‘जी ७’ के लिए प्रधानमंत्री मोदी जापान के हिरोशिमा पहुंचे

हिरोशिमा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के हिरोशिमा पहुंचे हैं। यहां आयोजित ‘जी ७’ बैठक में प्रधानमंत्री शामिल होंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनीआ और ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे। ‘जी ७’ की इस बैठक में रशिया-यूक्रेन युद्ध के साथ ही चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों के विरोध में गंभीर चर्चा होने की उम्मीद है। इस वजह से इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री की मौजूदगी ध्यान आकर्षित कर रही है। जापान रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री निक्केई एशिया नामक वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार में चीन का सीमा विवाद, पाकिस्तान के संबंधों पर भारत की भूमिका स्पष्ट की। साथ ही वैश्विक स्तर पर चुनौतियों से भरी स्थिति निर्माण होने के बावजूद भारत कर रहे आर्थिक प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री ने इस साक्षात्कार के दौरान ध्यान आकर्षित किया। 

हिरोशिमावर्ष १९५७ में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिरोशिमा की यात्रा की थी। इसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध में परमाणु हमले में राख हुए हिरोशिमा पहुंचे मोदी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने हैं। उनका यह दौरा ऐतिहासिक समझा जा रहा है। रशिया-यूक्रेन युद्ध भयंकर स्वरूप प्राप्त कर रहा है और इसी बीच ‘जी ७’ के सदस्य देशों ने रशिया पर अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने की तैयारी की है। इसके साथ ही चीन के वर्चस्ववादी नीति के विरोध में ‘जी ७’ सख्त भूमिका अपनाएगा, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत की यूक्रेन युद्ध और चीन संबंधित भूमिका बड़ी अहमियत रखती है। निक्केई एशिया को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने देश की भूमिका स्पष्ट की।

भारत अपने संप्रभूता और सम्मान की रक्षा करने के लिए पुरी तरह से समर्थ हैं। भारत-चीन संबंध एक-दूसरे का सम्मान, एक-दूसरे के प्रति सहनशीलता और दोनों के हितसंबंधों की रक्षा पर निर्भर होंगे। भारत-चीन ताल्लुकात सामान्य होते है तो इसका इस क्षेत्र एवं इसके बाहरी क्षेत्र पर भी सकारात्मक परिणाम होगा, यह भी प्रधानमंत्री ने कहा है। चीन ताकतवर देश होने के बावजूद भारत अपनी सुरक्षा और हितसंबंधों की रक्षा करने के लिए तैयार होने का संदेश ‘जी ७’ बैठक से पहले देते प्रधानमंत्री दिख रहे है।

इसके साथ ही भारत को पाकिस्तान साथ भी किसी पड़ोसी देश से होने चाहिए वैसे सामन्य ताल्लुकातों की उम्मीद है। लेकिन, आतंकवाद मुक्त और बैर भावना विरहित माहौल बनाने के लिए आवश्यक कदम बढ़ाने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की है। यह किए बिना दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हो सकते, ऐसा प्रधानमंत्री ने आगे कहा।

यूक्रेन युद्ध पर किए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर भारत की भूमिका काफी स्पष्ट होने का अहसास कराया। इस युद्ध में भारत किसी एक के देश के नहीं, बल्कि शांति के पक्ष में होने का बयान प्रधानमंत्री ने किया। साथ ही यूक्रेन युद्ध के कारण उभरी अनाज़, ईंधन और खाद की किल्लत ने दुनिया के सामने काफी बड़ी चुनौतियां खड़ी हुई हैं, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने इसपर चिंता जताई। इससे नुकसान का सामना कर रहे देशों को सहायता मुहैया करने के लिए भारत प्रतिबद्ध होने की बात प्रधानमंत्री ने कही।

दुनियाभर में चुनौतियों से भरी स्थिति होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक विकास दर से प्रगति कर रही हैं। वर्ष २०१४ में भारत विश्व की दसवें स्थान की अर्थव्यवस्था था। लेकिन, अब भारत विश्व की पांचवें स्थान की अर्थव्यवस्था बना देश हुआ है। क्यों कि, इस आर्थिक विकास के लिए आवश्यक नींव रखी गई हैं और इसका असर दिखाई देने लगा है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा है।

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