क्वाड के चीनविरोधी दांवपेंच सफल नहीं होंगे – चीन के विदेश मंत्रालय की चेतावनी

बीजिंग – ‘शीतयुद्ध के दौर की मानसिकता, वैचारिक पूर्वग्रह इनका शिकार होकर देश विशेष गुट ना बनाएँ। इसकी अपेक्षा एकजुट बढ़ाकर क्षेत्रीय शांति के लिए कोशिश करना अधिक हितावह होगा’, ऐसा उपदेश चीन ने क्वाड देशों को किया है। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों के ‘क्वाड’ गुट की बैठक हाल ही में संपन्न हुई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने अपनी उम्मीदें ज़ाहिर कीं। उसी समय, कुछ देश चीन के खतरे का हौव्वा खड़ा करके क्षेत्रीय सहयोग में रोड़ा डालने की कोशिश कर रहे होने का आरोप भी चीन ने किया है। लेकिन उनके ये चीनविरोधी दांवपेंच सफल नहीं होंगे, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की व्हर्च्युअल बैठक हाल ही में संपन्न हुई। इसके बाद अमरीका के एक अखबार में चारों नेताओं का संयुक्त निवेदन प्रकाशित हुआ था। उसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्वतंत्रता, स्थिरता और सुरक्षा पर सर्वाधिक ज़ोर दिया गया है। अलग शब्दों में, चीन से इस क्षेत्र को होनेवाले खतरे के विरोध में चारों देशों ने एकजुट करने का निर्धार इसके द्वारा व्यक्त किया दिख रहा है। उसी समय कोरोना के टीके का नाजायज़ फ़ायदा उठाने का मौका चीन को ना मिलें, इसके लिए अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भारत की सहायता करेंगे, यह बात भी क्वाड की बैठक के बाद सामने आई थी। उम्मीद के अनुसार इसपर चीन से अधिकृत स्तर पर प्रतिक्रिया आई है।

चीनविरोधी दांवपेंचचीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने इस मामले में अपने देश की भूमिका स्पष्ट की। वर्तमान समय में, शीतयुद्ध की मानसिकता में रहकर और वैचारिक पूर्वग्रहों में फँसकर देशों के विशेष गुट निर्माण करने की कोशिश होनी नहीं चाहिए, ऐसा लिजिआन ने कहा है। यह कालबाह्य विचारधारा होकर जागतिकीकरण के दौर में वह सफल नहीं होगी, ऐसा दावा लिजिआन ने किया। उसी समय, कुछ देश चीन से होनेवाले खतरे का हौव्वा खड़ा करके, क्षेत्रीय सहयोग में रोड़ा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी ये कोशिशें नाकाम साबित होंगी, क्योंकि यह समय की धारा के विरोध में जाने वाला है, ऐसे दावे लिजिआन ने किये।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे देशों को चीन से होनेवाले खतरे के विरोध में अमरीका और मित्र देश सहायता करेंगे, ऐसा अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने कहा था। उसपर झाओ लिजिआन ने गुस्सा ज़ाहिर किया है। अमरीका चीन के संदर्भ में अधिक व्यवहार्य नीति अपनाएँ, यह बात दोनों देशों के संबंधों के लिए उपकारी साबित होगी, ऐसा लिजिआन ने कहा है।

इसी बीच, क्वाड की बैठक का दबाव चीन पर आया है, यह स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। अभी भी क्वाड पूरी तरह सक्रिय नहीं बना है। इसके बावजूद भी चीन पर बना उसका दबाव गौरतलब साबित होता है। खासकर सामरिक स्तर पर होने वाले सहयोग से भी, क्वाड का आर्थिक सहयोग अपने लिए अधिक घातक साबित हो सकता है, इसका एहसास चीन को हुआ है। कोरोना प्रतिबंधक टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्वाड देशों ने भारत से किया सहयोग, चीन के दांवपेंच तहस-नहस कर देनेवाला है। कोरोना के टीके की सप्लाई करने के बदले में चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे देशों को अपने ‘बीआरआय’ प्रोजेक्ट में सहभागी करने की साजिश रच रहा था। लेकिन क्वाड की योजना के कारण यह साजिश नाकाम हो रही है। आनेवाले समय में भी चीन को क्वाड से इस प्रकार की चुनौतियाँ मिल सकती है।

फिलहाल अमरीका के बायडेन प्रशासन पर चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाने के लिए विरोधी पार्टी से बढ़ा दबाव डाला जा रहा है। इसके परिणाम दिखाई देने लगे होकर, क्वाड की व्हर्च्युअल बैठक के बाद अमरीका जापान और दक्षिण कोरिया इन देशों के साथ ‘टू प्लस टू’ बैठक कर रही है। वहीं, १८ मार्च को अमरिका और चीन के नेताओं की अलास्का में बैठक आयोजित की गई है। उससे पहले चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए अमरीका चीन के प्रतिस्पर्धी देशों के साथ चर्चा कर रही है, ऐसा दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है। लेकिन अमरीका की यह दांवपेंच सफल नहीं होंगे, ऐसा चीन के इस सरकारी मुखपत्र ने डटकर कहा है।

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