देश के निज़ी क्षेत्र ने सेना के लिए पहली बार किया ‘ग्रेनेड’ का निर्माण – ‘मल्टी मोड हैण्ड ग्रेनेड’ सेना को सौंपा गया

नई दिल्ली – ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने विकसित किए ‘मल्टी मोड हैण्ड ग्रेनेड’ का उत्पादन एक निज़ी कंपनी ने किया है और स्वदेशी निर्माण का यह प्रगत ‘ग्रेनेड’ मंगलवार के दिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में सेना को सौंपा गया। भारत में सेना के लिए पहली बार किसी निज़ी कंपनी ने ‘ग्रेनेड’ का उत्पादन किया है। रक्षा सामान के निर्माण क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर करने की दिशा में भारत की यात्रा एवं सार्वजनिक और निज़ी क्षेत्र की भागिदारी का यह उत्तम नमूना होने का बयान रक्षामंत्री ने किया है।

‘ग्रेनेड’डीआरडीओ’ की ‘टर्मिनल बैलेस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी’ (टीबीआरएल) ने ‘मल्टी मोड हैण्ड ग्रेनेड’ (एमएमएचजी) का निर्माण किया था और इसका उत्पादन करने के लिए नागपुर स्थित इकॉनॉमिक एक्सप्लोज़िव लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया गया था। इस कंपनी को सेना के लिए १० लाख ‘एमएमएचजी’ की आपूर्ति करने का कान्ट्रैक्ट दिया गया था। इसके लिए तकनीक का हस्तांतरण करने का समझौता भी किया गया था। इस ग्रेनेड़ का पहला लॉट रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय सेना के हाथ सौंपा गया। भारतीय इतिहास में पहली बार किसी निजी कंपनी ने सेना के लिए ‘ग्रेनेड’ बनाने का काम किया है।

‘ग्रेनेड’वर्तमान में भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल हो रहे ग्रेनेड का इस्तेमाल धीरे धीरे बंद किया जाएगा। भारतीय सेना अब तक ब्रिटीश निर्माण के हैण्ड ग्रेनेड इस्तेमाल कर रही है और सेना की माँग के अनुसार ‘डीआरडीओ’ ने सेना के लिए प्रगत मल्टी मोड हैण्ड ग्रैनेड विकसित किए हैं। इस वजह से ब्रिटीश निर्माण के ग्रेनेड को स्वदेशी तकनीक का विकल्प उपलब्ध हुआ है। लेकिन, इन हैण्ड ग्रेनेड की आपूर्ति सेना के लिए तेज़ी से करने के लिए निजी कंपनी को भी कान्ट्रैक्ट दिया गया। इनमें से तकरीबन चालीस हज़ार ग्रेनेड सेना को प्रदान होने की जानकारी प्राप्त हो रही है। लगभग एक महीना पहले सेना को ‘एमएमएचजी’ की आपूर्ति शुरू हुई। लेकिन, इसका औपरचारिक समारोह रक्षामंत्री की मौजूदगी में मंगलवार के दिन हुआ। इस दौरान सेनाप्रमुख जनरल एम.एम.नरवणे, डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ.जी.सतीश रेड्डी, इन्फैन्ट्री के अध्यक्ष और महासंचालक लेफ्टनंट जनरल ए.के.सामंत्र उपस्थित थे।

‘एमएमएचजी’ ग्रेनेड का इस्तेमाल रक्षात्कम और आक्रामक दोनों तरीकों से हो सकता है। यह ग्रेनेड भार में हल्के हैं और इसकी तीव्रता पांच मीटर के क्षेत्र में महसूस हो सकती है। इस्तेमाल के लिए आसान यह ग्रेनेड काफी प्रभावी हैं। मैदानी इलाके, रेतीले एवं अधिक उंचाई के क्षेत्र में इस ग्रेनेड के किए गए परीक्षण बड़े सफल हुए हैं।

इस हैण्ड ग्रेनेड की तेज आपूर्ति करने पर रक्षामंत्री ने ‘डीआरडीओ’ और ‘इकॉनॉमिक एक्सप्लोज़िव लिमिटेड’ की सराहना की है। ‘मल्टी मोड ग्रेनेड’, ‘अर्जुन मार्क-१ टैंक’, ‘मानव रहित सर्फेस वेहिकल’ और ‘सी थ्रू आर्मर’ जैसे स्वदेशी उत्पादनों का विकास करने पर भी राजनाथ सिंह ने उद्योगक्षेत्र की सराहना की। रक्षा सामान का देश में उत्पादन बढ़ा है। साथ ही नई तकनीक का देश में ही निर्माण हो रहा है। इस वजह से अब भारत भी रक्षा सामान की निर्यात करने लगा है। बीते दो वर्षों के दौरान भारत ने १७ हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक रक्षा सामान का निर्यात किया है, इस ओर रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही जल्द ही सिर्फ देश में इस्तेमाल करने के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व के लिए भारत रक्षा सामान का उत्पादन करेगा, यह विश्‍वास रक्षामंत्री ने व्यक्त किया।

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