भारत का दुनिया पर बनता प्रभाव अमरीका पर निर्भर नहीं – चीन के सरकारी मुखपत्र का दावा

बीजिंग – भारत ने रशिया से भारी मात्रा में ईंधन और हथियारों की खरीद शुरू की है। अमरीका ने ही किए दावे के अनुसार भारत में मानव अधिकारों को कुचला जा रहा है। फिर भी इसे अनदेखा करके अमरीका भारत के साथ रणनीतिक सहयोग विकसित कर रहा हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की अमरीका में बड़ी जोरदार तैयार शुरू है, ऐसे बयान चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है। लेकिन, भारत का विकास और दुनिया पर बना प्रभाव भारत की नीति पर निर्भर है, इसका अमरीका से कुछ भी संबंध नहीं हैं, यह दावा चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है।

भारत, जापान, दक्षिण कोरिया एवं आसियान के सदस्य देशों के साथ अमरीका बड़ी मात्रा में सहयोग विकसित कर रही हैं। यह चीन का उदय रोकने की अमरीका की शुरू कोशिशों का हिस्सा है। अमरीका और चीन के इस द्वंद्व का लाभ भारत एवं अन्य देश उठा रहे हैं। कुछ समय तक इसका लाभ इन देशों को यकीनन प्राप्त होगा। लेकिन, लंबे समय पर गौर करे तो इससे इन देशों को ही नुकसान पहुंचेगा, ऐसी चेतावनी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख में दिया गया है। क्यों कि, इन देशों का रिमोट कंट्रोल अमरीका के हाथ में जाएगा, ऐसा चीन के मुखपत्र का कहना है।

यह बयानबाजी करने के साथ ही भारत की आर्थिक प्रगति की वजह से दुनियाभर में इस देश ने अपना दबदबा निर्माण किया है, इसकी कबुली ग्लोबल टाईम्स ने दी है। लेकिन, भारत प्रतिव्यक्ति आय अभी भी काफी कम होने के मुद्दे पर इस अखबार ने ध्यान आकर्षित किया है। इसके ज़रिये भारत आर्थिक क्षेत्र में अभी भी काफी पीछे ही है, इसका अहसास कराने की कोशिश इस अखबार ने की है। साथ ही भारत की प्रगति आर्थिक सुधारों के कारण हुई, इसका अमरीका से संबंध नहीं जोड़ा नहीं जा सकता, यह कहकर ग्लोबल टाईम्स ने यह दावे भी किए है कि, अमरीका की वजह से भारत का अधिक विकास नहीं होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को अमरीका विशेष अहमियत दे रही है, क्यों कि, अमरीका को भारत का चीन के खिलाफ इस्तेमाल करना है, इसपर ग्लोबल टाईम्स के इस लेख में अधिक जोर दिया गया है। गौरतलब है कि, ग्लोबल टाईम्स ने भारत से अमरीका की चीन विरोधी साज़िश का शिकार ना होने की गुहार पहले भी लगाई थी। इससे भारत का ही अधिक नुकसान होगा, ऐसी चेतावनी भी चीन के सरकारी मुखपत्र ने दी थी। इसके अलावा अमरीका के सहयोग करने से भारत अपनी विदेश नीति का संतुलन और संप्रभुता खो देगा, यह इशारा भी इस अखबार ने दिया था। इस वजह से भारत और अमरीका के विकसित हो रही रणनीतिक भागीदारी से चीन अधिक से अधिक बेचैन होता दिख रहा है।

गलवान संघर्ष के बाद भारत ने अपनाई आक्रामक भूमिका की वजह से चीन को यह अहसास भी हुआ है कि, अब भारत पर सैन्यकी दबाव बना नहीं सकेंगे। इसके अलावा भारत ने चीनी कंपनियां और ऐप्स पर प्रतिबंध लगाकर चीन को बड़ा झटका दिया है। भारत फिलहाल बड़ी मात्रा में चीन से आयात कर रहा हैं, फिर भी भारतीय नागरिकों में इस देश के विरोध में भड़की गुस्से की भावना के मद्देनज़र यह आयात आगे के दिनों में यकिनन कम हो जाएगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस वजह से चीन खौफ में हैं और भारत के साथ अपने ताल्लुकात सुधारने की कोशिश में लगा है। लेकिन, इसके लिए भारत ने रखी मांग के अनुसार लद्दाख के एलएसी से अपनी पूरी सेना पीछे हटाने के लिए चीन तैयार नहीं है । इससे अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिमा पर असर होगा, इस ड़र ने चीन को परेशान किया है। लेकिन, लद्दाख के एलेसी से चीन ने पुरी सेना हटाए बिना द्विपक्षीय सहयोग स्थापित हो ही नहीं सकता, इसका अहसास भारत चीन को करा रहा है।

चीन के साथ काफी तनाव होने के बावजूद भारत ने अमरीका द्वारा नाटो प्लस में शामिल होने के लिए पेश किया हुआ प्रस्ताव ठुकराया है। चीन से होने वाले खतरों का सामना करने का साहस भारत रखता है, इसके लिए हमें दूसरे देश के सहयोग की आवश्यकता नहीं, ऐसा विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने हाल ही में घोषित किया था। इस वजह से भारत की विदेश नीति पुरी तरह से पुरी तरह से स्वतंत्र होने का संदेश पूरे विश्व में पहुंचा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.