चीन सीमा पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती होगी

नई दिल्ली – भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आयटीबीपी) के अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती करने पर केंद्र की सरकार विचार कर रही है। चीन के तकरीबन १०० सैनिकों ने बीते हफ्ते उत्तराखंड़ के बाराहोती क्षेत्र में घुसपैठ करके एक पुल को नुकसान पहुँचाने की खबरें प्राप्त हुईं थी। साथ ही चीन ने ‘एलएसी’ पर फिर से अपनी तैनाती बढ़ाने की बात भी सामने आ रही है। लद्दाख से सेना हटाने के मुद्दे पर भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अफसरों की १३ वें दौर की बातचीत इस महीने होगी। इससे पहले चीन की सीमा पर अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती करने पर विचार होने का प्राप्त वृत्त बड़ी अहमियत रखता है।

china-border-itb-soldiers‘एलएसी’ पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती होने से सरहदी क्षेत्र में गश्‍त बढ़ाना मुमकिन होगा। साथ ही सीमा चौकियों पर तैनात सैनिकों को बदलना भी आसान होगा। फिलहाल सीमा पर तैनात सैनिकों को तीन महीने में एक बार बदला जाता है। भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर १८० सीमा चौकियाँ हैं और हरएक चौकी पर १४० सैनिक तैनात रहते हैं। बीते वर्ष गलवान में संघर्ष के बाद तनाव बढ़ने पर ‘एलएसी’ पर ४७ नई चौकियों का निर्माण करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान की थी। इसके अलावा इन सैनिकों के लिए राशन और अन्य सामान की आपूर्ति के लिए १२ छांवनियाँ स्थापित करने के लिए भी सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। साथ ही यह छांवनी अस्थायी सीमा चौकियों का भी काम करेंगी। अतिरिक्त सीमा चौकियों के कारण दो चौकियों के बीच की दूरी भी कम होगी।

इस पृष्ठभूमि पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती करने का विचार चल रहा है। इस प्रस्ताव पर सरकार के वरिष्ठ अधिकारी चर्चा कर रहे हैं। नई बटालियन तैनात करनी है या माओवादियों के खिलाफ जारी मुहिम और ‘वीआयपी’ लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात ‘आयटीबीपी’ के सैनिकों को हटाकर चीन की सीमा पर तैनात करने हैं, इन विकल्पों पर भी विचार जारी होने का वृत्त है।

इसी बीच भारतीय सीमा की सुरक्षा और अखंड़ता किसी भी स्थिति में बरकरार रखना ही ‘आयटीबीपी’ के सैनिकों का कार्य है। इसके लिए सैनिक हमेशा मुस्तैद होता है। ‘आयटीबीपी’ अच्छा काम कर रही है और आगे भी करती रहेगी, ऐसा बयान ‘आयटीबीपी’ के महासंचालक संजय आरोरा ने सोमवार के दिन माध्यमों से संवाद के दौरान किया। साथ ही उत्तराखंड़ के बाराहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर बोलते समय ऐसी घुसपैठ की छोटी-बड़ी घटनाएँ होती रहती हैं और भारतीय सैनिक इस पर उचित प्रत्युत्तर देते हैं, यह भी आरोरा ने कहा।

चीन के तकरीबन १०० सैनिकों ने ३० अगस्त के दिन उत्तराखंड़ के बाराहोती में घुसपैठ की थी। लेकिन, भारतीय सैनिकों के पहुँचने से पहले ही चीनी सैनिक वहां से भाग निकले थे। गलवान में हुए संघर्ष से भारतीय सैनिकों ने चीन की मर्यादा विश्‍व को दिखाई थी। इससे चीन की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गई है और खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए चीन अलग अलग तरीके से कोशिश कर रहा है। चीन का भारतीय सीमा में घुसपैठ करना, सीमा पर सैनिकों की तैनाती करके लष्करी तैयारी बढ़ाना भारत पर दबाव ड़ालने की कोशिशों का हिस्सा है। लेकिन, भारत ने भी चीन के इस दबाव की परवाह किए बगैर अपनी रक्षा तैयारी बढ़ाना जारी रखा है। हाल ही में भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे ने लद्दाख का दौरा किया था। उस समय नवीनतम ‘के ९ वज्र’ तोंप भी लद्दाख में तैनात की गई। इससे रक्षाबलप्रमुख बिपीन रावत ने पहले उत्तराखंड़ का दौरा किया था। भारत ने भी चीन की किसी भी हरकत का मुकाबला करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है और इस पृष्ठभूमि पर ‘एलएसी’ पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती पर विचार जारी होने का वृत्त प्राप्त हुआ है।

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