भारत एवं अमरिका रक्षा विषय में संयुक्त प्रकल्प शुरू करें – अमरिका के भूतपूर्व अधिकारी का आवाहन

वॉशिंगटन: भारत और अमरिका ने रक्षाक्षेत्र में संयुक्त प्रकल्प के बारे में गतिमान निर्णय ले एवं यह प्रकल्प सही समय पर कार्यान्वित करें, ऐसी अपेक्षा अमरिका के भूतपूर्व अधिकारी ने व्यक्त की है। अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सहयोगी देशों को अमरिका के अंतर्गत रक्षा साहित्य एवं तंत्रज्ञान प्रदान करने के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय हालही में लिया था। इस पृष्ठभूमि पर ओबामा प्रशासन के समय में भारत एवं अमरिका में हुए रक्षा करार में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले वेबस्टर ने व्यक्त की हुई अपेक्षा इस समय महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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अमरिका के अति प्रगत तंत्रज्ञान का भारत को हस्तांतरण करने के बारे में डिफ़ेंस ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव (डीटीटीआई) करार २०१५ वर्ष में हुआ था। इस करार के अनुसार अमरिका से भारत को संवेदनशील एवं अति प्रगत तंत्रज्ञान प्रदान होने वाला है। पर यह करार होने पर भी दोनों देशों में रक्षा विषयक साहित्य निर्माण करनेवाले संयुक्त प्रकल्प निर्माण नहीं हुए हैं। यह प्रक्रिया गतिमान करने के लिए दोनों देशों ने प्रयत्न करने चाहिए ऐसा वेबस्टर ने आगे कहा है।

ऐसे संयुक्त प्रकल्प के बारे में भारत एवं अमरिका के सरकार ने गतिमान निर्णय ले एवं उन्हें जल्द गति से कार्यान्वित करें, ऐसी मांग की वेबस्टर ने की है। केवल संयुक्त प्रकल्प कार्यान्वित करके भारत एवं अमरिका स्वस्थ नहीं बैठे बल्कि संयुक्त रुप से एक दूसरे की सामरिक क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक निर्णय लें। यह कैसा करना है, इसका पर्याप्त अनुभव अमरिका को है। अमरिका ने इससे पहले भी दुनियाभर में इसका उपयोग किया है, ऐसा ध्यान केंद्रित करने वाले विधान वेबस्टर ने किए हैं।

दौरान राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने कई दिनों पहले घोषित किए निर्णय के अनुसार आनेवाले समय में अमरिका अपने मित्र देशों को प्रगत रक्षा साहित्य प्रदान करनेवाला है। इसका बहुत बड़ा लाभ भारत को मिलने का दावा किया जाता है। विशेष रूप से अति प्रगत ड्रोंस एवं उनके तंत्रज्ञान भारत को मिलने वाले हैं। तथा भारत की सुरक्षा के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण बात हो सकती है। साथ ही इस क्षेत्र के प्रगत तंत्रज्ञान एवं रक्षा साहित्य भारत को उपलब्ध होने पर गतिमान लष्करी प्रगति करते हुए चीन को रोकना भारत के लिए आसान हो सकता है।

अमरिका इसके लिए अनुकूल होने के संकेत इससे पहले भी मिले थे, पर इस सहयोग के आड भारत के कामकाज का रवैय्या आ रहा है, ऐसी शिकायत अमरिका ने की थी। तथा भारत इस बारे में निर्णय लेते हुए अपने विदेश धारणा का संतुलन रखने का प्रयत्न कर रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

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