यूरोप ने रशियन ईंधन ठुकराया तो एशिया में निर्यात बढ़ाएँगे – रशियन उप-प्रधानमंत्री अलेक्ज़ैंडर नोवाक

मास्को/ब्रुसेल्स – यूरोपिय महासंघ ने ईंधन और ऊर्जा की ज़रूरत पूरी करने के लिए ३०० अरब युरोस के प्रावधान की योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत रशिया से हो रहा आयात साल २०३० तक पूरी तरह से बंद किया जाएगा, यह दावा महासंघ ने किया है। इसके जवाब में रशिया के उप-प्रधानमंत्री अलेक्ज़ैंडर नोवाक ने चेतावनी दी है कि, यूरोप ने ठुकराया ईंधन रशिया एशियाई महाद्विप में भेजेगी। साथ ही रशिया ने ईंधन के पेमेंट के लिए रुबल की शर्त यूरोप की २० से अधिक कंपनियों ने स्वीकारी है, यह जानकारी भी नोवाक ने साझा की।

अलेक्ज़ैंडर नोवाकयूरोपिय महासंघ ने बुधवार को ‘रिपॉवर ईयु’ नामक योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत ३०० अरब युरोस का प्रावधान किया गया है। यह राशि रशियन ईंधन के अलावा अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करके ईंधन का आयात एवं ऊर्जा निर्माण के लिए किया जाएगा। नई योजना के अनुसार साल २०३० तक यूरोप में हरित एवं अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाकर ४५ प्रतिशत करने का उद्देश्य है। हंगरी और स्लोवाकिया जैसे देश रशियन पाईपलाइन पर निर्भर ना रहें, इस वजह से दो अरब युरोस का प्रावधान किया गया है। नैसर्गिक ईंधन वायु से संबंधित बुनियादी सुविधाओं के लिए १० अरब युरोस का प्रावधान किया गया है।

यूरोपिय महासंघ की इस योजना पर रशिया का बयान आया है। ‘यूरोप हर दिन रशिया से तकरीबन ४० लाख बैरल्स ईंधन तेल आयात करता है। यह तेल यूरोपिय देशों ने ठुकराया तो एशिया भेजा जाएगा। यूरोप को अन्य स्रोतों से अधिक महंगा तेल खरीदना पड़ेगा’, ऐसा इशारा उप-प्रधानमंत्री नोवाक ने दिया। एक ओर यूरोप रशियन ईंधन ठुकराने की बयानबाजी कर रहा है तो दूसरी ओर कई यूरोपिय कंपनियों ने रशियन ईंधन का पेमेंट करने के लिए रुबल के खाते शुरू किए हैं, इस ओर नोवाक ने ध्यान आकर्षित किया। रशिया के साथ ईंधन का कारोबार कर रहीं ५४ यूरोपिय कंपनियों में से ५० प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने रुबल का खाता शुरू किया है, ऐसा रशियन उप-प्रधानमंत्री ने कहा।

अलेक्ज़ैंडर नोवाकरशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने मार्च में रशियन ईंधन का पेमेंट रुबल से करने के आदेश दिए थे। पुतिन के इस आदेश का यूरोपिय देशों ने तीव्र विरोध किया था। लेकिन, इस मुद्दे पर रशिया ने पोलैण्ड और बल्गेरिया को जारी ईंधन की आपूर्ति रोक दि थी और इससे यूरोपिय कंपनियों में ड़र का माहौल बना। इसके बाद कई यूरोपिय कंपनियों ने रशियन मुद्रा रुबल का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र खाते शुरू किए। इनमें जर्मनी, इटली और ऑस्ट्रिया जैसे प्रमुख देशों की कंपनियों का समावेश है। इस वजह से जुबानी चेतावनी दे रहे यूरोपिय देशों ने असल में रशिया के दबाव के आगे अपनी गर्दन झुकाने की बात स्पष्ट हो रही है।

यूरोप को इशारा देने के साथ ही नोवाक ने रशिया का ईंधन उत्पादन फिर से सामान्य हो रहा है, इस पर ध्यान आकर्षित किया। अप्रैल में रशिया का ईंधन उत्पादन प्रति दिन १० लाख बैरल्स कम हुआ था। लेकिन, मई में इसमें रोज़ाना दो से तीन लाख बैरल्स बढ़ोतरी होने का अहसास रशियन नेता ने इस दौरान कराया। यूरोप में ईंधन की माँग कम हो रही है, फिर भी भारत, चीन एवं अन्य कुछ देशों से माँग बढ़ रही है, ऐसे संकेत नोवाक ने इस दौरान दिए।

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