अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी का मुद्दा बायडेन प्रशासन के लिए बना दुविधा

काबुल – अफ़गानिस्तान से सेना वापसी का निर्णय करना अब अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के सामने सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। तालिबान के साथ शांति समझौता करते समय अमरीका ने २०२१ के मई महीने से पहले अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी पूरी सेना को हटाने का मुद्दा स्वीकार किया था। इसके बदले में तालिबान ने अफ़गानिस्तान में शुरू हिंसा रोकने की तैयारी दिखाई थी। साथ ही अल कायदा से ताल्लुकात ना रखने का वादा भी तालिबान ने किया था। तालिबान ने अब तक इसका पालन किया नहीं है, इस बात की याद ताज़ा करके अमरीका के विश्‍लेषक और लष्करी अधिकारी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को अफ़गानिस्तान से वापसी ना करने का आवाहन कर रहे हैं।

us-saudiअफ़गानिस्तान में बीते कुछ हफ्तों से तालिबान के भीषण हमलों का सिलसिला जारी है। इस वजह से अफ़गानिस्तान में खूनखराबा हो रहा है और अफ़गानिस्तान की सरकार इसके लिए तालिबान को ज़िम्मेदार ठहरा रही है। तभी अफ़गानिस्तान की सरकार और अमरीका शांति समझौते का उल्लंघन कर रहे हैं, यह आरोप तालिबान ने किया है। ऐसी स्थिति में अमरिका ने अफ़गानिस्तान में तैनात अपने २,५०० सैनिकों की वापसी का निर्णय किया तो इसका मतलब अफ़गानिस्तान को तालिबान के हाथों में सौपना ही होता है, ऐसे इशारे विश्‍लेषक एवं लष्करी अधिकारी दे रहे हैं। अमरीका अपनी सेना की वापसी की जल्दबाज़ी ना करे, यह आवाहन भी उन्होंने किया है।

ऐसी स्थिति में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को अफ़गानिस्तान से सेना वापसी का निर्णय करना होगा। बायडेन प्रशासन ने फिलहाल अफ़गानिस्तान से सेना हटाने के निर्णय पर पुनर्विचार शुरू होने का ऐलान किया है। तालिबान ने अफ़गानिस्तान में जारी हिंसा रोकी नहीं और अल कायदा से संबंध तोड़े नहीं हैं। बल्कि तालिबान की सुरक्षा के नाम से अल कायदा अधिक ही ताकतवर हुई है, ऐसा इशारा अमरीका में कुछ लोगों ने दिया है। ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान में तैनात पूरी सेना हटाने का निर्णय अमरीका पर ही पल्टे बगैर नहीं रहेगा, ऐसा अभ्यासकों का कहना है। बायडेन प्रशासन ऐसी गलती नहीं करेगा, यह दावा किया जा रहा है। साथ ही अफ़गानिस्तान में तैनात सेना को ना हटाना यानी तालिबान के साथ नया संघर्ष शुरू करना साबित होगा, इस ओर भी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

इस वजह से अफ़गानिस्तान से संबंधित निर्णय करना बायडेन के लिए आसान नहीं होगा, ऐसा अनुमान निरीक्षक लगा रहे हैं। तभी, अमरीका ने तय हुए मुद्दों के अनुसार अपनी सेना की वापसी नहीं की तो भीषण खूनखराबा करने की धमकियाँ तालिबान दे रही है।

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