अफगानिस्तान से शीघ्र सेना वापसी के कारण अमरिकी जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन

वॉशिंग्टन – स्पीड इज सेफ्टी, अर्थात् सेना वापसी की रफ्तार के कारण सुरक्षा निश्चित हो रही है, यह बताकर अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने अपने फैसले का समर्थन किया। अमरीका अफगानिस्तान से सेना वापसी करते समय जल्दबाज़ी कर रही है और इसके भयानक दुष्परिणाम सामने आने का आरोप हो रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान की अधिक से अधिक भूमि पर कब्ज़ा करना शुरू किया, उसके लिए अमरीका ने जल्दबाज़ी में की वापसी ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया जा रहा है। उस पृष्ठभूमि पर, बायडेन ने अफगानिस्तान से वापसी के संदर्भ में यह घोषणा की। इसके अनुसार ३१ अगस्त तक अमरीका की सक्रिय सेना अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी करनेवाली है।

afghan-biden-us-troops-security-1सेनावापसी पर जताए जानेवाले ऐतराज़ों को उत्तर देते समय राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने, पिछले २० सालों में लाखों करोड़ों डॉलर इस युद्ध पर खर्च हुए और २४४८ अमरिकी जवान इस युद्ध में मारे गए, इसकी याद दिला दी। अफगानिस्तान के युद्ध के लिए अमेरिका की अगली पीढ़ियों को अफगानिस्तान नहीं भेज सकते, ऐसा दावा उन्होंने किया। अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण करने के लिए अमरीका ने इस देश में युद्ध नहीं छेड़ा था। ओसामा बिन लादेन को नर्क के द्वार तक पहुँचाना और अमरीका पर हमला करने की अलकायदा की क्षमता नष्ट करना, ये दो उद्देश्य सामने रखकर अमरीका ने यह युद्ध किया। वह साध्य हुआ है, ऐसा दावा बायडेन ने किया।

ऐसा होने के बावजूद भी, अफगानिस्तान की मुहिम पूरी तरह खत्म हुई और ‘मिशन अकंप्लिश्ड्’ हुआ यह दावा किया नहीं जा सकता। इस देश के आतंकवादी संगठनों को अमरीका पर हमला कर सकने जितनी क्षमता प्राप्त करने नहीं दी जाएगी। अपने ये सुरक्षाविषयक हितसंबंध महफूज़ रखने के लिए अमरीका अपने लष्करी और गुप्तचर विभाग का अस्तित्व अफगानिस्तान में कायम रखनेवाली है, यह बायडेन ने स्पष्ट किया। अफगान लष्कर को मिलनेवाली आर्थिक सहायता इसके आगे भी जारी रहेगी, ऐसा यकीन राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने दिलाया।

‘तालिबान सामर्थ्यशाली बना है यह सच है, फिर भी ७५ हज़ार तालिबानी आतंकवादी, प्रशिक्षित और शस्त्रसिद्ध ऐसे तीन लाख अफगानी लष्कर के सामने टिक नहीं सकेंगे। इस कारण अमरीका की वापसी के बाद भी पूरा अफगानिस्तान तालिबान के हाथ में नहीं जाएगा। इस मामले में मेरा तालिबान पर नहीं, बल्कि अफगानी लष्कर की क्षमता पर विश्वास है’, ऐसा दावा बायडेन ने किया।

लेकिन, ‘ दुनिया का कोई भी देश अथवा हुकूमत अफगानिस्तान को एकसंघ रख नहीं सके हैं। इसके लिए अफगान सरकार और नेताओं को एकजुट करनी होगी’, ऐसी सलाह बायडेन ने दी। साथ ही, ‘अफगानिस्तान पर नियंत्रण होनेवाली एकीकृत सरकार होने की संभावना बहुत ही कम है’, यह बता कर, अफगानिस्तान में दो अथवा उससे अधिक समांतर सरकारें होंगी, ऐसे संकेत बायडेन ने दिए। इस कारण एक ही समय काबुल में राष्ट्रध्यक्ष गनी की सरकार और तालिबान के कब्ज़े में होनेवाला भूभाग, इस प्रकार अफगानिस्तान का विभाजन होने के संकेत मिल रहे हैं। तालिबान पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा नहीं कर सकेगा, ऐसा दावा करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने इस पर मुहर लगाई दिख रही है।

अमरीका की अफगानिस्तान से वापसी की तुलना सन १९७५ के वियतनाम के पराजय के साथ करना उचित नहीं है, ऐसा बायडेन ने कहा। उत्तर वियतनाम के कम्युनिस्ट जवान और तालिबान इनकी क्षमता में बड़ा फर्क है, ऐसा बायडेन ने स्पष्ट किया। साथ ही, वियतनाम की तरह अमरीका को अफगानिस्तान के दूतावास में हेलीकॉप्टर उतारकर वापसी नहीं करनी पड़ी है, इसपर बायडेन ने गौर फरमाया।

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