नाटो का प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया द्वारा ३० हज़ार सैनिक तैनात

रड़ार को चकमा देनेवाले आण्विक क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया जाएगा

आरएस-२८ सरमॅट

नाटो जबकि रक्षासिद्धता के लिए युरोपीय देशों में आक्रामक कदम उठा रहा है, रशिया ने भी उसे ‘जैसे को तैसा’ जवाब देना शुरू किया है। नाटो ने पिछले हफ़्ते रोमानिया में ‘मिसाईल ड़िफ़ेन्स’ यंत्रणा को क्रियान्वित कर, पोलंड़ में इसी यंत्रणा के दूसरे पड़ाव की शुरुआत की थी। उसीके साथ, ‘माँटेनेग्रो’ इस नये देश का, नाटो के नये सदस्य के रूप में स्वीकार करने की घोषणा भी की थी।

नाटो की इस खुराफ़ात का जवाब देते हुए रशिया ने अपनी पश्चिम सीमा पर पूरे ३० हज़ार सैनिकों की तैनाती शुरू की है। साथ ही, ‘स्टेल्थ’ तंत्रज्ञान का इस्तेमाल किये हुए ‘सॅटन २’ (आरएस-२८ सरमॅट) इस प्रगत परमाणुअस्त्रवाहक क्षेपणास्त्र के परीक्षण की घोषणा भी की है।
रशिया के नाटोस्थित प्रतिनिधि अलेक्झांडर ग्रुश्को ने लष्करी तैनाती के बारे में जानकारी दी। रशिया के हितसंबंधों की हिफ़ाज़त करने के लिए विभिन्न उपाययोजनाएँ की जा रहीं होकर, तीन मिलिटरी डिव्हिजन की तैनाती यह उसी का भाग है, इन शब्दों में उन्होंने लष्करी तैनाती शुरू हुई होने की जानकारी दी। ये मिलिटरी डिव्हिजन्स रशिया की पश्चिम सीमा पर के ‘रोस्तोव्ह-ऑन-डॉन’, ‘स्मोलेन्स्क’ और ‘व्होरोनेझ’ इन इलाक़ों में तैनात की जानेवाली हैं।

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तीन मिलिटरी डिव्हिजन्स की तैनाती के साथ साथ रशिया ने अपने परमाणुअस्त्रसामर्थ्य में भी वृद्धि करने का फ़ैसला किया होकर, ‘आरएस-२८ सरमॅट’ इस प्रगत क्षेपणास्त्र का परीक्षण करने की भी घोषणा की है। रशिया के ‘झ्वेझ्दा’ इस चॅनेल ने इस बारे में जानकारी प्रकाशित की है। ‘आरएस-२८ सरमॅट’ यह तक़रीबन १०० टन वज़न का ‘इंटरकाँटिनेन्टल बॅलिस्टिक मिसाईल’ (आयसीबीएम) होकर, उसमें लगभग १५ परमाणु-अस्त्रों का वहन कर ले जाने की क्षमता है।

रड़ार को चकमा देनेवाले ‘स्टेल्थ’ तंत्रज्ञान का इस्तेमाल करनेवाले इस प्रगत क्षेपणास्त्र की पहुँच तक़रीबन १० हज़ार किलोमीटर तक है। एक उड़ान में युरोपस्थित फ़्रान्स देश अथवा अमरीकास्थित टेक्सास प्रांत को जलाकर राख़ करने की क्षमता इसमें होने का दावा भी किया गया है। सन २००९ से ‘आरएस-२८ सरमॅट’ विकसित किया जा रहा होकर, सन २०२० तक रशियन सेना में उसे तैनात किया जायेगा, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी। सात किलोमीटर प्रतिसेकंड इतनी प्रचंड रफ़्तार रहनेवाले इस क्षेपणास्त्र में युरोपीय देशों के साथ साथ अमरीका को भी लक्ष्य बनाने की क्षमता है।

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