रशिया ने परमाणु पनडुब्बी से किया ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ का परीक्षण

Hypersonic-missile-Submarineमास्को – रशिया ने सोमवार के दिन परमाणु पनडुब्बी से ‘ज़िरकॉन’ नामक ‘हायरपसोनिक मिसाइल’ का सफल परीक्षण किया है। रशिया के रक्षा विभाग ने इस परीक्षण की जानकारी साझा की। बीते साल से रशिया ने ‘ज़िरकॉन हायपरसोनिक मिसाइल’ का यह तीसरा परीक्षण किया है। इस परीक्षण से रशिया ने ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ के निर्माण में प्राप्त किया हुआ अपना वर्चस्व दिखाने की बात मानी जा रही है।

रशिया ने ‘व्हाईट सी’ क्षेत्र में तैनात अपने ‘सेवरोड्विन्स्क’ नामक परमाणु पनडुब्बी से शुक्रवार के दिन इस ‘ज़िरकॉन हायपरसोनिक मिसाइल’ का परीक्षण किया है। रशिया के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी साझा की। समुद्र में ४० मीटर गहराई से यह परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान ‘ज़िरकॉन मिसाइल’ ने ‘बैरेन्टस्‌ सी’ में निर्धारित लक्ष्य को सफलता के साथ निशाना किया, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने जारी किए निवेदन मे कहा गया है। परमाणु पनडुब्बी से ‘ज़िरकॉन’ का किया गया यह पहला परीक्षण था।

Putin-Hypersonic-missileवर्ष २०१६ में रशिया ने पहली बार ‘ज़िरकॉन हायपरसोनिक मिसाइल’ का निर्माण करने की जानकारी सार्वजनिक की थी। इसके बाद एक वर्ष के दौरान इस मिसाइल के तीन परीक्षण किए गए थे। तीन महीने पहले जुलाई में रशियन विध्वंसक से ‘ज़िरकॉन’ का परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल की मारक क्षमता एक हज़ार किलोमीटर है और यह मिसाइल ध्वनि से ९ गुना तेज़ गति से हमला करने की क्षमता रखती है, ऐसा कहा जा रहा है। इस गति की वजह से विश्‍व की कोई भी ‘मिसाइल डिफेन्स सिस्टम’ इस मिसाइल को लक्ष्य नहीं कर सकती, ऐसा दावा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने किया था।

रशियन रक्षा मंत्रालय ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार ज़िरकॉन मिसाइल विध्वंसक एवं विमान वाहक युद्धपोतों को लक्ष्य करने में सक्षम होने की बात कही जा रही है। जुलाई में किए गए परीक्षण के बाद रशियन रक्षा बल ने युद्धपोतों पर  ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ तैनात करने के लिए समझौता भी किया था। अब पनडुब्बी से किए गए इस परीक्षण के बाद ‘ज़िरकॉन’ मिसाइल रशियन पनडुब्बियों पर भी तैनात किए जाएँगे, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। दो वर्ष पहले रशिया ने ‘ऐवनगार्ड’ नामक हायपरसोनिक मिसाइल अपने रक्षाबलों के बेड़े में तैनात किए थे।

अमरीका के साथ नाटो देशों ने भी रशिया के हायपरसोनिक मिसाइलों की बढ़ती क्षमता पर चिंता जताई है और यह मिसाइल पश्‍चिमी यंत्रणाओं के लिए खतरा साबित हो सकते हैं, यह इशारा भी दिया है।

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