‘नैशनल मेरिटाईम सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर’ की नियुक्ती जल्द ही होगी – केंद्र सरकार के संकेत

‘नैशनल मेरिटाईम सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर’नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी चीन की गतिविधियाँ इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ ही भारत की सुरक्षा को भी चुनौती दे रही हैं। चीन की इन हरकतों पर बारिक नज़र रखकर भारत चीन के खतरों के विरोध में आवश्‍यक कदम उठा रहा है। ‘नैशनल मेरिटाईम सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर’ (एनएमएससी) यानी ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ के पद का निर्माण करना भारत की इसी नीति का हिस्सा है। वर्तमान में कार्यरत या सेवा निवृत्त उप-नौसेनाप्रमुख पद के अधिकारी की इस पद पर नियुक्ती की जाएगी। नौसेना, तटरक्षक बल एवं बंदरगाहों के साथ ही जल परिवहन मंत्रालय के साथ संपर्क एवं समन्वय का काम ‘एनएमएससी’ करेंगे और वे सीधे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ को अपनी रपट पेश करेंगे।

वर्ष १९९९ में हुए कारगिल युद्ध के बाद देश की सुरक्षा का जायज़ा लेने के लिए नियुक्त की गई समिती ने समुद्री सुरक्षा के लिए कुछ सिफारीशें की थीं। नौसेना और तटरक्षक बल एवं संबंधित केंद्र और राज्यों के मंत्रालयों से समन्वय स्थापित करने के लिए एक उच्च स्तरीय व्यवस्था की ज़रूरत इस समिती ने दर्ज़ की थी। इस वजह से ‘नैशनल मेरिटाईम सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर’ की आवश्‍यकता काफी पहले से महसूस होने की बात सामने आ रही थी। लेकिन, बीते कुछ वर्षों से भारत के नैसर्गिक प्रभावक्षेत्र वाले हिंद महासागर में चीन की बढ़ती हरकतें और इससे भारत के लिए बन रहे खतरे को ध्यान में रखते हुए ‘एनएमएससी’ की आवश्‍यकता बड़ी तीव्रता से महसूस हो रही है।

इसी वजह से इस पद का निर्माण जल्द ही किया जाएगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस पद पर वर्तमान में कार्यरत या सेवा निवृत्त उप-नौसेनाप्रमुख दर्जे के अधिकारी की नियुक्ती की जाएगी। वर्ष २०१८ में भारत ने ‘इंफॉर्मेशन फ्युजन सेंटर-इंडियन ओशन रीजन’ (आयएफसी-आयओआर) का गठन करके हिंद महासागर में यातायात कर रहे हर जहाज़ पर नज़र रखनेवाली प्रणाली विकसित की गई थी। चीन की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए यह काफी अहम होने की बात बाद में स्पष्ट हुई।

चीन ने किसी समुद्री क्षेत्र में अपना दावा मज़बूत करने के लिए मछुआरों के सैंकड़ों जहाज़ों का दल निर्माण किया है। ऊपर-ऊपर से यह जहाज़ मछली मारी करते दिखाई देते हैं, लेकिन असल में यह चीनी नौसेना के जहाज़ों का बेड़ा होता है। चीन अपने विस्तारवाद को चुनौती दे रहे देश को सबक सिखाने के लिए ऐसे सैंकड़ों जहाज़ों के बेड़े का इस्तेमाल करता है, यह बात अब स्पष्ट हुई है। कुछ महीने पहले फिलिपाईन्स के समुद्री क्षेत्र में चीन ने इसका प्रयोग किया था।

भारत के विषय में भी चीन इसी तरह का प्रयोग करने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारत ने चीनी सेना को झटका देने के बाद बौखलाया हुआ चीन अब भारत को सबक सिखाने के लिए कड़ी कोशिश कर रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं और भारत को चुनौती देने के लिए चीन श्रीलंका के बंदरगाहों का भी इस्तेमाल कर रहा है। इससे निर्माण होनेवाली स्थिति का मुकाबला करने के लिए भारत को अधिक सावधानी बरतनी जरूरी है और भारत सरकार एवं नौसेना इस ओर बड़ी गंभीरता से देख रहे हैं। ‘एनएमएससी’ पद का निर्माण करना भी यही बात नए से रेखांकित कर रही है।

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