हिन्द महासागर मे भारत के साथ १६ देशों का युद्धाभ्यास

नई दिल्ली: भारत में ‘मिलान’ सागरी युद्धाभ्यास  का आयोजन किया है इस युद्धाभ्यास में १६ देश शामिल होने वाले हैं। सागरी परिवहन का मार्ग सुरक्षित रखने के लिए भारत इस युद्धाभ्यास का प्रभावी तौर पर उपयोग होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ते समय भारत ने आयोजित किया युद्धाभ्यास महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें मालदीव की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर भारत को इस सागरी युद्धाभ्यास द्वारा अपने नौदल का सामर्थ्य एवं प्रभाव का प्रदर्शन करने का अवसर उपलब्ध होगा ऐसा दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं।

कुछ दिनों पहले चीनी नौदल के छह विनाशीका हिंद महासागर क्षेत्र में दाखिल हुयी थी। फिलहाल मालदीव में इमरजेंसी जारी की गयी है। जिसकी वजह से मालदीव में जनतंत्रवाद खतरे में आने का दावा किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में भारत द्वारा लष्करी हस्तक्षेप कर के हुकुमशाह बने हुए मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला को सत्ता से नीचे खिंचा जाए, ऐसी मांग हो रही है। मालदिव के नेता एवं जनता यह मांग करते हुए, मालदीव के फिलहाल के राष्ट्राध्यक्ष के पीछे ठोस रूप से रहने वाले चीन ने भारत को इशारा दिया है। भारत मालदीव के सार्वभौमत्व का अनादर कर के हस्तक्षेप ना करें, ऐसा चीन ने सूचित किया है।

उस के बाद चीन ने अपनी विनाशीका हिंद महासागर क्षेत्र में भेजी थी। भारत पर दबाव लाने के लिए चीन ने यह कारवाइ  करने की बात कही जा रही थी। पर भारत ने चीन का यह दबाव ठुकराकर हिंद महासागर क्षेत्र में अपने नौदल का उपस्थिति बढ़ाई है। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने २ वर्ष में एक बार आयोजित किए जाने वाले मिलान युद्धाभ्यास की घोषणा की है। इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, मोरिशियस, म्यानमार, ओमान एवं मालदीव इन देशों के नौदल शामिल होंगे। भारतीय नौदल की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए यह अभ्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए देशों के नौदल के साथ सहयोग एवं समन्वय बढ़ेगा और सागरी क्षेत्र में अवैध कार्यवाहियों को अधिक समर्थ रूप से रोकना संभव होगा, ऐसा कहकर भारत ने इस युद्ध अभ्यास का महत्व रेखांकित किया है। तथा सागरी परिवहन की स्वतंत्रता अबाधित रखने के लिए यह अभ्यास महत्वपूर्ण होगा, ऐसा दावा भारत ने किया है। पिछले कई दिनों में हिंद महासागर क्षेत्र सेपॅसिफिक महासागर क्षेत्र तक देश संयुक्त रूप से चीन के खतरे का सामना करने की तैयारी कर रहा है, ऐसा स्पष्ट हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॅल्कम टर्नबुल में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प को इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में अमरिका का प्रभाव कायम रखने का आवाहन किया था। तथा ऑस्ट्रेलिया, अमरिका, जापान की तथा भारत की सहायता लेकर चीन के पॅसेफिक क्षेत्र के दांवपेच को मात देने की तैयारी होने की खबरें प्रसिद्ध हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष को किया आवाहन ध्यान केंद्रित करने वाला है।

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