पूर्व लद्दाख के एलएसी की स्थिति अभी भी नाजुक और खतरनाक – विदेश मंत्री एस.जयशंकर का इशारा

नई दिल्ली – ‘एसएसी’ पर शांति और सौहार्दता को खतरे में धकेलकर भारत से किए समझौता तोड़कर चीन कुछ भी नहीं हुआ हो, ऐसे बर्ताव में भारत से सहयोग करने की उम्मीद नहीं रख सकता। भारत ने इसका अहसास चीन को कराया है। पूर्व लद्दाख के ‘एलएसी’ की स्थिति अभी भी नाजुक और खतरनाक हैं। क्यों कि, इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेना एक-दूसरे से काफी करीब तैनात हैं’, ऐसा इशारा विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया। 

पूर्व लद्दाखनई दिल्ली में एक समाचार चैनल ने आयोजित किए समारोह में विदेश मंत्री जयशंकर बोल रहे थे। सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक ही दिन पहले एलएसी की स्थिति फिलहाल स्थिर होने के बावजूद इसपर बारीकी से नज़र बनाए रखने की ज़रूरत होने का बयान किया था। अलग शब्दों में चीन पर भरोसा नहीं कर सकते, ऐसा संदेश सेनाप्रमुख जनरल पांडे ने दिया था। शनिवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने इसपर देश की भूमिका राजनीतिक भाषा में बयान की।

साल १९८८ में भारत के उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन का दौरा किया था। इसके बाद १९८८ से २०२० तक भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर शांति और सौहार्द कायम थी। दोनों देशों ने यह स्थिति बनाए रखने के लिए कुछ निर्णय किए थे। लेकिन, गलवान घाटी के संघर्ष के बाद स्थिति बदल गई, ऐसे सीधे शब्दों में जयशंकर ने चीन पर हमला किया। सीमा पर भारी मात्रा में सैन्य तैनाती और सीमा समझौतों का उल्लंघन करके भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग करने की उम्मीद चीन नहीं रख सकता, ऐसा इशारा विदेश मंत्री ने इस दौरान दिया। 

साल २०२० में उस समय के चीन के विदेश मंत्री वैंग ई से हमारी एलएसी के मुद्दे पर सहमति भी हुई थी। लेकिन, एलएसी पर यह समझदारी नहीं दिखी, ऐसा कहकर चीन सीर्फ जुबानी स्तर पर भारत को राहत देकर इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करने में जुटा होने के संकेत दिए। हाल ही में आयोजित ‘जी २०’ बैठक की पृष्ठभूमि पर चीन के मौजूदा विदेश मंत्री क्विन गैन्ग से भी हमारी चर्चा हुई थी। लेकिन, उसके बाद भी एलएसी संबंधित चीन की नीति में बदलाव नहीं हुआ हैं, इसपर विदेश मंत्री ने ध्यान दिया।

इस वजह से भारत और चीन के ताल्लुकात चुनौतियों से भरे और असाधारण स्थिति में हैं। चीन इस तरह से अपना अडियल रवैया छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और ऐसे में भारत ने ‘एलएसी’ को लेकर पुख्ता भूमिका अपनाई हैं, ऐसा जयशंकर ने स्पष्ट किया।

एलएसी पर दोनों देशों की सेना इतने करीब तैनात है, यह बात सैन्यकी नज़रिये से घातक समझी जाती है। वहां की स्थिति बड़ी संवेदनशील और खतरनाक हैं और किसी भी क्षण वहां संघर्ष छिड़ सकता हैं, इसपर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसे होते हुए भारत के साथ संबंध सामान्य होने के चीन कर रहे दावों का कुछ भी मतलब ना होने की बात पर भारत ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। अपनी छबि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मलिन ना हो सके, इसके लिए भारत के साथ अपने संबंध अबाधित होने का दावा चीन कर रहा हैं। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोलते हुए भारत के विदेश मंत्री ने भारत-चीन संबंध सामान्य ना होने का स्पष्ट बयान किया था। इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान लिया जा रहा हैं।

यह होने के बावजूद चीन के साथ जारी सीमा विवाद में किसी भी अन्य देश की मध्यस्थता नहीं स्वीकारेगा, यह भी भारत ने स्पष्ट किया है। भारत की इस भूमिका की चीन ने सराहना की थी। लेकिन, एलएसी के करीब अपनी तैनाती हटाकर वहां का तनाव कम करने के लिए चीन तैयार नहीं हैं। इस वजह से चीन इसे अपने प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाता दिख रहा हैं। 

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