आखाती देशों की शस्त्रसिद्धता इस्रायल के लिए ख़तरनाक – इस्रायल लष्करी अधिकारी की चेतावनी

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इस्रायल के पड़ोसी देश भारी मात्रा में शस्त्रों की ख़रीदारी कर रहे होकर, यह बात इस्रायल की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक होने की चेतावनी, इस्रायली हवाईदल के उपप्रमुख ने दी। गत दो वर्षों में ईरान के साथ ही, सौदी अरेबिया, संयुक्त अरब अमिरात (युएई), ईजिप्त जैसे देश बड़े पैमाने पर शस्त्र-अस्त्रों की ख़रीदारी कर रहे होने की बात सामने आयी है। इन देशों ने अमरीका के साथ साथ, रशिया एवं युरोपीय देशों के साथ अरबों डॉलर्स के समझौते कर शस्त्र-अस्त्रों की ख़रीदारी जारी रखी है। उसी समय, दूसरी ओर अमरीका इस्रायल को दी जा रही रक्षासहायता में बढ़ोतरी करने के लिए तैयार नहीं है, यह बात इस्रायल की नाराज़गी का कारण बन चुकी है।

‘कुछ देशों ने सैंकड़ों अरबों डॉलर्स के शस्त्र-अस्त्र ख़रीदारी के समझौते कर, बहुत ही प्रगत सुरक्षायंत्रणाएँ एवं शस्त्र-अस्त्रों की तैनाती की योजनाएँ बनायी हैं। इससे इस क्षेत्र में ख़तरनाक परिस्थिति का निर्माण हुआ है। आज का शत्रु कल का मित्र हो सकता है और आज का मित्र शायद कल दुश्मन बन सकता है’, इन शब्दों में इस्रायली हवाईदल के उपप्रमुख ब्रिगेडिअर जनरल ताल केल्मन ने, आखाती क्षेत्र की शस्त्र-ईर्ष्या के कारण निर्माण हुए ख़तरे का एहसास कराया। अमरीका ने यदि रक्षासहायता में बढ़ोतरी नहीं की, तो इस्रायली सेना की ताकत अन्यों की तुलना में कम पड़ सकती है, ऐसा डर भी उन्होंने ज़ाहिर किया।

Spanish Air Force single and two seater Eurofighter Typhoon from ALA-11 based in Moron, Spain. The aircrat are flying with drop tanks and IRIS-T missiles.

इस्रायल अमरीका का प्रगत लड़ाक़ू विमान ‘एफ़-३५’ की ख़रीदारी करें, इसके लिए जारी रहनेवालें प्रयासों के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में केल्मन ने, आखाती क्षेत्र में इस्रायल के चारों ओर शुरू रहनेवाली शस्त्र-अस्त्र ईर्ष्या के बारे में चेतावनी दी। अमरीका इस्रायल को हर साल तीन अरब डॉलर्स की शस्त्रसहायता देती है। इस संदर्भ में रहनेवाला समझौता सन २०१८ में ख़त्म होनेवाला होकर, उसके बाद अमरीका अधिक रक्षासहायता दें, ऐसा इस्रायल का आग्रह है।

लेकिन अमरिकी अधिकारियों ने इस्रायल की माँग को अस्वीकृत कर दिया होकर, नया समझौता करते समय रक्षासहायता में कुछ ख़ास बढ़ोतरी न की जाने के संकेत दिए हैं। इस बात पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए इस्रायल ने अमरीका को, आखाती क्षेत्र की शस्त्र-ईर्ष्या और उसके कारण इस्रायल के लिए निर्माण हुए ख़तरे का एहसास करा देने की शुरुआत की है। केल्मन का यह वक्तव्य इन्हीं प्रयासों का भाग माना जा रहा है।

आखाती क्षेत्र का प्रमुख देश माने जानेवाले सौदी अरेबिया ने गत कुछ वर्षों से, अमरीका के साथ साथ फ़्रान्स, ब्रिटन एवं जर्मनी के साथ भी बड़े रक्षा-समझौते किये होकर, उनमें लड़ाक़ू विमान, हेलिकॉप्टर्स, क्षेपणास्त्रभेदीयंत्रणाएँ इन जैसी  शस्त्रसामग्री का समावेश है। सौदी के पीछे पीछे ईजिप्त ने भी अपनी रक्षाख़रीदारी में बढ़ोतरी की होकर, ड्रोन्स, लड़ाक़ू विमान एवं क्षेपणास्त्र ख़रीदारी पर ज़ोर दिया है। रशिया ने ईरान के साथ भी तक़रीबन आठ अरब डॉलर्स के समझौते करते हुए, अत्याधुनिक क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा देने की तैयारी दर्शायी है।

13940305000373_PhotoIफ़रवरी महीने में प्रकाशित हुए एक रिपोर्ट में से, आखाती देशों की शस्त्र-ख़रीदारी सन २०११ से ६१ प्रतिशत से बढ़ गयी होने की बात सामने आयी है। इनमें सौदी अरेबिया, क़तार एवं संयुक्त अरब अमिरात ये तीन आखाती देश सर्वाधिक शस्त्र-ख़रीदारी कर रहे हैं, यह स्पष्ट हुआ है। सौदी की शस्त्र-ख़रीदारी में पूरे २७५ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। उसी समय, ईरान जैसा देश रशियन हवाईदल के अतिप्रगत ‘सुखोई-३०एसएम’ इन लड़ाक़ू विमानों के साथ साथ, विनाशिका एवं पनडुब्बियों की ख़रीदारी के लिए कोशिशें कर रहा होने का दावा भी इस रिपोर्ट में किया गया है।

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