अमरीका ने ९/११ विधेयक मंज़ूर किया, तो आर्थिक नुक़सान होगा

सौदी अरेबिया की चेतावनी

 

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अमरिकी काँग्रेस के सामने प्रस्तुत किया गया ९/११ विधेयक यदि मंज़ूर हो गया, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे, ऐसी धमकी सौदी अरेबिया ने अमरीका को दी है। यह विधेयक यदि मंज़ूर हुआ, तो ९/११ के आतंकवादी हमले में रहनेवाले सौदी के संभाव्य सहभाग की तहकिक़ात शुरू हो सकती है। यदि ऐसा हुआ, तो सौदी उसके पास रहनेवाले अमरीका के तक़रीबन ७५० अरब डॉलर्स के ‘डेब्टबाँड्स’ तथा अन्य मालमत्ताएँ बेच देगा, ऐसी चेतावनी सौदी के विदेशमंत्री ने दी है। लेकिन ऐसा करने से सौदी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेगा, ऐसा अमरिकी अर्थविशेषज्ञों का कहना है।

अमरीका पर हुए ९/११ आतंकवादी हमले के बाद इस हमले की पूरी छानबीन करने के लिए अमरिकी सरकार ने संसदीय आयोग नियुक्त किया था। इस आयोग के द्वारा खोजे गये निष्कर्ष में, सन २००१ में अमरीका में वास्तव्य कर रहे कुछ सौदी अधिकारियों का ९/११ के हमले में हाथ रहने का शक़ ज़ाहिर किया गया था। मग़र सौदी का हाथ होने का शक़ ज़ाहिर करनेवाला और उस संबंध में रहनेवाले सबूतों का भी समावेश होनेवाला २८ पन्नों का रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है। अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश ने इस रिपोर्ट का ‘गोपनीय’ श्रेणि में वर्गीकरण कर उसके प्रकाशन पर पाबंदी लगायी थी।

Saudi Foreign Minister Adel al-Jubeir delivers a statement after a meeting with U.S. Secretary of State John Kerry at the State Department in Washington, February 8, 2016. REUTERS/Carlos Barriaसंसदीय तहकिक़ात का भाग रहनेवाले २८ पन्नों के इस रिपोर्ट को सार्वजनिक बनाने के लिए गत कुछ वर्षों से निरंतर प्रयास शुरू हैं। उसी के एक भाग के तौर पर अमरिकी संसद में एक विधेयक दाख़िल किया गया है। उपरोक्त रिपोर्ट को प्रकाशित किया जायें, ऐसी माँग की गयी है। साथ ही, अमरिकी नागरिकों की हत्या का कारण बन चुके आतंकवादी हमले मे शामिल रहनेवाले देशों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा प्रदान न की जायें, ऐसी भी माँग उसमें की गयी है।

अमरिकी संसद ने सन १९७६ में मंज़ूर किये गये विधेयक के तहत, अमरिकी न्यायालयों में  दाख़िल होनेवाले मुक़दमों के संदर्भ में विदेशी नागरिकों को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान की गयी है। इसी सुरक्षा के कारण, ९/११ के हमले के संदर्भ में अमरिकी नागरिकों ने दायर किये मुक़दमों में सौदी के ख़िलाफ़ गुनाह सिद्ध करना नामुमक़िन बन चुका है। इस पार्श्वभूमि पर, ९/११ के हमले में जान गँवा चुके नागरिकों के रिश्तेदारों ने, इस नये विधेयक को संसद में मंज़ूर किया जाये, इस बारे  में आग्रही भूमिका अपनायी है।

लेकिन अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा तथा उनके प्रशासन ने, उपरोक्त विधेयक संसद में मंज़ूर न हों, इसलिए ज़ोरदार् गतिविधियाँ शुरू की हैं। अमरिकी संसद में यदि यह विधेयक मंज़ूर हो गया, तो विदेश में कार्यरत रहनेवाले अमरिकी नागरिकों को भी क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, ऐसा युक्तिवाद इस विधेयक को रोकने के लिए किया जा रहा है। साथ ही, सौदी अरेबिया तथा अन्य देशों के साथ अमरीका के संबंध बिगड़ सकते हैं, ऐसा भी डर व्यक्त किया गया है। अमरिकास्थित सौदी दूतावास ने इसपर प्रतिक्रिया देने से इन्कार किया है।

इस पार्श्वभूमि पर, सौदी अरेबिया ने भी उपरोक्त विधेयक के मामले में आक्रामक भूमिका अपनायी है। सौदी के विदेशमंत्री अदेल अल् ज़ुबैर पिछले महीने अमरीका आये थे। इस मुलाक़ात के दौरान अल् ज़ुबैर ने इस विधेयक को लेकर अमरीका को खुलेआम धमकी दी, यह स्पष्ट हुआ है। अमरिकी संसद में उपरोक्त विधेयक मंज़ूर होने से पहले ही सौदी अरेबिया पूरे ७५० अरब डॉलर्स के अमरिकी बाँड्स तथा अन्य मालमत्ता बेच देगा, ऐसी धमकी सौदी के विदेशमंत्री ने दी। सौदी ने यदि अमरिकी बाँड्स और मालमत्ता की बिक्री की, तो अमरिकी डॉलर को बड़ा झटका लगकर डॉलर के दाम में बड़ी गिरावट आने की आशंका जतायी जा रही है।

लेकिन सौदी की यह धमकी ‘खोख़ली’ होने का दावा अमरिकी अर्थविशेषज्ञ एवं विश्लेषक कर रहे हैं। क्योंकि इतनी भारी मात्रा में बाँड्स तथा मालमत्ताओं की बिक्री करना नामुमक़िन होने की जानकारी अमरिकी अर्थविशेषज्ञों ने दी। साथ ही, सौदी का चलन ‘रियाल’ अमरिकी डॉलर के साथ ही बंधा हुआ होने के कारण, इससे अमरीका की अपेक्षा सौदी अर्थव्यवस्था का ही अधिक नुकसान हो सकता है, इसका एहसास भी विश्लेषकों ने करा दिया है। लेकिन उसी समय, सौदी द्वारा इतनी गंभीर धमकी दी जाना, यह बात दोनों देशों के बीच के बढ़ते तनाव के संकेत दे रही है, ऐसा भी कुछ विश्लेषकों का कहना है।

ईरान के परमाणुकार्यक्रम पर समझौता करने के लिए अमरीका ने की हुई पहल और उसे मिली सफलता के कारण सौदी अमरीका पर नाराज़ है। उसी समय सिरिया एवं येमेन के संघर्ष में अमरीका ने सौदी का किया हुआ विरोध भी सौदी के सत्ताधारी शासन को दुखानेवाला साबित हुआ है। उसीमें, सौदी को अमरीका द्वारा की जानेवाली शस्त्र-आपूर्ति पर पाबंदी लगाने के लिए गतिविधियाँ अमरिकी संसद में शुरू हो गयीं होकर, यह बात दो देशों के बीच के तनाव को और भी बढ़ानेवाली साबित हो रही है।

इस पार्श्वभूमि पर, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा अगले बुधवार को सौदी अरेबिया में दाख़िल हो रहे हैं। इस दौरे में, संसद के विधेयक के साथ ही, ईरान, सिरिया के बारे में रहनेवालीं नीतियों पर प्रधानता से चर्चा की जायेगी, ऐसे संकेत अमरिकी सूत्रों ने दिये हैं।

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