अमरिकी जवानों को ‘वोल्व्हराईन’ जैसी क्षमता देने के लिए संशोधन जारी – ‘सेल्युलर रिप्रोग्रामिंग’ तंत्रज्ञान का इस्तेमाल

वॉशिंग्टन – अमरिकी रक्षाबलों के जवानों को हॉलिवूड फिल्मों के ‘सुपरहिरोज़्’ में होनेवाली क्षमता देने के लिए तेजी से संशोधन जारी होने की बात सामने आ रही है। युद्ध तथा अन्य मुुहिमो में जवानों को होनेवाले ज़ख्म जल्द से जल्द ठीक होने के लिए, ‘सेल्युलर रिप्रोग्रॅमिंग’ इस अनोखे तंत्रज्ञान का इस्तेमाल किया जाने वाला है। अमरिकी हवाई दल की ‘रिसर्च लैबोरेटरी’ और मिशिगन विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप में इस प्रोजेक्ट पर काम जारी होने की जानकारी हवाई दल ने दी है। तीन साल पहले अमरीका के रक्षाबल का भाग होने वाली गोपनीय प्रयोगशाला ‘डिफेन्स ऍडव्हान्सड् रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजन्सी’ अर्थात् ‘डार्पा’ ने, ‘सुपर सोल्जर’ का निर्माण करने के लिए सफल परीक्षण किये होने की जानकारी दी थी।

us-volvarineअमरीका के ‘मार्व्हेल कॉमिक्स’ द्वारा प्रकाशित होने वाले ‘एक्स मेन’ इन कॉमिक्स में, जनुकीय बदलावों के आधार पर अनोखी ताकत प्राप्त हुए ‘सुपरहिरोज़्’ का कथानक रेखांकित किया गया है। उनमें से लोकप्रिय कैरेक्टर होने वाले ‘वोल्व्हराईन’ में, बदन पर हुए जख्म तेजी से भरने की क्षमता दिखायी गयी है। इस क्षमता के कारण वह कितने भी समय तक संघर्ष कर सकता है, ऐसा दिखानेवालीं हॉलीवुड फिल्में भी आईं हैं। सन २००० से २०१७ इस कालावधी में प्रदर्शित हुई ‘एक्स मेन’ फिल्म सीरीज की नौं फिल्मों में ‘वोल्व्हराईन’ का कैरेक्टर संघर्ष करते हुए दिखाया गया है। लेकिन यह अब केवल संकल्पना नहीं रही है, बल्कि अमरिकी हवाई दल और मिशीगन विश्वविद्यालय द्वारा इस पर संशोधन किया जा रहा है।

us-volvarineमिशिगन को विद्यालय में डॉक्टर इंदिका राजपक्षे इस संशोधन की बागडोर संभाल रही होकर, उनके साथ हवाई दल की ‘७११ ह्युमन परफॉर्मन्स विंग’ के प्रमुख डॉ. राजेश नाईक तथा ‘एअरफोर्स डिसरप्टिव्ह टेक्नॉलॉजी टीम’ के प्रमुख कर्नल चार्ल्स ब्रिस-बॉईस इनका पथक सहयोग कर रहा है। डॉक्टर इंदिका राजपक्षे ने यह दावा किया है कि ‘सेल्युलर रिप्रोग्रॅमिंग’ तंत्रज्ञान का इस्तेमाल करके, मानव शरीर को हुए ज़ख्म हमेशा से पाँच गुना जल्दी भर सकते हैं। उसके लिए उन्होंने शरीर की पेशियों में पाए जाने वाले ‘ट्रान्स्क्रिप्शन फॅक्टर्स’ नामक प्रोटीन का इस्तेमाल किया है। ये प्रोटीन्स पेशियों का विभाजन, विकास एवं संगठन इन जैसे कार्य करने वाले जीन्स का नियंत्रण करते हैं।

डॉक्टर राजपक्षे के संशोधन के अनुसार, ‘सेल्युलर रिप्रोग्रॅमिंग’ के माध्यम से किसी स्प्रे का इस्तेमाल करके, जिस प्रकार बैंडेज लगाते हैं उस प्रकार जख्मों पर ‘ट्रान्स्क्रिप्शन फॅक्टर्स’ का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पद्धति फिलहाल अस्तित्व में होने वाले ‘स्किन ग्राफ्टिंग’ इस पद्धति की अपेक्षा अधिक तेजी से और सफलतापूर्वक, शरीर पर हुए जख्म भर सकती है, ऐसा दावा किया गया है । राजपक्षे और उनके पथक ने, किस जख्म पर निश्चित रूप से कौन सा ‘ट्रान्स्क्रिप्शन फॅक्टर्स’ परिणामकारक साबित हो सकता है, यह ढूंढने के लिए स्वतंत्र अल्गोरिदम भी विकसित किया है।

us-volvarine‘विज्ञान के संशोधन का इस्तेमाल, युद्ध में संघर्ष करने वाले जवान और तंत्रज्ञान इन्हें एकसाथ लाने के लिए किया जाना चाहिए और इसके लिए हमारी कोशिशें जारी होकर, डॉक्टर इंदिका राजपक्षे का संशोधन यानी ऐसी कोशिशों को मिली सफलता कही जा सकती है। हम इसी प्रकार के तंत्रज्ञान की प्रतीक्षा कर रहे थे’, इन शब्दों में ‘एअरफोर्स डिसरप्टिव्ह टेक्नॉलॉजी टीम’ के प्रमुख कर्नल चार्ल्स ब्रिस-बॉईस ने इस संशोधन के महत्व को अधोरेखित किया है।

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