तुर्की जनतंत्र से दूर चला जा रहा है – युरोपीय युनियन के संसद ने साधा निशान

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अमरीका एवं इस्रायल ने तुर्की की सुरक्षापरिस्थिति पर ज़ाहिर की चिंता और रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दी हुई गृहयुद्ध की चेतावनी के बाद अब युरोप ने भी तुर्की पर निशाना साधा है। युरोप की संसद में पारित हुए एक प्रस्ताव में ‘तुर्की जनतंत्र से दूर चला जा रहा होकर, क़ानून एवं सुव्यवस्था पर सुयोग्य अमल नहीं किया जा रहा है’ ऐसी आलोचना की गयी है। तुर्की द्वारा युरोपीय महासंघ की सदस्यता प्राप्त करने के लिए जो प्रयास किये जा रहे हैं, उनके लिए यह प्रस्ताव एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

पिछले महीने ही, युरोपीय महासंघ एवं तुर्की के बीच, निर्वासितों की समस्या को सुलझाने के लिए महत्त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे। इस समझौते के तहत, तुर्की के लिए तक़रीबन छ: अरब युरो की निधि, तुर्की नागरिकों को युरोप में ‘व्हिसा-फ़्री’ प्रवेश और महासंघ की सदस्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को और आसान बनाना, इन मुद्दों को मान्य किया गया था। लेकिन इस समझौते को लेकर युरोपीय देशों में से तीव्र प्रतिक्रियाएँ उठी थीं। ब्रिटन सहित कई प्रमुख देशों ने, ‘तुर्की का महासंघ में प्रवेश यह ‘रेड़लाईन’ होगी’ ऐसी चेतावनी दी थी।
तुर्की के विरोध में युरोप में रहनेवाला असंतोष, युरोपीय संसद के इस प्रस्ताव के माध्यम से फिर एक बार सामने आया है। ‘महासंघ की सदस्यता के लिए आवश्यक रहनेवाले मापदंडों को तुर्की पैरों तले रौंद रहा है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगेन की सरकार जनतंत्र से एवं क़ानून का प्रवर्तन करने से दूर जाती हुई दिखायी देती है’, इन शब्दों में तुर्की की कड़ी आलोचना की गयी है। उसी समय, ‘युरोपीय महासंघ को तुर्की के लिए युरोपीय मूल्यों का त्याग नहीं करना चाहिए। निर्वासितों के मुद्दे पर तुर्की के साथ किया जानेवाला सहयोग युरोप के मापदंड पर होगा। उसका तुर्की के महासंघ के समावेश के साथ कोई ताल्लुक़ नहीं होगा’ ऐसा भी प्रस्ताव में दृढ़तापूर्वक कहा गया है।

युरोप की संसद में यह प्रस्ताव ३७५ बनाम १७७ मतों से पारित किया गया। इस मंज़ुरी के कारण, युरोपीय देशों में तुर्की के बारे में रहनेवाली नाराज़गी स्पष्ट रूप में सामने आयी है। चंद पाँच महीने पूर्व ही युरोपीय महासंघ ने तुर्की में रहनेवाले मानवाधिकारों के बारे में नकारात्मक ब्योरा प्रकाशित किया था। उसमें यह आरोप किया गया था कि ‘तुर्की प्रसारमाध्यमों को रहनेवाली आज़ादी को एवं मानवाधिकारों को पैरों तले कुचल रहा है।’ राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के कार्यकाल में अभिव्यक्तीस्वतंत्रता को एवं विधिमंडल के अधिकारों का खुलेआम पैरोंतले कुचला जा रहा होने की आलोचना भी की गयी थी।

पिछले ही महीने युरोपीय महासंघ की विदेश-प्रमुख फ़्रेडरिका मॉघेरिनी ने, तुर्की में जनतंत्र का एवं अभिव्यक्तीस्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा होने पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी। तुर्की स्थित तथा युरोप में रहनेवाले कई मानवाधिकार संगठनों ने भी, तुर्की में घटित हो रहीं विद्यमान गतिविधियों को लेकर पश्चिमी देशों ने एर्दोगन सरकार पर दबाव डालना चाहिए, ऐसा तिलमिलाकर आवाहन किया था। राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने गत कुछ महीनों में अपने विरोधकों के खिलाफ़ आक्रामक कार्रवाइयाँ शुरू की होकर, कइयों पर मुक़दमें दायर कर उन्हें ठेंठ जेल में बंद कर दिया है। उनमें राजनीतिक विरोधकों के साथ साथ पत्रकारों का भी समावेश है।

पिछले हफ़्ते भर में अमरीका, इस्रायल और रशिया ने तुर्की में रहनेवाले सुरक्षा के हालातों पर चिंता ज़ाहिर कर, अपने नागरिकों को उस देश की यात्रा टालने का मशवरा दिया था। उसके बाद अब युरोप द्वारा तुर्की के मानवाधिकार एवं जनतंत्र के हालातों पर चिंता ज़ाहिर की जाने के कारण, आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुर्की चारों तरफ़ से घिर गया होने का चित्र सामने आ रहा है।

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