिये से अहम लष्करी अड्डे स्थापित करने की सामरिक होड़ जारी है। इस क्षेत्र में बाहरी शक्ति के १२० से अधिक युद्धपोत तैनात हैं’, ऐसे सूचक शब्दों में जनरल रावत ने चीन की विस्तारवादी नीति से बना खतरा रेखांकित किया।

अब तक हिंद महासागर क्षेत्र में शांति है। लेकिन, इस दौरान रणनीतिक नज़रिये से अहम स्थान प्राप्त करने की स्पर्धा चोटी पर जा पहुँची है, यह बात जनरल रावत ने स्पष्ट की। ‘ग्लोबल सिक्युरिटी समिट’ को संबोधित करते समय जनरल रावत ने इस स्पर्धा का अहसास कराया। काफी देश हिंद महासागर क्षेत्र के आर्थिक विकास का लाभ उठाने के लिए उत्सुक हैं। इसके लिए इस समुद्री क्षेत्र में ‘कनेक्टिविटी’ एवं ‘ब्ल्यू इकॉनॉमी’ यानी बुनियादी सुविधाओं के ज़रिये देशों के बीच यातायात बढ़ाना और समुद्री अर्थकारण बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए इस क्षेत्र के देशों की सहायता प्राप्त की जा रही है। इसमें इस क्षेत्र के एवं इस क्षेत्र के बाहर के देश काफी बड़ी रूचि दिखा रहे हैं, इन शब्दों में जनरल रावत ने हिंद महासागर क्षेत्र की अहमियत रेखांकित की।

general-bipin-rawatऐसी सभी कोशिशें यानी भू-राजनीतिक प्रभावक्षेत्र बढ़ाने की नीति का हिस्सा हैं, ऐसा सूचक बयान करके भारतीय रक्षाबलप्रमुख ने इसके पीछे का उद्देश्‍य स्पष्ट किया। ‘कंटेस्टिंग द इंडो-पैसिफिक फॉर ग्लोबल डॉमिनेशन’ विषय पर बोलते समय जनरल रावत ने पूरे विश्‍व का ध्यान आकर्षित करनेवाली जानकारी साझा की। बीते कुछ वर्षों से चीन की आर्थिक एवं लष्करी ताकत प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी है। उसी मात्रा में चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में रूचि भी बढ़ रही है, यह बात दर्ज़ करके जनरल रावत ने चीन की महत्वाकांक्षा की वजह से इस क्षेत्र के सामने नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं, इसका अहसास भी कराया।

हिंद महासागर क्षेत्र में फिलहाल इस क्षेत्र के बाहरी देशों के १२० से अधिक युद्धपोत अलग अलग मुहिमों के लिए तैनात हैं, यह बयान करके जनरल रावत ने वहां की स्थिति से अवगत कराया। इस क्षेत्र में अब तक शांति है, फिर भी अगले दिनों में यह शांति कायम रहने की संभावना नहीं है, यही बात जनरल रावत अलग शब्दों में बयान कर रहे हैं।

साथ ही इस शांति का भंग करनेवाली हरकतें चीन कर रहा है, ऐसे संकेत भी जनरल रावत के बयान से प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही इश क्षेत्र में हो रहा प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सकारात्म हो, यह तकनीक विध्वंस का स्रोत साबित ना हो, ऐसी उम्मीद जनरल रावत ने व्यक्त की है। साथ ही इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए एवं सुरक्षा के लिए अलग अलग यंत्रणा स्थापीत करके इसके लिए बहुपक्षीय सहायता प्राप्त की जा सकती है, यह विश्‍वास भी जनरल रावत ने व्यक्त किया।

हिंद महासागर क्षेत्र पर भारत का नैसर्गिक प्रभाव रहा है। लेकिन, बीते कुछ वर्षों से भारत के इस प्रभाव को चीन चुनौती दे रहा है। इसके लिए इस क्षेत्र के देशों का इस्तेमाल करने की कोशिश भी चीन ने की है। पैसिफिक क्षेत्र से हिंद महासागर क्षेत्र तक वर्चस्व स्थापित करने के लिए जारी चीन की हरकतें जागतिक स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा बन रही हैं। इस ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए हिंद महासागर से पैसिफिक क्षेत्र तक के क्षेत्र का समावेश होनेवाले ‘इंडो-पैसिफिक’ की कल्पना जापान, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया ने पेश की थी।

अमरीका ने वर्ष २०१८ में अपनी ‘पैसिफिक कमांड’ का नाम बदलकर ‘इंडो-पैसिफक कमांड’ किया था। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के आगे जाकर भारत जैसे जनतांत्रिक देश को पैसिफिक महासागर में भी अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी, ऐसा आवाहन अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं। इन चार देशों की ‘क्वाड’ संगठना अधिक से अधिक मज़बूत हो रही है और इससे चीन काफी हद तक बेचैन हो रहा है। इसी वजह से हिंद महासागर में भारत की घेराबंदी करने की चीन की कोशिश नाकाम हो रही है, ऐसा बयान भारतीय विश्‍लेषक कर रहे हैं। अगले दिनों में चीन जैसे देश को नियंत्रण में रखने के लिए भारत को ‘क्वाड’ में अपना सहयोग अधिक बढ़ाना होगा, यह निवेदन विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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