सौदी-ईरान विवाद में पाक़िस्तान की मध्यस्थता नहीं चाहिए

सौदी के विदेशमंत्री की स्पष्टोक्ति

Nawaz-Sharif-King-Salman

सौदी अरेबिया और ईरान के बीच का विवाद सुलझाने के लिए पाक़िस्तान के द्वारा दिया गया मध्यस्थता का प्रस्ताव सौदी अरेबिया ने ठुकरा दिया है। ईरान ने हमेशा अरब देशों के विरोध में भूमिका अपनायी है। इसलिए इस संदर्भ में किसी की भी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है, ऐसा सौदी के विदेशमंत्री अदेल अल-ज़ुबैर ने घोषित किया।

पिछले हफ़्ते पाक़िस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ़ ने सौदी अरेबिया और ईरान का दौरा किया था। इस दौरे में प्रधानमंत्री शरीफ़ ने सौदी और ईरान के सर्वोच्च नेताओं से मुलाक़ात की थी। दोनों देशों को चर्चा के लिए आमंत्रित करके, पाकिस्तान मध्यस्थता करने के लिए तैयार है, ऐसा प्रस्ताव भी शरीफ़ ने रखा था। शरीफ़ ने रखे हुए प्रस्ताव का पाक़िस्तान के माध्यमों ने अच्छाख़ासा समर्थन किया था।

लेकिन अब सौदी अरेबिया ने, पाक़िस्तान की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है ऐसा कहकर यह विषय यहीं पर ख़त्म किया हुआ दिखायी दे रहा है। बाहरीन में चल रही ‘अरब-इंडिया कोऑपरेशन फोरम’ की पहली बैठक के दौरान विदेशमंत्री ज़ुबेर ने सौदी की भूमिका प्रस्तुत की।

सौदी और ईरान में रहनेवाले विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने का प्रस्ताव कुछ देशों ने रखा था। लेकिन सौदी को इस मध्यस्थता की और ईरान के साथ चर्चा करने की ज़रूरत महसूस नहीं होती, ऐसा ज़ुबेर ने कहा।

सौदी तथा अन्य अरब देश क्या चाहते हैं, यह ईरान जानता है, ऐसा ज़ुबेर ने जताया। ईरान अरब देशों के विरोध में रहनेवाली अपनी भूमिका छोड़ दें और अरब देशों के अंदरूनी मामलों में दख़लअन्दाज़ी न करें, ऐसा कहकर ज़ुबेर ने सौदी की भूमिका प्रस्तुत की। ईरान अरब देशों में पंथीय संघर्ष भड़का रहा होने का तथा आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा होने का आरोप भी ज़ुबेर ने किया।

सौदी तथा ईरान के बीच की दरार के बढ़ते हुए, पाक़िस्तान इन दो देशों के बीच के मतभेद मिटायें, ऐसी माँग पाक़िस्तान के कट्टरपंथीय गुटों के द्वारा की जा रही थी।

परमाणु-अस्त्रधारी पाक़िस्तान यह सबसे महत्त्वपूर्ण इस्लामधर्मिय देश होकर, यदि सौदी एवं ईरान में सुलह करने का काम पाक़िस्तान करता है, तो इस्लामधर्मिय देशों में पाक़िस्तान का स्थान अधिक ही मज़बूत हो जायेगा, ऐसा विश्वास कुछ कट्टरपंथीय विश्लेषकों द्वारा जताया जा रहा था। इस बात पर ग़ौर करके, प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ़ तथा लष्करप्रमुख राहिल शरीफ़ के सौदी एवं ईरान दौरे को पाक़िस्तानी माध्यमों ने भी बहुत महत्त्व दिया था।

लेकिन चाहे कुछ भी हो जाये, सौदी जैसा देश पाक़िस्तान की मध्यस्थता को अंशमात्र भी महत्त्व नहीं देगा और ईरान भी पाक़िस्तान के प्रस्ताव पर विचार नहीं करेगा, ऐसा दावा पाक़िस्तान के कुछ बुद्धिमानों द्वारा किया गया था।

पाक़िस्तान ईंधन के लिए, साथ ही आर्थिक सहायता के लिए सौदी अरेबिया पर निर्भर है। इसके बावजूद भी, येमेन के ईरानसमर्थक रहनेवाले हौथी बाग़ियों के साथ के संघर्ष में, पाक़िस्तान ने सौदी द्वारा माँग की जाने पर भी अपनी सेना नहीं भेजी थी। इस कारण सौदी पाक़िस्तान से बहुत ही नाराज़ है, यह बात स्पष्ट हुई थी।

वहीं, दूसरी ओर ईरान के साथ रहनेवाला ईंधन पाईपलाईन प्रोजेक्ट रद करके पाक़िस्तान ने ईरान की नाराज़गी मोल ली थी। पाक़िस्तान की अर्थव्यवस्था विनाश की कगार पर होकर, आतंकवादियों के हमलों के कारण पाक़िस्तान खोख़ला बन चुका है। ऐसे देश की मध्यस्थता को दुनिया का अन्य कोई भी देश महत्त्व दें यह मुमक़िन ही नहीं है, ऐसा एक पाक़िस्तानी विश्लेषक ने एक वृत्तवाहिनी से की बातचीत में कहा था। इस विश्लेषक के शब्द चन्द कुछ दिनों में ही सच हुए होने का दारुण अनुभव पाक़िस्तान फ़िलहाल कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.