नेताजी-१५०

नेताजी-१५०

कारोनी के साथ सुभाषबाबू की चर्चा का़फ़ी हद तक सफ़ल हुई और सुभाषबाबू खुशी से उत्तमचन्द के घर लौट आये। अब उनके मन पर का बोझ का़फ़ी कम हो चुका था और वे युरोपीय भेस में काबूल में खरीदारी वगैरा के लिए घुम-फ़िरने भी लगे थे। कुछ भी नया सन्देश आनेपर, हर दो-तीन दिन बाद […]

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नेताजी- १४९

नेताजी- १४९

सुभाषबाबू के दिमाग में से साकार हो रही योजना को सुनते हुए कारोनी को तो वे रशियन राज्यक्रान्ति के प्रणेता रहनेवाले लेनिन के समान ही प्रतीत होने लगे थे। इस प्रचण्ड हिमालय जितने महत्कार्य को दुर्दम्य आत्मविश्‍वास के साथ एकाकी रूप में करने जा रहे इस आदमी को मुझसे जितनी हो सके उतनी सहायता मैं […]

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नेताजी- १४७

नेताजी- १४७

सुभाषबाबू को जर्मनी ले जाने में बर्लिन से हो रही टालमटोल बर्दाश्त के बाहर हो गयी थी और उन्होंने एक टोलीवाले राहबर – या़कूब के साथ स्वयं ही अ़फ़गाणिस्तान-रशिया सरहद के पहाड़ी इला़के में से बहती नदी को पार कर रशियाप्रवेश की कोशिश करने का तय किया था। उत्तमचन्द की दुकान में भगतराम और उत्तमचन्द […]

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नेताजी- १४६

नेताजी- १४६

उत्तमचन्द के घर की मेहमाननवाज़ी में सुभाषबाबू के दो-तीन दिन बड़े मज़े से गुजरे। वे कमरे से बाहर नहीं निकलते थे। उनके लिए खाना, चाय-नाश्ता वगैरा उनके कमरे में भेजा जाता था। कई बार उत्तमचन्द की छोटी-सी बेटी ही उन्हें कॉफ़ी लाकर देती थी। उस नन्ही-सी परी के साथ उनकी अच्छी-ख़ासी दोस्ती भी हो चुकी […]

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नेताजी- १४४

नेताजी- १४४

उस अ़फ़गाणी सीआयडी पुलीस की बला से छुटकारा पाने के लिए भगतराम ने ठहरने के बारे में अब काबूल में बस चुके अपने पुराने सहकर्मी – उत्तमचन्द मल्होत्रा से दऱख्वास्त करने का तय किया और दूसरे दिन सुबह की वह उत्तमचन्द की दुकान में पहुँच गया। सुबह का समय होने के कारण रास्ते पर कुछ […]

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नेताजी-१४३

नेताजी-१४३

काबूल स्थित सिमेन्स के अफ़सर हेर थॉमस से मिलने के बाद सुभाषबाबू और भगतराम सिमेन्स की कचहरी में से बाहर निकले। थॉमस ने तीन दिन बाद बुलाया था। तीन दिन तक रुकने के लिए सुभाषबाबू को कोई ऐतराज़ नहीं था, लेकिन उस रिश्‍वतख़ोर अफ़गाणी सीआयडी पुलीस के बारे में वे बार बार सोच रहे थे। […]

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नेताजी-१४२

नेताजी-१४२

काबूल स्थित जर्मन राजदूत हॅन्स पिल्गर से मुलाक़ात करके सुभाषबाबू जब जर्मन एम्बसी से बाहर निकले, तब पिल्गर ने सुभाषबाबू को बर्लिन तक ले जाने के लिए, उस समय जर्मनी के मित्रराष्ट्र रहनेवाले रशिया और इटाली से सहायता माँगने की दृष्टि से उन देशों के राजदूतों के साथ सम्पर्क किया। इटालियन राजदूत तो सुभाषबाबू को […]

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अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्षीय महल के पास रॉकेट हमले

अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्षीय महल के पास रॉकेट हमले

काबुल – मंगलवार को अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी द्वारा अध्यक्षीय महल में भाषण शुरू रहते समय बडे रॉकेट हमले किए गए| इसमें जीवितहानी नहीं हुई लेकिन राष्ट्राध्यक्ष के महल के सामने हुए इस हमले से दुनिया भर में खलबली मची है| अफगानिस्तान में हफ्ते भर में हुआ ये पॉंचवा वहीं राजधानी काबुल में हुआ […]

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नेताजी- १४१

नेताजी- १४१

सुभाषबाबू ठेंठ जर्मन एम्बसी के बाहर पहरा दे रहे अ़फ़गाणी पुलीस से मिलने जा रहे हैं, यह देखकर भगतराम की तो साँस ही फ़ूल गयी। लेकिन मौ़के की नज़ाकत को देखते हुए वह भी आगे जाकर उनसे बात करने लगा। उसने स्थानिक भाषा में – ‘ये मूकबधीर गृहस्थ बहुत बीमार हैं और इनका भतीजा तेहरानस्थित […]

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नेताजी-१४०

नेताजी-१४०

लाख कोशिशें करने के बावजूद भी रशिया के दरवाज़ें नहीं खुल रहे हैं, यह देखकर परेशान हुए सुभाषबाबू ने रशिया जाने का प्लॅन रद करके जर्मनी के दरवाज़े पर दस्तक देने की बात तय कर ली। और ताज्जुब की बात यह थी कि जिस दिन वे जर्मन एम्बसी में जाकर कोशिश करने की ठानकर निकल […]

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