भारत एवं अमरिकी रक्षा मंत्री का हॉटलाइन द्वारा सीधा संवाद होगा

नई दिल्ली – भारत और अमरिका के रक्षा मंत्रियों के दौरान हॉटलाइन शुरू होने वाली है। दोनों देश इसके लिए तैयार हुए हैं और आनेवाले दिनों में इसकी घोषणा हो सकती है। अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर तत्काल संवाद और दोनों देशों में रक्षादल का सहयोग बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

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दोनों देशों में संवाद बढ़ रहा है, तभी भारत और अमरिका जल्द ही ‘कम्युनिकेशन कैपेबिलिटी और सिक्योरिटी अग्रीमेंट’ कॉमकासा पर हस्ताक्षर करनेवाले हैं। इस करार की वजह से अमरिका सुरक्षा दल को उपयोग होंगे ऐसे संपर्क और सुरक्षा विषयक उपकरणों का भंडार भारत को दे सकता है।

हालही में अमरिका ने भारत को ‘स्ट्रैटेजिक ट्रेड आर्गेनाइजेशन-वन’ (एसटी-१) का दर्जा दिया है। इसकी वजह से अमरिका भारत को संवेदनशील तंत्रज्ञान और शस्त्रास्त्र प्रदान कर सकता है। इसकी वजह से अमरिका ने भारत को प्रमुख धारणात्मक साझेदार के तौर पर घोषित किया है। अब रक्षा मंत्रियों के दौरान शुरू होनेवाली हॉटलाइन और कॉमकासा करार की वजह से दोनों देशों में रक्षा सहयोग अधिक दृढ़ होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। आनेवाले महीने में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों में और रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ चर्चा हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर आए हुए इस खबर का महत्व बढ़ा है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से प्रसिद्ध हुए इस खबर के अनुसार दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों में हॉटलाइन शुरू करने का निर्णय हुआ है। अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर तत्काल और सीधा संवाद करने के लिए और इस प्रक्रिया में राजनैतिक बाधाएं दूर हो इसके लिए हॉटलाइन के स्थापित करने का हेतू होने की बात कही जा रही है।

सन २००८ वर्ष में अमरिका ने पहली बार दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के दौरान हॉटलाइन का प्रस्ताव रखा था। उस समय यह सहयोग आगे नहीं गया था। पर सन २०१५ में अमरिका ने फिर एक बार भारत को इसका प्रस्ताव दिया है। उसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों में पहली बार हॉटलाइन शुरू करने का निर्णय हुआ है।

फिलहाल अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल इनके दौरान हॉटलाइन शुरू हुआ है। उसके बाद भारत के विदेशमंत्री निर्मला सीतारामन और अमरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस इनके दौरान हॉटलाइन शुरू होने वाला है। इन दोनों देशों में धारणात्मक सहयोग अधिक व्यापक होंगे एवं सामरिक स्तर पर उसका बहुत बड़ा परिणाम हो सकता है।

पिछले कई वर्षों से चीन के इंडो पैसिफिक सागर क्षेत्र में कार्यवाहियों में चिंताजनक रूप से बढ़त हो रही है। इसकी वजह से भारत के साथ अमरिका के हितसंबंधों को झटके लग रहा हैं और अमरिका के निकटतम मित्र देशों की सुरक्षा इसके वजह से खतरे में आ रही है। उस समय चीन ने इस क्षेत्र में छोटे देशों को अपने कर्ज के चंगुल में फंसाकर उनके लष्करी अड्डों का उपयोग करने का षड्यंत्र रचने की बात सामने आ रही है।

इसकी वजह से आनेवाले किसी भी क्षण में चीन आकस्मिक गतिविधियों द्वारा भारत और अमरिका के सुरक्षा विषयक हितसंबंधों को झटका दे सकता है। यह क्षमता विकसित करने के लिए चीन कर रहे प्रयत्न गंभीर होकर उसे प्रत्युत्तर देने के लिए भारत एवं अमरिका ने अपने सभी स्तर पर सहयोग दृढ़ किए हैं। दोनों देशों में वरिष्ठ स्तर पर किसी भी प्रक्रिया का बाधा ना आने के लिए हॉटलाइन प्रस्थापित करने का भारत एवं अमरिका का निर्णय चीन की गतिविधियाँ आंखों के सामने रखकर लिए जाने की बात स्पष्ट हो रही है। महत्वपूर्ण मुद्दों पर समय लगाते हुए निर्णय लेने की एवं आवश्यक जानकारी तत्काल प्रदान करने की व्यवस्था हॉटलाइन द्वारा विकसित होनेवाली है और इसका लाभ भारत और अमरिका को मिलने वाला है।

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