पोलैण्ड में हुए मिसाइल हमले के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में रशिया और पश्चिमी देशों का हुआ बड़ा विवाद – अमरीका और यूक्रेन में भी हुआ मतभेद

न्यूयॉर्क/मास्को – यूक्रेन ने मंगलवार को पोलैण्ड में किए मिसाइल हमले की तीव्र गूंज बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक मे सुनाई दी। अमरीका, ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों ने यह आरोप लगाया कि, वर्णित हमला यूक्रेन से हुआ हो, लेकिन, इसके लिए रशिया ही ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया। इसपर तीखा जवाब देते हुए रशिया ने यह कहा कि, यदि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की आक्रामकता का समर्थन नहीं किया होता तो रशिया को इसके विरोध में सैन्य अभियान शुरू करने की ज़रूरत ही महसूस नहीं होती। दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने पोलैण्ड में हुआ हमला यूक्रेन ने किया ही नहीं हैं, ऐसा एकतरफा बयान करना जारी रखा है। लेकिन, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने इसके लिए कोई भी सबूत ना होने क कहकर यूक्रेन के दावे का खंड़न किया है।

मंगलवार को यूक्रेन के पड़ोसी और नाटो सदस्य देश पोलैण्ड में रशियन मिसाइल टकराने से बड़ी सनसनी निर्माण हुई थी। यूक्रेन-पोलैण्ड सीमापर स्थित प्रेझ्यूवोडोव गांव में मिसाइल हमला हुआ। इस हमले मे दो लोग मारे गए थे। हमलावर मिसाइल रशियन निर्माण का होने की बात सामेन आने के बाद यह हमला रशिया ने ही किया होगा, ऐसी चिल्लाहट शुरू हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले पर तीव्र प्रतिक्रियां दर्ज़ हुई। यूक्रेन, पोलैण्ड समेत कूछ यूरोपिय देशों ने रशिया के खिलाफ जोरदार आग उगलना शुरू किया। ‘जी २०’ गूट की जारी बैठक के बीच हुई इस घटना ने रशिया-यूक्रेन संघर्ष रशिया-नाटो युद्ध में तब्दिल होने का ड़र व्यक्त किया गया था। बाली में शुरू ‘जी २०’ की बैठक को रोककर इसमें मौजूद नाटो सदस्य देशों की आपाद बैठक भी आयोजित की गई।

लेकिन, कुछ ही घंटों में यह मला यूक्रेन की हवाई सुरक्षा यंत्रणा से होने की बात स्पष्ट हुई। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन एवं नाटो प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने इसकी जानकारी साझा की। इस वजह से कुछ देशों ने रशिया की घेराबांदी  करने के लिए शुरू किए प्रयासों में रोड़ा अटका। लेकिन, बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में अमरीका समेत मित्रदेशों  फिर से रशिया की ही आलोचना की। रशिया ने यूक्रेन पर मिसाइल हमलें किए नहीं होते, तो पोलैण्ड जैसी घटना होती ही नहीं, इस वजह से रशिया ही इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप अमरीका और पोलैण्ड के राजदूत ने लगाया। संयुक्त राष्ट्र संगठन के वरिष्ठ अधिकारी रोझमेरी डिकार्लो ने भी रशिया-यूक्रेन युद्ध का अन्त मौजूदा स्थिति में नज़र नहीं आ रहा हैं, यह कहकर इस संघर्ष का असर पोलैण्ड जैसीं घटना से सामने आएगा, ऐसा दावा किया। ब्रिटेन के राजदूत ने भी अमरीका और पोलैण्ड ने लगाए आरोपों का समर्थन किया।

अमरीका के साथ पश्चिमी देशों ने लगाए इन आरोपों पर रशिया के राजदूत वैसिली नेबेन्झिया ने कड़ा प्रत्युत्तर किया। ‘यूक्रेन में साल २०१४  हुई घटनाओं के बाद ‘मिन्स्क’ समझौता किया गया था। इस समझौते का कार्यान्वयन हुआ होता तो रशिया को यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू करना ही नहीं पड़ता। पश्चिमी देश यूक्रेन में हस्तक्षेप करके उसे हथियारों की आपूर्ति नहीं करते तो रशिया-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने की संभावना ही नहीं थी। यूक्रेन ने किए आतंकी हमलों पर पश्चिमी देशों ने इस हुकूमत को समझ दी होती तो रशिया को मिसाइल हमलें करने ही नहीं पड़ते’, ऐसा इशारा रशियन राजदूत ने दिया। पोलैण्ड में हुआ हमला रशिया और नाटो के बीच सीधे संघर्ष शुरू करने के लिए उकसाने की जारी कोशिश होने का आरोप भी नेबेन्झिआ ने लगाया।

इसी बीच, पोलैण्ड में हुआ हमला यूक्रेन की यंत्रणा ने किया ही नहीं हैं, ऐसी एकतरफा भूमिका राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने अपनाई है। अमरीका और पोलैण्ड के साथ सभी देशों ने यह हमला यूक्रेन की हवाई सुरक्षा यंत्रणा से होन की पुष्टि करने के बावजूद भी यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष अपना अड़ियल रवैया कायम रखते दिख रहे है। उनकी इस भूमिका पर अमरीका से तीव्र बयान सामने आया है और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने झेलेन्स्की के बयान का समर्थन करनेवाले कोई भी सबूत ना होने की बात कही है।

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