प्रधानमंत्री मोदी और अफ़गानिस्तान के ‘सीईओ’ अब्दुल्ला अब्दुल्ला की भेंट

New Delhi : Prime Minister Narendra Modi shakes hands with the CEO of Afghanistan Abdullah Abdullah in a meeting in New Delhi on Monday. PTI Photo (PTI2_1_2016_000039B) *** Local Caption ***

भारत के दौरे पर आये अफ़गानिस्तान के ‘सीईओ’ अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने, ४ जनवरी को अफ़गानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान, भारतीय दूतावास की सुरक्षा करने में अफ़गानिस्तान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने दिखायी हुई तत्परता के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। वहीं, अफ़गानिस्तान की सुरक्षा तथा स्थिरता और विकास के लिए भारत ने दिये योगदान के लिए ‘अब्दुल्ला अब्दुल्ला’ ने कृतज्ञता ज़ाहिर की। इस समय, भारत एवं अफ़गानिस्तान के राजनीतिक अधिकारियों को एक-दूसरे के देश में मुक्त रूप में यात्रा करने की अनुमति देनेवाला समझौता भी संपन्न हुआ।

अफ़गानिस्तान के ‘सीईओ’ अब्दुल्ला अब्दुल्ला फ़िलहाल पाँच दिन की भारत यात्रा पर आये हैं। इस दौरे में वे भारतीय नेताओं से मुलाक़ात कर, जयपुर में आयोजित किये गए आतंकवादविरोधी चर्चासत्र में भी सहभागी होंगे। फ़रवरी महीने की चार तारीख़ को पाक़िस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ तथा अफ़गानिस्तान की गुप्तचर यंत्रणा ‘नॅशनल डिरेक्टोरेट ऑफ़ सिक्युरिटी’ (एनडीएस) के बीच महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी है। अफ़गानिस्तान और पाक़िस्तान के बीच का शक़ का माहौल दूर करने के लिए आयोजित की गयी इस बैठक से पहले आयोजित किया गया ‘अब्दुल्ला’ का यह दौरा औचित्यपूर्ण माना जा रहा है।

जयपुर में आतंकवाद के विरोध में आयोजित किये गए इस चर्चासत्र में अब्दुला अब्दुल्ला उपस्थितों को संबोधित करनेवाले हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अब्दुल्ला, विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से भी मिलकर चर्चा करेंगे, ऐसी घोषणा की गयी है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार अजित डोवल से भी अब्दुल्ला की मुलाक़ात होगी, ऐसा कहा जा रहा है। भारत ने अफ़गानिस्तान को ‘एमआय-२५’ लड़ाक़ू हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति की होकर, ये हेलिकॉप्टर्स अफ़गानिस्तान की वायुसेना में दाख़िल हो चुके हैं। साथ ही, आनेवाले समय में दोनों देशों के बीच सुरक्षाविषयक सहकार्य और भी बढ़ेगा, ऐसा विश्वास दोनों देशों के नेताओं ने जताया है।

हाल ही में, अफ़गानी संसद की ईमारत का उद्घाटन भारत के प्रधानमन्त्री के हाथों किया गया था। दोनों देशों में विकसित हो रहा राजनीतिक एवं सामरिक सहकार्य पाक़िस्तान के लिए चिंता का विषय बन चुका होकर, भारतीय प्रधानमंत्री के अफ़गानिस्तान के दौरे के बाद भारतीय दूतावास पर हुआ आतंकवादी हमला इसी बात की गवाही दे रहा है। इस आतंकवादी हमले के पीछे पाक़िस्तानी लष्कर होने का आरोप अफ़गानी सुरक्षायंत्रणाओं ने किया था। उसी समय, अफ़गानिस्तान में चल रहीं आतंकवादी कार्रवाइयों को पाक़िस्तान अभी भी सहायता कर रहा होने का दोषारोपण भी अफ़गानी नेता और वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं। लेकिन इन आरोपों को नकारकर, उलटा अफ़गनिस्तान एवं भारत ही पाक़िस्तान में आतंकवादी कार्रवाइयाँ करते हैं, यह आरोप पाक़िस्तान द्वारा किया जाता है।

पाक़िस्तान में ‘बचा खान युनिव्हर्सिटी’ पर हुए आतंकवादी हमले के पीछे अफ़गानिस्तान एवं भारत का हाथ होने का आरोप भी पाक़िस्तान में शुरू हुआ था। इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए पाक़िस्तान की ‘आयएसआय’ ने अफ़गानिस्तान की ‘एनडीएस’ के सामने चर्चा का प्रस्ताव रखा है। ४ फ़रवरी को यह चर्चा संपन्न होगी। इस चर्चा में दोनों देशों के बीच का शक़ का माहौल दूर कर विश्वास बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा। लेकिन अफ़गानी सुरक्षा एवं गुप्तचर यंत्रणा भारत के प्रभाव में काम कर रहीं होने का आरोप करनेवाले पाक़िस्तान द्वारा इस चर्चा में, अफ़गानिस्तान एवं भारत की कथित आतंकवादी कार्रवाइयों का ज़िक्र किया जाने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि पर, अब्दुल्ला अब्दुल्ला की भारतभेंट बहुत ही औचित्यपूर्ण बात साबित हो रही है।

पाक़िस्तान में घातपात करानेवाले आतंकवादी संगठनों पर अफ़गानिस्तान कार्रवाई करें, ऐसी पाक़िस्तान की माँग है। वहीं, अफ़गानिस्तान भी ठीक इसी प्रकार की माँग पिछले कई वर्षों से पाक़िस्तान से करता आ रहा है। गत कुछ दिनों से अमरीका भी, पाक़िस्तान यह आतंकवादियों का अभयारण्य होने की बात को लेकर पाक़िस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए दिखायी देती है। उस पृष्ठभूमि पर अफ़गानिस्तान तथा पाक़िस्तान के बीच चलनेवाली इस चर्चा में से कुछ ख़ास हाथ लगने की संभावना नहीं है। लेकिन इस चर्चा में यदि अफ़गानिस्तान आक्रामक भूमिका अपनाकर पाक़िस्तान पर दबाव अधिक ही बढ़ाता है, तो पाकिस्तान के लिए मामला और भी कठिन होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

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