रशियन आक्रामकता का सामना करने के लिए नाटो दो नए कमांड की स्थापना करेगा

ब्रुसेल्स: रशियन आक्रामकता को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए नाटो ने दो नए कमांड स्थापित करने के संकेत दिए हैं। उनमें से एक कमांड नाटो के लष्करी पथक के आने जाने की प्रक्रिया जल्द गति से हो, इसके लिए और दूसरी कमांड आर्कटिक एवं अटलांटिक समुद्र सागरी मार्ग सुरक्षित रखने के लिए कार्यान्वित किये जाएंगे, ऐसी जानकारी नाटो के अधिकारियों ने दी है। आने वाले महीने में नाटो सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में नए कमांड को अनुमति दी जाएगी, ऐसा दावा भी अधिकारियों ने किया है।

नाटोनाटो के प्रवक्ता ओआनालंगेस्क्यु लंकेश ने कमांड के बारे में किये वृत्त का समर्थन किया है। नाटो जिस उद्देश्य से स्थापन किया गया है, उसके लिए बहुत सक्षम है या नहीं इसका यकीन करने के लिए और गतिमान लष्कर की गतिविधियां के हेतु से फिलहाल अस्तित्व में आए, कमांड रचना का अभ्यास शुरू है। नाटो के सदस्य देशों में तत्काल लष्करी पथक की तैनाती करने, यह इस गट के सामूहिक बचाव सूत्र का प्रमुख सूत्र है। फिलहाल विविध देश के लष्करी गतिविधियों जल्द गति से संभव होने के लिए, मूलभूत सुविधाओं में बदलाव लाए जा रहे हैं, इन शब्दों में नाटो की प्रवक्ता लंगेस्क्युने नए कमांड के निर्माण के संकेत दिए हैं।

नाटोनए कमांड के लिए होने वाला खर्च और उसके लिए लगने वाला निधि, इसके बारे में अब तक अंतिम निर्णय न होने की बात सूत्रों ने स्पष्ट की है। पर नाटोने नए कमांड की तैयारी शुरू की है और रशियन संगठन पर लष्करी टुकड़ियां तत्काल तैनात किए जाएं, इसके लिए कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। यूरोप में अमरिका के लष्कर प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बेन होजेस ने रशियन लष्कर को जवाब देने के लिए नाटो लष्कर की तेज गतिविधि यह प्रमुख मुद्दा रहेगा, ऐसा दावा किया है।

नाटोने पिछले २ वर्षों में यूरोप में लष्करी तैनाती लगातार बढ़ाने पर जोर दिया है। यह तैनाती होते समय लष्कर के पथकने एवं शस्त्र सामग्री को लाने ले-जाने के लिए बहुत समय लगने का मुद्दा सामने आया था। नाटो के सदस्य देशों में विविध नियमों की वजह से तथा मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से यह होने की बात स्पष्ट हुई थी। उसकी वजह से युरोपियन महासंघ के नागरिकों के लिए होने वाले शेन्गेन झोन सुविधा के जैसे नोटों के लष्करी गतिविधियों के लिए मिलिटरी शेन्गेन झोन निर्माण किए जाए, ऐसा प्रस्ताव भी आगे किया गया था।

इस पृष्ठभूमि पर, दो नए कमांड के निर्माण के बारे में आया प्रस्ताव ध्यान केंद्रित कर रहा है। नाटो की लष्करी तैनाती एवं शस्त्र सामग्री के लिए बड़ा हिस्सा अमरिका का है। अमरिका तथा उत्तरी यूरोप के देशों के युद्धनौका एवं अन्य जहाज अटलांटिक तथा आर्क्टिक महासागर के मार्ग द्वारा यात्रा करते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए यह सागरी मार्ग सुरक्षित रहना आवश्यक है। रशिया, आर्क्टिक महासागर में तैनाती बढ़ाकर वर्चस्व प्रस्तावित करने का प्रयत्न करने से उसका महत्व अधिक बढ़ा है। उसकी वजह से इस मार्ग की सुरक्षा के लिए नाटो ने स्वतंत्र कमांड के संकेत दिए जाने की बात महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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