डोकलाम का विवाद चर्चा से मिट सकता है- विदेशमंत्री सुषमा स्वराज

नई दिल्ली: अमरिका और रशिया भारत को एकही समय में सहायता कर रही है। इस्राइल भारत का मित्र देश होते हुए, पैलेस्टाईन और अरब देश भी भारत से अच्छा संबंध बनाए हैं। ब्रिटन एवं युरोपीय महासंघ से भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध है। यह भारत के विदेश मंत्रालय को मिली बड़ी सफ़लता है यह भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा। राज्य सभा में विदेश नीतियों पर आयोजित चर्चा में विदेशमंत्री स्वराज ने चीन का डोकलाम का सीमा विवाद चर्चा से मिट सकता है यह कहते हुए पाकिस्तान के संबंधो तक सभी मुद्दों पर भारत की भूमिका स्पष्ट की है।

राज्य सभा की इस चर्चा में कई सदस्यों ने प्रश्न उपस्थित किये। ‘डोकलाम’ विवाद का मुद्दा लेकर सरकार के पास चीन के विषय में सुस्पष्ट भूमिका न होने की टीका विरोधी पक्ष नेताओ ने की। साथ ही यह विवाद बढ़ने पर भारत ने अपनी रक्षासिद्धता बढ़ाये यह मांग भी विरोधी पक्ष ने की। पाकिस्तान के विषय में भारत की नीती अस्पष्ट और दिशाहीन होने की टीका चर्चा में हुई। विदेशमंत्री स्वराज ने सभी विदेश नीतियों पर हुए आक्षेपों पर विस्तारपूर्वक उत्तर दिया।

“युद्ध से कोई समस्या हल नहीं हो सकती और युद्ध का निर्णय होने के बाद भी चर्चा से ही मार्ग निकालना पड़ता है, इसलिए युद्ध न करते, सिर्फ़ चर्चा से समस्या सुलझाना ही होशियारी है’ यह सटीक शब्दों में विदेशमंत्री स्वराज ने भारत और चीन विवाद पर भारत की भूमिका स्पष्ट की है। राजनैतिक चर्चा के माध्यम से चीन विवाद मिट सकता है यह विश्वास स्वराज ने व्यक्त किया। पिछले कई सालों में चीन ने भारत में बड़ी संख्या में निवेश किया है भारत का चीन से भी हित संबंध है यह बात स्वराज ने याद दिलाई। भुतान यह भारत का मित्रदेश है और भारत उसके मामले में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी यह स्वराज ने स्पष्ट किया।

भारत ने पाकिस्तान के सामने भी मित्रता का हाथ आगे किया था। लेकिन बुरहान वाणी जैसे आतंकवादी का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने बतौर स्वतंत्रता सेनानी उल्लेख किया और इसिलिये बाद भारत ने अपनी भूमिका सख्त कर दी यह कहते हुए स्वराज  ने इस नीती का समर्थन किया। साथ ही ग़लत नीतियों की वजह से भारत विदेशियों में अकेला पड़ गया है यह आरोप विरोधी पक्ष नेताओ ने किया जिसे स्वराज ने अस्वीकार किया। शीत युद्ध के समय में अमरिका पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा था और रशिया भारत को सहायता दे रहा था, पर अब आतंकवाद के मुद्दे को लेकर अमरिका और रशिया दोनों भारत के समर्थन में सहायता कर रहे हैं। रशिया आज भी भारत का निकटतम सहयोगी देश होकर रशिया के नेता और अधिकारियों ने हालही में भारत के लिए किये विधानों का स्वराज ने दाखिला दिया। भारत ने इस्राइल से मित्रतापूर्ण संबंध प्रस्थापित किये है पर पैलेस्टाईन के हक की मांग अधूरी नहीं छोड़ी है यह बयान स्वराज ने दिया।

येमेन के संघर्ष में सऊदी अरब ने भारत के प्रधानमंत्री की विनती पर कुछ समय के लिए युद्ध रोक दिया था। जिस के कारण येमेन में फंसे भारतीय नागरिकों के साथ अन्य फंसे विदेशी नागरिकों को भी भारत ने रिहा किया। यह भारत के विदेश नीतियों की सफ़लता है कहकर स्वराज ने इन विषयों पर ध्यान आकर्षित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.