रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं बल्कि देश की आवश्यकता है – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

लखनऊ – वर्ष १९७१ के युद्ध में भारतीय सेना को हथियारों की बड़ी आवश्यकता थी। लेकिन, हथियारों की आपूर्ति करने वाले देशों ने भारत को हथियार देने से इनकार किया। वर्ष १९९९ के कारगिल युद्ध में भी भारतीय रक्षा बलों को बड़ी मात्रा में हथियारों की ज़रूरत थी। उस समय भारत की सहायता करने के बजाय कुछ देशों ने शांति के उपदेश दिए। भारत को यह सहायता मुहैया करने से इनकार करने वाले उन देशों के नाम सार्वजनिक नहीं करने हैं। लेकिन, इससे आत्मनिर्भरता भारत के लिए एक विकल्प नहीं हैं, यह स्पष्ट हो रहा है। बदलती वैश्विक स्थिति में यह मुद्दा अधिक तीव्रता से सामने आ रहा है, ऐसा स्पष्ट बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।  

आत्मनिर्भरतालखनऊ में आयोजित रक्षा संबंधित चर्चा में रक्षा मंत्री ने यह बयान किया। वर्ष १९७१ और १९९९ में भारत ने प्राप्त किए अनुभव का दाखिला देकर आत्मनिर्भरता की अहमियत खास तौर पर रक्षा क्षेत्र में आवश्यक आत्मनिर्भरता की अहमियत रेखांकित की। देश ने इस दिशा में अहम कदम बढ़ाए हैं, यह कहकर रक्षा मंत्री ने इसपर संतोष व्यक्त किया। लेकिन, बदलते दौर की युद्ध नीति और रक्षा सामान एवं हथियारों में काफी बड़े बदलाव हुए हैं। इससे देश के सामने रक्षा संबंधित नई चुनौतियां खड़ी हुई है, इसका अहसास भी रक्षा मंत्री ने कराया।

मौजूदा दौर के अधिकांश हथियार इलेक्ट्रिक सिस्टीम पर आधारीत हैैं। विदेशों से आयात किए इन हथियारों के कारण संवेदनशील जानकारी अन्य देश तक पहुंच सकती है। इस वजह से उन्नत हथियारों की भी कुछ मर्यादा हो सकती है। इसी वजह से इसके आगे जाकर हमें इन हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बड़ा आवश्यक है। क्यों कि, उन्नत हथियार और रक्षा सामान की युद्ध में सैनिकों के शौर्य उतनी ही अहमियत होती है। भारत को विश्व में बड़ी ताकतवर सैन्य शक्ति बनना है तो रक्षा सामान और हथियारों का देश में ही निर्माण करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है। वह देश की ज़रूरत बनी है, ऐसा रक्षा मंत्री ने कहा।

देश में बने हथियार और रक्षा सामान किफायती होते ही हैं, इसके अलावा इससे देश के उद्योग क्षेत्र को काफी बड़े लाभ प्राप्त होते है, इसपर भी रक्षा मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडू में सरकार डिफेन्स इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर (डीआईसी) का विकास कर रही हैं और इसका काम प्रगति की राह पर होने की जानकारी रक्षा मंत्री ने प्रदान की।

केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों से रक्षा क्षेत्र से संबंधित अपनाई नीति के कारण इस क्षेत्र का उत्पादन एक लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक हुआ है। इनमें से १६ हज़ार करोड़ रुपयों का सामान भारत ने निर्यात किया है। जल्द ही यह निर्यात २० हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक होगी, यह दावा रक्षा मंत्री ने किया।

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