देश में शहरी माओवादियों के विरोध में गिरफ्तारी का सत्र – पुणे पुलिस की कार्रवाई

मुंबई: भीमा कोरेगांव दंगा मामले में पुणे पुलिस ने देशभर में कई शहरों में छापा मारकर माओवादियों के ४ नेताओं को गिरफ्तार किया है। इसमें वरावर राव और सुधा भारद्वाज का समावेश है। तथा इस मामले में अधिक लोगों को कब्जे में लिया जायेगा, ऐसी आशंका जताई जा रही है। इस गिरफ्तारी सत्र का कई लोग विरोध कर रहे हैं तथा माओवादियों के हिंसक एवं विघातक आंदोलन से जुड़नेवाले इन व्यक्तियों की गिरफ्तारी समर्थनिय है ऐसा दावा कई लोगों से किया जा रहा है।

देश, शहरी माओवादियों, विरोध, गिरफ्तारी, सत्र, पुणे पुलिस, कार्रवाई, मुंबई, आंदोलनभीमा कोरेगांव मामले में भड़के हुए दंगे के पीछे ३१ दिसंबर २०१७ के रोज हुई एल्गार परिषद जिम्मेदार थी, ऐसा आरोप किया जा रहा था। यह मामला इस वर्ष के जून महीने में रोना विल्सन, सुधीर धवले, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से रोना विल्सन इनके नई दिल्ली के घर में होनेवाले लैपटॉप में आक्षेपजनक मसौदा लिखा हुआ पत्र बरामद हुआ है। भीमा कोरेगांव मामले से भड़के हुए दंगे के पीछे माओवादियों का हाथ है ऐसा इस पत्र से स्पष्ट होने की जानकारी पुलिस से मिली है। इस आधार पर पुणे पुलिस ने एफआयआर दर्ज की है।

इस मामले में अधिक जांच की जा रही है और उसमें से मुंबई, हैदराबाद, फरीदाबाद, छत्तीसगढ़ एवं नई दिल्ली तथा गोवा में पुणे पुलिस ने छापे मारे हैं। उसमें लगभग ४ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हैदराबाद से वरावर राव तथा मुंबई से वैरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा एवं सुधा भारद्वाज तथा गौतम नवलाखा को कब्जे में लिया गया है। दौरान गौतम नवलाखा को दिल्ली के बाहर ले जाने से, दिल्ली उच्च न्यायालय मना किया है। नवलाखा ने अपनी गिरफ्तारी के पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय में दौड़ की थी। इस पर बुधवार को सुनवाई होने वाली है तब तक उन्हें कब्जे में रखा जा रहा है।

इस मामले में अधिक कई जगहों पर छापेमारी हो रही हैं। तथा इनमें से इनसे व्यतिरिक्त कई अधिक लोगों को जल्द ही कब्जे में लिया जाएगा ऐसी आशंका जताई जा रही है। इन छापों में कई आक्षेपजनक बातें मिली है और इन व्यक्तियों के आर्थिक व्यवहार तथा उनके संपर्क की भी जांच की जा रही है, ऐसा पुलिस ने स्पष्ट किया है। इसकी वजह से आनेवाले समय में इस मामले में अधिक सबूत प्राप्त होंगे ऐसा विश्वास व्यक्त किया जा रहा है। दौरान गिरफ्तार किए गए एवं पुलिस ने कब्जे में लिये यह सारे लोग सामाजिक कार्यकर्ता होकर उनका किसी भी अवैध आन्दोलन से संबंध ना होने का दावा कई नेताओं ने किया है। इसकी वजह से पुलिस उनकी रिहाई करे, ऐसी मांग इन नेताओं से की जा रही है।

इस मांग को कई लोग विरोध कर रहे हैं और माओवादियों के हिंसक तथा देश विघातक आंदोलनों के बारे में सहानुभूति रखनेवालों की गिरफ्तारी और उनपर होने वाली कार्यवाही समर्थनिय है, ऐसा दावा कर रहे है।

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