निर्वासितों के रेले के कारण युरोपीय देशों में ‘मुक्त प्रवास नीति’ असफल

झेक मंत्री की आलोचना

Eu Zech

युरोपीय देशों में पिछले साल भर में आ धमके हुए निर्वासितों के प्रचंड रेले के कारण, युरोप की ‘मुक्त प्रवास नीति’ (शेन्गेन) पूर्ण रूप से असफल साबित हुई होकर, जल्द ही उसे ख़ारिज़ करना पड़ेगा, ऐसी तीख़ी आलोचना झेक रिपब्लिक के वरिष्ठ मंत्री द्वारा की गयी है। युरोपीय महासंघ के अधिकारियों द्वारा इसकी पुष्टि की गयी होकर, कम से कम दो सालों तक ‘शेन्गेन समझौता’ बाजू में रखकर कठोर सुरक्षा निर्बंध लागू करने के संकेत दिए गये हैं। ‘शेन्गेन’ को स्थगित करने की नौबत आना, यह निर्वासितों की समस्या को सुलझाने में युरोपीय महासंघ को मिली असफलता की ओर निर्देश कर रहा है, ऐसा कहा  जा रहा है।

युरोप में गत वर्ष ११ लाख से भी अधिक निर्वासित दाख़िल हुए होकर, दिनबदिन इन  रेलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस रेले पर नियंत्रण पाने के लिए महासंघ द्वारा तुर्की के साथ किया गया समझौता उपयुक्त साबित न होने के कारण, अन्य विकल्पों को टटोला जा रहा है। इस पार्श्वभूमि पर ही, मुक्त प्रवास की ‘शेन्गेन’ नीति पर पाबंदी लाने की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।

गत वर्ष नवम्बर महीने में युरोपीय महासंघ ने निर्वासितों के मुद्दे पर तुर्की के साथ महत्त्वपूर्ण समझौता किया था। इस समझौते  के अनुसार, महासंघ तुर्की को तीन अरब युरो की वित्तसहायता की आपूर्ति करनेवाला था। साथ ही, तुर्की को युरोपीय महासंघ की सदस्यता एवं व्हिसा में से छूट देने पर एकमत हुआ है, ऐसा बताया गया था। उसके बदले में, तुर्की ने सिरियन निर्वासितों को रोकने की ज़िम्मेदारी को क़बूल किया था। लेकिन उसके बाद भी नये साल में तक़रीबन १ लाख निर्वासित युरोपीय देशों में दाख़िल हुए होने की बात स्पष्ट हुई है।

इसलिए अब महासंघ ने अपनी नीति ही बदलने का निर्णय लिया होकर, झेक रिपब्लिक तथा युरोपीय महासंघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने उस दिशा में स्पष्ट संकेत दिये हैं। झेक रिपब्लिक के वरिष्ठ मंत्री तोमास प्रौझा ने ‘युरोप के पास निर्वासितों पर नियंत्रण पाने के लिए सिर्फ़ छ: हफ़्तों की अवधि बची होने की’ चेतावनी दी है। इन छ: हफ़्तों में यदि निर्वासितों पर नियंत्रण पाने में असफलता प्राप्त हुई, तो ‘शेन्गेन’ नीति स्थगित करनी पड़ेगी, ऐसा प्रौझा ने ज़ोर देकर कहा।

झेक नेता के द्वारा दी गयी चेतावनी की वरिष्ठ युरोपीय अधिकारियों ने भी पुष्टि की है। उनके अनुसार, ‘शेन्गेन’ नीति को दो सालों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। उसकी पूर्वतैयारी के भाग के रूप में, ग्रीस को अगले तीन महीनों में निर्वासितों पर नियंत्रण प्राप्त करने के आदेश दिये गए हैं। ग्रीस यदि निर्वासितों पर नियंत्रण पाने में असफल साबित हुआ, तो अन्य युरोपीय देशों की सीमाएँ अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी जाएँगी, ऐसी चेतावनी भी इस आदेश में दी गयी है।

‘शेन्गेन’ नीति यह युरोपीय महासंघ की मूल  नितियों  में से एक जानी जाती है। उसपर अमल करने में महासंघ द्वारा स्थगिती दी जाने का प्रस्ताव ग़ौरतलब है। ऐसा प्रस्ताव दिया जाना यानी महासंघ निर्वासितों की समस्या का हल ढूँढ़ निकालने में नाक़ाम साबित हुआ होने की पुष्टि है, ऐसा माना जा रहा है।

रशिया एवं फ़्रान्स ने की मर्केल की कड़ी आलोचना

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युरोपीय महासंघ पर हावी हो रही निर्वासितों कि समस्या दिनबदिन बिगड़ रही होते ही, रशिया एवं फ़्रान्स के नेताओं ने जर्मन चॅन्सेलर  मर्केल की नीतियों की कड़ी आलोचना की है। ‘युरोप के दरवाज़े पूरी तरह खुले छोड़कर हर निर्वासित को उसमें प्रवेश करने का न्यौता देना, यह सरासर मूर्खता है। युरोप द्वारा निर्वासितों के लिए निश्चित की गयी नीति पूरी तरह फ़ँस चुकी होकर, उसमें घटित होनेवालीं बातें चिंताजनक हैं’ इन शब्दों में रशिया के प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव्ह ने मर्केल के रवैये की आलोचना की।

रशिया के पीछे पीछे, जर्मनी का मित्रदेश रहनेवाले फ़्रान्स ने भी चॅन्सेलर मर्केल को निशाना बनाया। ‘जर्मनी के साथ युरोप की, निर्वासितों का स्वीकार करने की क्षमता मर्यादित है। निर्वासितों के मुद्दे पर की ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ ज़्यादा देर तक टिकनेवाली नहीं है। उससे पहले, युरोप द्वारा अपनी सीमाओं पर नियंत्रण प्राप्त करना ज़रूरी है’, ऐसा फ़्रेंच प्रधानमंत्री मॅन्युअल वॉल्स ने ज़ोर देकर कहा।

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