जापान के रिकॉर्ड रक्षा खर्च से शांति और स्थिरता खतरे मे – अमरिकी विश्लेषक की आलोचना

मास्को/वॉशिंग्टन – चीन और उत्तर कोरिया का खतरा रेखांकित करके जापान के रक्षा विभाग ने संसद से विक्रमी ५३ अरब डॉलर रक्षा खर्च की मांग की है। पिछले साल की तुलना में जापान ने अपने रक्षा लागत में भारी १२ प्रतिशत बढ़ोतरी की है। लेकिन, जापान के इस रक्षा खर्च के कारण एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की शांति और स्थिरता खतरे में होगी, ऐसा दावा अमरिकी सैन्य विश्लेषक ने रशियन वृत्तसंस्था से की बातचीत के दौरान किया। कुछ दिन पहले चीन के सरकारी मुखपत्र ने जापान के इस रक्षा खर्च की आलोचना की थी।

जापान के रिकॉर्ड रक्षा खर्च से शांति और स्थिरता खतरे मे - अमरिकी विश्लेषक की आलोचनापिछले कुछ सालों से जापान अपने रक्षा खर्च में धीरे धीरे बढ़ोतरी करता रहा है। जापान में पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने इस नीति का स्वीकार किया था। चीन और उत्तर कोरिया इन दो परमाणु अस्त्रधारी देश पड़ोस में होने से जापान को भी आत्मरक्षा के हेतू रक्षा लागत बढ़ाने की आवश्यकता होने का बयान एबे ने किया था। इसके बाद जापान ने रक्षा खर्च बढ़ाकर अमरीका से उन्नत एवं नवीनतम हथियारों की खरीद शुरू की। साथ ही देश में विध्वंसक और अन्य सैन्य सामान का निर्माण करना भी शुरू किया था।

नए रक्षा खर्च से जापान अमरीका से १५ ‘एफ-३५’ विमान, मिसाइल और विध्वंसकों की खरीद करेगा। इनमें से ‘एफ-३५’ विमानों की खरीद ध्यान आकर्षित करती है। यह नवीनतम एवं पांचवीं पीढ़ी के विमान परमाणु बम के साथ उड़ान भरने की काबिलीयत रखते हैं। साथ ही हवाई अभियान और खुफिया जानकारी पाने के लिए भी इन विमानों का इस्तेमाल मुमकीन है। इनमें से परमाणु बम तैनात करना संभव होने वाले विमानों की खरीद करना जापान की आक्रामक सैन्य नीति रेखांकित करता है, ऐसी आलोचना चीन कर रहा हैं।

अमरिकी सैन्य विश्लेषक ब्रायन बर्लेटिक ने रशियन वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार के दौरान जापान के इस रिकॉर्ड रक्षा लागत की आलोचना की। ‘अमरीका ने जापान पर राजनीतिक नज़रिये से कब्ज़ा किया है। इससे जापान की विदेश नीति अब अमरीका के हितसंबंधों का विचार करके निर्धारित होती है। ऐसे जापान का रिकॉर्ड रक्षा खर्च करना एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता को खतरे में धकेल रहा है’, ऐसी आलोचना बर्लेटिक ने की।

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