भारतीय रक्षाबलप्रमुख का चीन को सख्त इशारा

नई दिल्ली – लद्दाख में स्थित ‘एलएसी’ को लेकर भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देशों के बीच हुई आठवें चरण की चर्चा किसी भी सहमति के बगैर खत्म हुई। इस चर्चा के दौरान भारत अप्रैल महीने से पहले की स्थिति दुबारा स्थापित हो, इस माँग पर ड़टकर कायम रहा। लेकिन, चीन यह माँग स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। बल्कि, भारत ही अपनी सेना पीछे हटाए, इस पर चीन कायम रहा। इस चर्चा से पहले भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने चीन को ‘एलएसी’ की स्थिति में बदलाव करने की कोशिश करने पर भयंकर परिणामों का सामना करना पडेगा, ऐसी कड़ी चेतावनी दी थी।

लद्दाख की ‘एलएसी’ पर तैनात किए गए प्रगत हथियार भारत पीछे हटाए, यह प्रस्ताव चीन ने रखा था। लेकिन, ‘एलएसी’ पर अप्रैल से पहले जैसी स्थिति स्थापित हुए बगैर चीन की कोई भी माँग स्वीकार नहीं की जाएगी, यह बात भारत ने चीन को ड़टकर सुनाई। इस वजह से उम्मीद के अनुसार सीमा विवाद की आठवें चरण की चर्चा भी इस विवाद का हल निकालने में नाकाम साबित हुई। यह चर्चा शुरू होने से पहले भारत के रक्षामंत्री ने एवं रक्षाबलप्रमुख ने चीन को सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी।

भारत शांतिप्रिय देश है लेकिन, भारत अपनी संप्रभुता से बिल्कुल समझौता नहीं करेगा, यह बयान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। अलग शब्दों में भारत को अनुमत समझने की गलती चीन ना करे, यह इशारा रक्षामंत्री ने चीन को दिया है। इसके आगे जाकर रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने चीन को अधिक सख्त शब्दों में संदेश दिया है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन ने दुःसाहस किया तो जिस बात की कल्पना भी नहीं की होगी ऐसी स्थिति का सामना चीन की सेना को करना पड़ेगा, यह बयान जनरल रावत ने किया है। प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर किसी भी तरह का बदलाव हमें मंजूर नहीं है और इसको लेकर भारतीय सेना की भूमिका काफी स्पष्ट है, यह बात भी जनरल रावत ने आगे कही।

लद्दाख में लंबे समय से डेरा जमाने की तैयारी चीन की सेना ने भी की है। यहां की ठंड़ के लिए आवश्‍यक कपड़ों की चीन ने अपने सैनिकों के लिए आपूर्ति की है, ऐसी खबरें प्राप्त हुई हैं। लेकिन, इससे पहले ही यहां पर तैनात चीनी सैनिक बड़ी संख्या में बीमार होने की खबरे प्रसिद्ध हुई थीं। इस पृष्ठभूमि पर चीन इस तैयारी में जुटा हुआ दिख रहा है। ऐसा होने के बावजूद भारतीय सेना चीन के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है और यहां पर संघर्ष भड़का तो भारतीय सैनिक चीन को सबक सिखाएंगे, यह बात पश्‍चिमी सामरिक विश्‍लेषक भी स्वीकार कर रहे हैं। इसी दौरान चीन की आक्रामकता को लष्करी और राजनीतिक स्तर पर भारत ने जोरदार प्रत्युत्तर दिया है, ऐसा पश्‍चिमी माध्यमों का कहना है। इसका असर दिखाई देने लगा है और चीन के छोटे पड़ोसी देशों ने भी भारत के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाने के लिए पहल की है। वहीं, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ काफी अहम लष्करी समझौते करके चीन पर सामरिक दबाव अधिक बढ़ाया है। इसी वजह से भारत को आसानी से परास्त करने की धमकियां दे रहे चीन की भाषा में अब बड़ा बदलाव हुआ दिखाई दे रहा है।

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