अमरीका ने ईरान पर जो प्रतिबंध लगाए वे चीन पर भी लागू होंगे – विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ

वॉशिंग्टन – ‘चीन ने ईरान के साथ 400 अरब डॉलर्स का व्यापारी समझौता किया तो अमरीका ने ईरान पर लगाए सभी प्रतिबंध चीन पर भी लागू होंगे। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उससे संबंधित कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाएंगे’, यह इशारा अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने दिया है। चीन और ईरान के बीच हो रहे इस समझौते की वजह से खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण होगी, यह आरोप भी पोम्पिओ ने लगाया है।

America-Iran-Chinaईरान के विदेशमंत्री जावेद ज़रिफ ने पिछले महीने में चीन के साथ 400 अरब डॉलर्स के व्यापारी सहयोग का ऐलान किया था। चीन-ईरान का यह सहयोग 25 वर्षों के लिए होगा और ईरान की संसद की इस सहयोग के लिए मंजूरी प्राप्त होते ही इससे संबंधित समझौता होगा, यह बयान ज़रिफ ने किया था। चीन के साथ होनेवाले इस सहयोग की वजह से ईरान को व्यापारी एवं लशकर स्तर पर बड़ा लाभ होगा, यह दावा ईरान के विदेशमंत्री ने किया था। अमरीका के एक समाचार चैनल से की गई बातचीत के दौरान विदेशमंत्री पोम्पिओ ने चीन और ईरान के इस सहयोग पर आलोचना की है।

‘जनतंत्र और आज़ादी का अनादर कर रहे एवं अन्य देशों की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो रही दो हुकूमतों के बीच इस तरह से सहयोग स्थापित होने में आश्‍चर्य की कोई बात नहीं है’, यह बात पोम्पिओ ने कही। लेकिन चीन और ईरान के बीच हो रहा समझौता अमरीका बर्दाश्‍त नहीं करेगी, यह बात भी पोम्पिओ ने स्पष्ट की है। इसके साथ ही उन्होंने ईरान पर लगाए प्रतिबंधों की याद दिलाई। संयुक्त राष्ट्रसंघ ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध जारी रखे, इसके लिए अमरीका की कोशिश हो रही है। लेकिन, चीन का ईरान के साथ हो रहा यह समझौता इन प्रतिबंधों को चुनौती देनेवाला होने की आलोचना अमरिकी विदेशमंत्री ने की।

America-Iranइसी कारण चीन ने ईरान के साथ 400 अरब डॉलर्स का यह समझौता किया तो अमरीका ने ईरान पर लगाए सभी प्रतिबंध चीन पर भी लगाए जाएंगे, यह इशारा पोम्पिओ ने दिया। ईरान के साथ सहयोग कर रही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य और कंपनियों को लक्ष्य किया जाएगा, इससे भी पोम्पिओ ने अवगत कराया। साथ ही चीन और ईरान के बीच होनेवाले इस समझौते की ओर खाड़ी के देश पूरी सावधानी से देखें। चीन का ईरान में होनेवाला निवेश खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण कर सकता है। इस्रायल की सुरक्षा के लिए और भी खतरा बना सकता है। सौदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी इस समझौते से खतरा होगा, यह बयान पोम्पिओ ने किया है।

‘ईरान, यह विश्‍व में आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक देश है। चीन के साथ होनेवाले सहयोग के तहत ईरान को प्रगत हथियार प्राप्त हो सकते हैं। ऐसा होने पर इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए और भी बड़ा खतरा बनेगा’, इसका एहसास पोम्पिओ ने दिलाया। इसी वजह से खाड़ी के देश भी चीन-ईरान के सहयोग का विरोध करें, यह आवाहन अमरिकी विदेशमंत्री ने किया है। इससे पहले अमरिकी अभ्यासगुटों ने चीन-ईरान समझौते पर चिंता व्यक्त की थी। इस समझौते के तहत चीन पर्शियन खाड़ी में ईरान के बंदरगाह पर कब्ज़ा करेगा। इससे पर्शियन खाड़ी के साथ हिंद महासागर में अमरिकी हितसंबंध एवं समुद्री सामर्थ्य को चुनौती मिलेगी, यह इशारा इन अभ्यासगुटों ने दिया था।

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