हिंद महासागर क्षेत्र जागतिक गतिविधियों का केंद्र बन रहा है – रक्षा सचिव अजय कुमार

नई दिल्ली – वर्तमान में साउथ चायना सी के क्षेत्र में काफ़ी बड़ी उथल-पुथल हो रही है। ऐसें में अब हिंद महासागर का क्षेत्र भी जागतिक गतिविधियों का केंद्र बन रहा है। यह ध्यान में रखकर भारत को, समुद्री क्षेत्र से संबंधित अर्थव्यवस्था को गति देकर अपनी क्षमता को विकसित करना होगा, यह बयान रक्षा सचिव अजय कुमार ने किया है। हिंद महासागर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी में रहें चीन को रोकने की तैयारी भारत को करनी होगी, यही बात रक्षा सचिव अलग शब्दों में बयान कर रहे हैं। ‘मनोहर पर्रीकर इन्स्टिट्युट ऑफ डिफेन्स स्टडीज्‌’ इस अभ्यासगुट ने आयोजित किए एक कार्यक्रम में रक्षा सचिव अजय कुमार बोल रहे थे।

साउथ चायना सी के क्षेत्र में फिलहाल तनाव का माहौल बना है और चीन इस पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना अधिकार जता रहा है। इस वज़ह से इस क्षेत्र के अन्य देश चीन के विरोध में एक हुए हैं और अमरीका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया ये देश चीन के विरोध में खड़े हुए इन छोटे देशों को अपना समर्थन दे रहें हैं। अमरिकी नौसेना की गश्‍त भी इस क्षेत्र में शुरू है और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना भी इस क्षेत्र में गश्‍त करके चीन की मग़रूरी को जवाब दे रही है। ऐसी काफ़ी बड़ी गतिविधियाँ हो रहें साउथ चायना सी के बाद हिंद महासागर भी ऐसी ही गतिविधियों का केंद्र बन रहा है, यह रक्षा सचिव अजय कुमार ने किया बयान सूचक साबित होता है। इसके ज़रिये, चीन हिंद महासागर क्षेत्र में भी अपनी महत्वाकांक्षा का विस्तार कर रहा है, यही संकेत अजय कुमार ने दिए हैं।

चीन ने गहरें समुद्र में मछली पकड़ने की तकनीक प्राप्त की हैं और इसका काफ़ी बड़ा लाभ चीन के मछुआरें उठा रहें हैं। साथ ही, समुद्री संपत्ती से संबंधित अर्थव्यवस्था का चीन ने योजनाबद्ध तरीक़े से विकास किया है। लेकिन इस मोरचे पर भारत अभी भी काफ़ी पीछे रह गया हैं। भारतीय मछुआरे गहरे समुद्र में जाकर मछली पकड़ नहीं सकते। क्योंकि इसके लिए आवश्‍यक तकनीक उनके पास नहीं है। इसके अलावा, गहरे समुद्र में मछली मकड़ने के लिए आवश्‍यक सुरक्षा की व्यवस्था भी अभीतक उनके लिए उपलब्ध नहीं है। इस कारण भारत अभी भी अपने विशेष समुद्री आर्थिक क्षेत्र का भी पूरी तरह से लाभ उठा नहीं सका है। लेकिन, आनेवाले समय में भारत को यह क्षमता विकसित करनी होगी। सिर्फ मछली पकड़ने के लिए, बल्कि समुद्री खनिज एवं साधन संपत्ति का खनन करने के लिए भी भारत को कदम उठाने होंगे, यह बात रक्षा सचिव अजय कुमार ने कही है। इसके लिए भारत को, गहरे समुद्री क्षेत्र से संबंधित अर्थकारण को गति देनी होगी, यह उम्मीद भी रक्षा सचिव ने इस दौरान व्यक्त की। इसमें भारतीय नौसेना की भूमिका काफ़ी अहम होगी, ऐसे संकेत भी अजय कुमार ने दिए हैं। सिर्फ नौसेना ही नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना को भी समुद्री क्षेत्र से संबंधित अपनी क्षमता में बढ़ोतरी करनी होगी, यह बात रक्षा सचिव ने कही है। बहुत ही गिनेचुने एवं सूचक शब्दों में रक्षा सचिव अजय कुमार ने, हिंद महासागर क्षेत्र को चीन की वर्चस्ववादी नीति से बना खतरा सामने रखा हुआ दिख रहा है। पिछले कुछ हफ़्तों में हो रहीं गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, अजय कुमार ने किए इस बयान की काफ़ी बड़ी सामरिक अहमियत साबित होती है।

विश्‍व के प्रमुख देश कोरोना वायरस की महामारी का मुकाबला करने में व्यस्त हैं और इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन साउथ चायना सी एवं हिंद महासागर के क्षेत्र में अपनी नौसेना की यातायात बढ़ा रहा है। हाल ही में इससे संबंधित ख़बरें प्रकाशित हुईं थीं। लेकिन, चीन से होनेवाला ख़तरा पहचानकर अमरीका एवं ऑस्ट्रेलिया ने साउथ चायना क्षेत्र में अपनी गश्‍त बढ़ाई है। वहीं, हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना बड़ी सावधानी से चीन की हरकतों पर नज़र रखे हैं। आनेवाले समय में, इस समुद्री क्षेत्र में अपनी सुरक्षा एवं हितसंबंध सुरक्षित रखने के लिए भारत को अधिक आक्रामक भूमिका अपनानी होगी और इसके लिए चीन से टक्कर लेने की भी तैयारी रखनी होगी, यही बात स्पष्ट होती दिख रही है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने यही बात कूटनीतिक भाषा में रखी हुई दिख रही है।

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