चीन के ख़तरे को मद्देनज़र रखते हुए अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपती शासन

केंद्रीय गृहमंत्रालय का स्पष्टीकरण

Arunachal_Pradesh

चीन के ख़तरे को मद्देनज़र रखते हुए, अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता बनाये रखना सर्वाधिक अहमियत रखता है। इस कारण केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन जारी करने का निर्णय लिया, ऐसी भूमिका केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की है। इस संदर्भ में किये जा रहे आरोपों को प्रत्युत्तर देनेवाला, तक़रीबन ३१६ पन्नों का प्रतिज्ञापत्र केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया होकर, सदर निर्णय का समर्थन इस प्रतिज्ञापत्र में किया गया है।

कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन जारी करने का फ़ैसला किया था। इस राज्य के लगभग ३४ आमदारों ने मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार को दिया समर्थन वापस लेकर अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की माँग की थी। उसके बाद केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया था। उसपर मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने ऐतराज़ जताकर, यह निर्णय राजनीतिक हेतु से प्रेरित रहने की कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के खिलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाख़िल की गयी थी।

इस संदर्भ में प्रतिज्ञापत्र दाख़िल करते हुए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने, अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता देश के लिए हितावह नहीं है, ऐसा प्रतिपादन किया है। चीन जैसा ताकतवर पड़ोसी देश अरुणाचल प्रदेश की भूमि पर अपना हक़ बता रहा है। ऐसे हालातों में, सामरिक सुरक्षा एवं व्यापक देशहित का विचार कर अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया गया, ऐसा स्पष्टीकरण केंद्रीय गृहमंत्रालय ने दिया है।

साथ ही, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी को दिया हुआ समर्थन वापस ले रहे होने का, ३४ आमदारों ने हस्ताक्षर किया हुआ पत्र भी गृहमंत्रालय ने इस प्रतिज्ञापत्र के साथ जोड़ा है। केंद्रसरकार ने अरुणाचल प्रदेश के बारे में अपनायी इस भूमिका पर मुख्यमंत्री नबाम तुकी एवं विधानसभा के सभापति नबाम रेबिया ने ज़ोरदार ऐतराज़ जताकर उसकी कड़ी आलोचना की थी। यह निर्णय राजनीतिक हेतुओं से प्रेरित होने का आरोप मुख्यमंत्री तुकी एनं रेबिया ने किया था।

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