प्रधानमंत्री मोदी का ईरान दौरा महत्त्वपूर्ण

Modi with Iranian President Hassan Rouhan
Prime minister modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान के दौरे पर दाख़िल हुए हैं। ईरान के साथ रहनेवाला भारत का नीतिगत सहयोग अपने इस ईरान दौरे से अधिक गतिमान होगा, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया है। ईंधनविषयक सहयोग, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश ये प्रधानमंत्री मोदी के ईरान दौरे के महत्त्वपूर्ण मुद्दे होंगे। इसीके साथ, सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहनेवाले ईरान के ‘छाबर’ बंदरगाह को विकसित करने के समझौते पर भी, प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में हस्ताक्षर किए जायेंगे।

ईरान के विवादास्पद परमाणुकार्यक्रम पर हुई चर्चा सफल होने के बाद अमरीका एवं पश्चिमी देशों ने ईरान पर लगायीं पाबंदियाँ पीछे हटायी हैं। उसके पश्चात् दुनियाभर के प्रमुख देश ईरान के साथ सहयोग के लिए पहल कर रहे हैं। भारत ने भी ईरान के साथ सहयोग बढ़ाने हेतु शीघ्रतापूर्वक कदम उठाये होकर, गत कुछ महीनों में भारत के मंत्रिमंडल के सदस्यों ने ईरान के दौरे किये है। इनमें विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, ईंधनमंत्री धर्मेंद्र प्रधान तथा यातायातमंत्री नितिन गडकरी का समावेश है। उसके बाद अब प्रधानमंत्री मोदी ईरान के दौरे पर आये होकर, अपने इस दौरे में ईरान के साथ का ईंधन, व्यापार क्षेत्रों में रहनेवाला सहयोग, साथ ही, नीतिगत सहयोग भी गतिमान होगा, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया है।

अगले महीने प्रधानमंत्री मोदी अमरीका का दौरा करनेवाले होकर, उससे पहले किया हुआ यह ईरान का दौरा भारत के लिए महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। ‘भारत अपनी विदेशनीति की आज़ादी को अबाधित रखते हुए अमरीका के साथ सहयोग कर रहा है’ इसके संकेत प्रधानमंत्री के इस ईरान दौरे में से दिये जा रहे हैं। ईरान का ‘छाबर’ बंदरगाह विकसित करने की तैयारी भारत ने की है। इसके लिए भारत भारी मात्रा में निवेश कर रहा है। पाक़िस्तान का ‘ग्वादर’ बंदरगाह विकसित करके चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयास में है। भारत द्वारा ‘छाबर’ बंदरगाह का विकास करके उसे प्रत्युत्तर दिया जा रहा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

ईरान के ‘सिस्तान-बलुचिस्तान’ प्रांत में स्थित यह ‘छाबर’ बंदरगाह, अफ़गानिस्तान के ‘झरंज’ से ८८३ किमी की दूरी पर है। इसलिए इस बंदरगाह को सड़कों द्वारा जोड़कर झरंज से डेलाराम तक का मार्ग भारत ने सन २००९ में विकसित किया है।

ईरान का बंदरगाह सड़कों के ज़रिये अफ़गानिस्तान एवं भारत से जोड़ने का महत्वाकांक्षी प्रकल्प, इस बंदरगाह का व्यापारी महत्त्व अधिक ही बढ़ा रहा है। इसका अफ़गानिस्तान को भी काफ़ी फ़ायदा होनेवाला होकर, इससे भारत को मध्य एशियाई देशों तक माल-यातायात करना आसान हो सकता है। इसी कारण, ‘छाबर’ बंदरगाह का विकास, एक ही साथ ईरान, अफ़गानिस्तान एवं भारत के हितसंबंधों के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

इसी दौरान, छाबर बंदरगाह के विकास में जापान ने भी दिलचस्पी दिखायी थी। भारत के सहयोग से, छाबर बंदरगाह का रूपांतरण आंतर्राष्ट्रीय व्यापारी केंद्र में करने के लिए जापान उत्सुक होने के संकेत जापान के राजदूत ने दिये थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.