श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा

mahinda-rajapaksa-resign-1 कोलंबो – राष्ट्र पर छाए अभूतपूर्व अर्थिक संकट के कारण जनता में असंतोष उग्ररूप धारण कर रहा है तभी श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दिया है। अपनी इस्तीफा से आर्थिक संकट का निवारण होता होगा इसके लिए हम इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, ऐसा कहकर प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष गोताबाया राजपक्षे को सौंपा। जब वे इस्तीफा दे रहे थे तब राजधानी कोलंबो समेत कुछ शहरों में हिंसाचार हुआ। क्रोधित निदर्शकों के हमले की वजह से एक संसद सदस्य की मृत्यु हुई है। निदर्शकों ने सत्ताधारी पक्ष के संसद सदस्य का घर जला दिया।

कोरोना का संक्रमण एवं रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर श्रीलंका के समक्ष आर्थिक संकट अधिकाधिक गंभीर होता जा रहा है। श्रींलंका का विदेशीमुद्रा भंडार एक अरब डॉलर्स से नीचे चला गया। इससे कुछ दिनों के आयात का खर्च भी नहीं हो पाएगा। इस राष्ट्र पर २० अरब डॉलर्स से अधिक विदेशी कर्ज का बोझ है। इसके कारण यह राष्ट्र लगभग दिवालिया हो गया है और सरकार ने विदेशी कर्ज लौटाने में असर्थता दर्शाई है। विदेशी चलन की कमतरता के कारण आयात रुक गया है और जीवन उपयोगी वस्तुओं समेत दवाईयां एवं ईंधन के दर सामान्य लोगों की क्षमता से परे जा चुके हैं। सामन्य नागरिकों को कई घंटे कतार में खडे रहने की नौबत आन पडी है और छोटी-छोटी चीज़ों के लिए मारपीट हो रही है।

mahinda-rajapaksa-resign-2श्रीलंका की इस स्थिति के लिए पिछले दो दशक सियासत में वर्चस्व वाले राजपक्षे परिवार जिम्मेदार होने की भावना श्रीलंकन जनता के मन में है। श्रीलंकन नागरिकों के असंतोष का विस्फोट हुआ है और पिछले एक महीने से राजधानी कोलंबो में तीव्र निदर्शन हो रहे हैं। इन निदर्शनों को रोकने के लिए पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री राजपक्षे ने आपात स्थिति की घोषणा की थी। इसके बावजूद जनता का जोश कम नहीं हुआ बल्कि, हिंसक प्रतिक्रियाएं उमड रही हैं। 

प्रधान मंत्री राजपक्षे इस्तीफा ना दें इसके लिए समर्थकों ने रविवार को कोलंबो में निदर्श किए। तब सरकारविरोधि निदर्शकों पर हमले किए गए। इसलिए निदर्शक अधिक भडके और उन्होंने सरकार में मंत्री और सत्ताधारी पक्ष के सदस्यों के घरों पर हमले किए। कोलंबो में सत्ताधारी पक्ष के समर्थकों को ले जानेवाली एक बस पर जेसीबी वाहन की सहायता से हमला भी किया गया। हिंसाचार की घटनाओं में सत्ताधारी पक्ष के संसद सदस्य अमरकीर्ति अथुकोराला की मौत होने की जानकारी दी गई है।

श्रीलंका की आर्थिक दुर्दशा के लिए चीन ने ’बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ अंतर्गत चलाए हुए प्रकल्प और इसके लिए दिए गए महंगे कर्ज एक प्रमुख घटक हैं, ऐसा कहा जा रहा है। पर चीन ने अपने पर लगाए गए सारे आरोप खारिज किए हैं।

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