रशिया के खिलाफ यूरोप को युद्धसज्ज करने के लिए नाटो की जोरदार गतिविधियाँ

  • यूरोपीय देशों की बुनियादी सुविधाओं को लष्करी गतिविधियों के लिए तैयार रखने की मांग
  • रशिया को प्रत्युत्तर देने के लिए दो नए कमांड सेंटर्स को मंजूरी
  • नाटो के सभी मुहिमों में सायबर सुरक्षा का भी समावेश

ब्रुसेल्स: रशिया परमाणु परीक्षण, मिसाइल तैनाती और युद्धाभ्यास के माध्यम से आक्रामक नीति कार्यान्वित कर रहा है, ऐसे में नाटो ने उसे कड़ा प्रत्युत्तर देने की तैयारी शुरू की है। बुधवार को ब्रुसेल्स में हुई नाटो की बैठक में इसके बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उसमें रशिया के संभावित हमलों का सामना करने के लिए दो नए कमांड सेंटर्स की स्थापना एवं आगे की सभी मुहिमों में सायबर सुरक्षा का समावेश है। उसी समय सभी यूरोपीय देश तेज लष्करी गतिविधियों के लिए देश की बुनियादी सुविधाओं को तैयार रखें, ऐसी मांग भी नाटो के प्रमुख ने की है।

रशिया ने पिछले २ महीने में ‘झैपड युद्धाभ्यास’, ‘इस्कंदर मिसाइल की कैलिनिन ग्रैंड में तैनाती’ और ‘टोपोल-एम’ और ‘सैटर्न २’ का परीक्षण इस माध्यम से युद्धसज्जता के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर नाटो की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। बैठक से पहले ही नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग और अमरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने रशियन आक्रामकता के विरोध में ठोस निर्णय लिए जाएंगे, ऐसा सूचित किया था। नए निर्णयों की वजह से इस वक्तव्य को स्पष्ट पुष्टि मिलने की बात दिखाई दे रही है।

नाटो, प्रत्युत्तर, कमांड सेंटर्स, यूरोप, परीक्षण, ब्रुसेल्समूल बैठक की शुरुआत होने से पहले नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने पत्रकार परिषद आयोजित की थी। इस परिषद में उन्होंने रशियन खतरे का उल्लेख करते हुए उसके खिलाफ सज्ज रहने की आवश्यकता होने की बात सूचित की है। ‘रशियन कार्रवाइयों को रोकना एवं सदस्य देशों का सामूहिक बचाव, इन नाटो के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए तेज लष्करी गतिविधियां आवश्यक हैं, और उसके लिए यूरोपीय देशों में सड़कें, पुल तथा रेल सेवा जैसी बुनियादी सुविधाएँ सक्षम होनी चाहिए। टैंक तथा बड़ी सुरक्षा यंत्रणाओं की गतिविधियों के लिए यह आवश्यक है’, ऐसा जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने कहा है। अमरिकी रक्षा मंत्री ने बैठक के दौरान रशिया की ओर से परमाणु अनुबंध का उल्लंघन हो रहा है, ऐसा दावा किया है।

यूरोपीय देशों को युद्धसज्ज रहने का आवाहन करने के बाद हुई मुख्य बैठक में दो नए ‘कमांड सेंटर्स’ तथा ‘स्वतंत्र सायबर ऑपरेशन सेंटर’ की स्थापना करने के निर्णय लिए गए। उसमें से दो नए कमांड सेंटर स्थापन करने का निर्णय ऐतिहासिक एवं सामाजिक रुप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। शीत युद्ध के कालावधि में नाटो के लगभग ३३ ‘कमांड सेंटर्स’ थे और उसमें २२००० अधिकारी कार्यरत थे। पर शीत युद्ध खत्म होने के बाद उसमें कटौती करके ‘कमांड्स’ की संख्या सात पर लाई गई थी।

लेकिन बुधवार को हुई बैठक में, इस कमांड्स की संख्या नौ पर लेने का निर्णय लिया गया। दो नए ‘कमांड्स’ में से एक कमांड, यूरोप में तैनात की गई सेना की गतिविधियों में समन्वय रखने का काम करने वाला है। तथा दूसरा ‘कमांड सेंटर’ अटलांटिक महासागर की सुरक्षा पर ध्यान रखने वाला है। इन कमांड का उद्देश्य अमरिकी रक्षा दल ने यूरोप की तैनाती में कोई भी बाधा न आए, यह है ऐसा कहा जा रहा है।

दो नए कमांड सेंटर्स के साथ साथ, स्वतंत्र ‘सायबर ऑपरेशन्स सेंटर’ का निर्माण यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ है। इस सेंटर के माध्यम से नाटो की अगली हर मुहिम में ‘सायबर सुरक्षा’ को भी प्राथमिकता रहेगी, ऐसा स्पष्ट संकेत दिए जाने की बात सूत्रों ने स्पष्ट की है। नाटो सदस्य वाले यूरोपीय देशों पर रशिया की ओरसे बड़े सायबर हमले हो रहे हैं, इस पृष्ठभूमि पर यह निर्णय ध्यान आकर्षित करने वाला साबित हुआ है।

नाटो ने यूरोप को ‘युद्धसज्ज’ बनाने के लिए शुरू की तैयारी पर रशिया ने प्रतिक्रिया दी है और इस बारे में निर्णय ‘बुरे संदेश’ होने की नाराजगी व्यक्त की है।

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